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🌸 माँ से दूर रहकर…
चाय तो बनती है, पर स्वाद माँ की उँगली जैसा नहीं,
बिस्तर तो बिछता है, पर सुकून माँ की गोद जैसा नहीं।
भीड़ में भी तन्हा लगता है, जब माँ की आवाज़ सुनाई नहीं देती,
दुनिया से लड़ जाता हूँ मैं, पर माँ के आँसू से लड़ाई नहीं होती।
हर उस बच्चे के लिए ये गीत है,
जो माँ से दूर है — पर उसकी ममता अब भी उसकी धड़कनों में बसती है…
💔🎶
📌 “माँ तेरी ममता से दूर हूँ” – सुनिए और माँ को महसूस कीजिए...
https://youtu.be/cXAjJDmr8K4?si=l-QEUgH2aIyaVvQ8
और इस छोटे से चैनल Baagi Baani कि आवाज को सपोर्ट कीजिए।
आज फिर वही पुरानी खिड़की खोली,
बरसात चुपचाप भीतर चली आई।
हवा ने दुपट्टा सरकाया,
और मैं मुस्कुरा दी,
जैसे कोई भूली-बिसरी याद लौट आई हो।
बूंदें कांच पर थपथपाती रहीं,
जैसे मुझसे बातें करना चाहती हों।
मैंने हथेली आगे बढ़ाकर,
कुछ बूंदें थाम लीं,
कुछ सपने भी भीग गए साथ-साथ।
खिड़की की सलाखों से झांकती मैं,
सुनती रही बादलों की धीमी गुनगुनाहट।
कोई गीत, कोई अधूरी कविता,
जो कभी मैंने ही कहीं लिखी थी शायद,
फिर से मेरे कानों में गूंज उठी।
आज बारिश में बस मैं थी,
ना कोई मंज़िल, ना कोई राह।
बस भीगी खामोशियांं थीं,
और मेरा मन,
जो हर बूंद के संग बहता चला जा रहा था।
कभी खिड़की पर सर टिकाती,
कभी हथेली में बूंदों को समेटती,
कभी आंखों में पुराने मौसमों की परछाइयां सहेजती,
तो कभी मुस्कुराकर खुद को समझाती,
कि शायद
बरसात सिर्फ पानी नहीं लाती,
कुछ अनकही बातें भी बरसाती है।
धीरे-धीरे,
खुद को उसी खिड़की के कोने में सिमटते पाया,
जहां से दुनिया थोड़ी धुंधली दिखती थी,
पर सपने और भी साफ।
आज, बरसात की उस खिड़की के पास,
मैंने फिर खुद से मुलाकात की
भीगी, बिखरी, लेकिन सजीव,
जैसे पहली बार खुद को देखा हो।
बारिश रुकी नहीं,
ना ही मैं।
हम दोनों बस बहते रहे
अपने-अपने अनकहे रास्तों पर,
चुपचाप...
एक-दूसरे को समझते हुए।
©कोमल तलाटी
છોડીને જતાં જ રહેવું હતું, તો લાગણી કેમ બાંધી?
દિલની વેદના વસમી હતી, એની પીડા કેમ આંધી?
વાતોનાં વમળ ને સંબંધોની જાળ, ક્યાં ફસાઈ હું?
સાચાં સ્મિતની આડશે, અશ્રુધારા કેમ છાંડી?
તારા વગર સૂની સવાર, ને રાતો પણ અંધારી બની;
સપનાની દુનિયામાં, તસવીરો કેમ કંડારી?
હર ક્ષણ તારું સ્મરણ, ને હર પળ તારી યાદો સતાવે;
કેમ આપ્યો દિલને દગો, ને શા માટે આવી રીતે અળગી કરી?
હર પળ યાદ તારી, ને હર શ્વાસ સવાલ કરે;
કેમ બની પરાઈ, આટલી મોહજાળ કેમ સાંધી?
છેલ્લાં શ્વાસ સુધી નિભાવશું, એવાં વચનો આપ્યા હતા;
એવી ખોટી શ્રદ્ધા આપીને, વેદનાનું હૈયું કેમ દુભાવ્યું?
તારા વગરનું જીવન, હવે સુમસામ રણ જેવું લાગે;
આવી રીતે વિખુટા પડીને, અંધકાર કેમ પાથરી દીધો ?
🌹 અવંતિકા 🌹
પ્રસ્તુત પદ “હાં રે, હોજી ‘દાદાજી’!” દ્વારા જ્ઞાની પુરુષ પરમ પૂજ્ય દાદા ભગવાનની ભજના કરીએ, જેમની ઓળખાણ પ્રાપ્ત થયા પછી એમના વિના બીજે ક્યાંય ગમે નહીં.
Watch here: https://youtu.be/D_ZdIZcmvhQ
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“अगर ज़िंदगी दिखावे से चलती,
तो मिसालें नहीं बनतीं — बस नक़लें दोहराई जातीं।
ज़िंदगी को जीने के लिए सच्चाई चाहिए, ना कि दिखावे का चेहरा…”
— धीरेंद्र सिंह बिष्ट, लेखक: बर्फ़ के पीछे कोई था ❄️📖
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सुंदरस......
दाट धुकं..
आसपास वेढुन राहिलेले..
रस्ता..अगदी सुनसान..
फक्त आपण दोघेच...
रोमांचित करणारा प्रवास ..होता तो आपल्या आयुष्यातला...!! ❤
असे वाटत होते रस्ता सापडुच नये.....
आणी आता.......
दाट धुकं पसरलय....
गैरसमजाच़..
आपल्या दोघांच्यात...
कधी सापडेल का ग वाट त्यातुन...
...............................व्रुषाली...
કોઈ તો ધક્કો મારે છે, એમ આગળ વધે છે,
કોઈ તો બળ છે, એટલે જ બધું ચાલે છે,
મંદિર ગયો છું, મસ્જીદ પણ ગયો છું,
ગયો ગુરુદ્વરા, તારું જ બધે ચાલે છે,
નાનાં છે મોટાં પણ છે, એમ જીવન વધે છે,
કોઈ તો શકિત છે, એટલે જ બધું ચાલે છે,
સુખ આપે છો, દુઃખ પણ આપે છો,
સમતા રાખે છો, તું જ તો બધું કરે છો,
તું જ રહસ્ય છે, તું જ અદ્રશ્ય પણ છે,
તું હાજર પણ છે, એટલે જ બધું ચાલે છે.
મનોજ નાવડીયા
जब जब प्यार में मोह होता है वो विष बन जाता है। प्यार सबसे खूबसूरत एहसास है और प्रेम उसकी पराकाष्ठा.....प्यार लड़ना, पाना सिखाता है लेकिन इसमें जब मोह भी शामिल हो जाता है तो वो न्याय भूल जाता केवल पाना ही सब कुछ लगता है । "प्यार" ये शब्द कभी गलत हो ही नहीं सकता । इसे करने वाला हमेशा जोड़ने का काम करता है संवारने का करता है तोड़ने का नहीं । और जहां ऐसा अन्याय हो विष हो वहा कुछ भी हो सकता है " प्यार" नहीं हो सकता । प्यार हद पार कर सकता है पर किसी की जान या किसी की खुशी दांव पर नहीं लगा सकता । क्योंकि जो प्यार करता है वो जनता हैं किसी सहारे की कीमत , किसी के साथ की कीमत , मन की खुशी , और दुख दर्द का एहसास । वो कभी किसी का बुरा कर ही नहीं सकता और अगर ये भावना आ जाए तो मान लीजिए प्यार अब प्यार नहीं रहा जुनून और जिद बन गया है प्यार खत्म हो गया है।
Lord Shri Krishna says,
Learn to be happy with what you have, your world... because even though you may believe that you are nothing to this world, but for some people you are the whole world!
RADHE... RADHE..😇
ભગવાન શ્રી કૃષ્ણ કહે છે,
તમારી પાસે જે છે તેનાથી ખુશ રહેતા શીખો, તમારી દુનિયાથી... કારણ કે ભલે તમે માનતા હોવ કે તમે આ દુનિયા માટે કંઈ નથી, પરંતુ કેટલાક લોકો માટે તમે આખી દુનિયા છો!
રાધે... રાધે..😇
“अनुभव इंसान को सिर्फ़ बदलता नहीं, निखारता है — जैसे वक़्त पत्थर को तराश कर एक सुंदर मूर्ति बना देता है।
हर संघर्ष, हर कहानी, हमें बेहतर बनाती है।
पढ़िए ‘अग्निपथ’ — एक ऐसा सफर जो दिल को छू जाए।
✍🏻 धीरेंद्र सिंह बिष्ट
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