स्वामी विवेकानंद (जन्म-12 जनवरी 1863, मृत्यु-4 जुलाई 1902 ) आज स्वामी विवेकानंद जी की जयंती है। उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप मनाया जाता है। उन्होंने रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन और वेदांत सोसाइटी की नींव रखी थी। विवेकानंद ने 19वीं शताब्दी के अंत में विश्व मंच पर हिंदू धर्म को एक मजबूत पहचान दिलाई थी। स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिन्हें नरेन के नाम से भी जाना जाता है।स्वामी विवेकानंद के विचार पूरे विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखतें हैं और लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। तो आइए स्वामी विवेकानंद जी को शत् -शत् नमन करते हुए पढ़ते हैं उनके विचार🙏🙏
जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी.
जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे।
खुद को निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
खुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है.
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं।
एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
हजारों ठोकरें खाने के बाद ही एक अच्छे चरित्र का निर्माण होता है।
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
जब तक आप अपने काम में व्यस्त हैं, तब तक काम आसान होता है, लेकिन आलसी होने पर कोई भी काम आसान नहीं लगता
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना. स्वयं पर विश्वास करो।
दिन में एक बार खुद से जरूर बात करो, वरना आप दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति से बात करने का मौका खो देंगे।
हम जितना ज्यादा बाहर जाए और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें वास करेंगे।
पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिन के अवसर पर प्रस्तुत है मेरी एक रचना🙏🙏
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नौजवानों के लिए ही जलाए अनमोल दीए
बढ़ना है सबको ही आगे हौसला अपना लिए
खुद पे ही करना भरोसा खुद को न देना धोखा
अन्याय से लड़ो हमेशा खामोश न रहो होंठ सीए।
चरित्र शानदार हो खुद पर भी तो अभिमान हो
करना है नारी की रक्षा दिल में ऐसा ही भान हो
सभी निगाहें देखती हैं आशाओं से नौजवानों को
नेक काम करते चलो देश -विदेश में सम्मान हो ।
खुद सोचना है हमें जिंदगी जाए किस राह पर
कदम रखना है अच्छे या बुरे सोच अपनी चाह पर
असत्य लुभाता है बहुत हरेक बात पर ही अक्सर
सत्य की राह पर चलो जिंदगी चलती रहे वाह पर।
आभा दवे
मुंबई