Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

तेरे नाम – उपन्यास

अध्याय 1 – राधे की दुनिया

कैंपस की गलियों में अगर किसी का नाम सबसे पहले लिया जाता था, तो वह था राधे। उसका नाम सुनते ही सहपाठियों की धड़कनें तेज़ हो जातीं। उसका अंदाज़ ऐसा था कि हर कोई उससे डरता, लेकिन मन ही मन उसकी दबंगई का लोहा भी मानता था।

राधे की चाल में एक अकड़ थी। वह जहाँ से गुज़रता, सबकी नज़रें उसी पर टिक जातीं। उसके माथे पर बिखरे बाल, कंधे पर तौलिया और आँखों में जलती आग—यही उसकी पहचान थी।

लेकिन यह सख़्त और जिद्दी चेहरा भीतर से उतना मज़बूत नहीं था। राधे की ज़िंदगी में बहुत खालीपन था। माँ-बाप का साया बहुत पहले उठ गया था। दोस्तों की भीड़ थी, पर सच्ची दोस्ती का एहसास कहीं खो गया था।

रातें उसके लिए सबसे भारी होतीं। दिन में वह अपने गुस्से और दबंगई से दुनिया को डराता, लेकिन रात के सन्नाटे में वह खुद से डरता था। कई बार छत पर बैठकर वह तारों को ताकता और सोचता—"क्या यही ज़िंदगी है? लड़ाई, गुस्सा और डर? या कहीं कोई और रास्ता भी है?"

लेकिन उसे पता नहीं था कि उसकी ज़िंदगी का रास्ता जल्द ही बदलने वाला है। कोई ऐसा आने वाला है, जो उसकी इस उग्र दुनिया को नरमाई से छूकर बदल देगा।

"राधे की आँखों में आग थी, लेकिन किस्मत उसकी आँखों में अब प्रेम का दीया जलाने वाली थी।"


---

अध्याय 2 – खालीपन की छाया

राधे के बाहरी स्वरूप को देखकर कोई भी सोच सकता था कि वह एक निडर और ताक़तवर इंसान है। लेकिन जो लोग उसकी आँखों में गहराई से झांकते, वे समझ जाते कि वहाँ एक ऐसा खालीपन है जिसे वह दुनिया से छुपाए फिरता है।

उसका बचपन आसान नहीं था। पिता का सख़्त स्वभाव और माँ का जल्दी बिछड़ जाना, दोनों ने उसके मन में गहरी चोट छोड़ी थी। पिता अक्सर कहा करते थे—
"मर्द को दर्द नहीं दिखाना चाहिए।"
शायद इसी वाक्य ने राधे को ऐसा बना दिया था—गुस्सैल, ज़िद्दी और कठोर।

राधे के पास दोस्तों की कमी नहीं थी। कॉलेज में उसके इर्द-गिर्द कई लोग रहते, लेकिन उनमें से कोई भी उसका अपना नहीं था। सब उसकी ताक़त से जुड़े थे, उसके दिल से नहीं। शाम को वह दोस्तों के साथ हंसी-ठिठोली करता, पर जब अकेला होता तो उसके मन में सवाल उठते—
"क्या सच में ये लोग मेरे अपने हैं? अगर एक दिन मैं हार गया, तो क्या ये मेरे साथ खड़े होंगे?"

रातें उसकी सबसे बड़ी दुश्मन थीं। जब पूरा मोहल्ला नींद में डूबा होता, तब राधे सिगरेट के धुएँ में अपने दर्द को दबाने की कोशिश करता। धुआँ कमरे में फैलता और उसकी आँखें नम हो जातीं। लेकिन वह आँसू बहाने से डरता था।

"जिस वीराने में अब तक राधे भटक रहा था, वहाँ जल्द ही कोई ऐसी रौशनी आने वाली थी जो उसकी आत्मा को नया जीवन देगी।"


---

अध्याय 3 – पहली मुलाक़ात

बसंत उत्सव का माहौल था। हर ओर रंग-बिरंगे कपड़े, हंसी-ठिठोली और संगीत की गूंज फैली थी। भीड़ में भी राधे हमेशा की तरह अकेला खड़ा था। उसकी निगाहें चारों ओर घूम रही थीं, पर मन कहीं और खोया था।

अचानक उसकी नज़र एक लड़की पर पड़ी—सफेद सलवार-कमीज़ में लिपटी, आँखों में झील-सी गहराई और चेहरे पर मासूमियत की चमक। वह निर्जला थी।

राधे की आँखें उस पर ठहर गईं। यह पहली बार था जब किसी को देखकर उसका दिल बेकाबू धड़क उठा। निर्जला ने हल्की मुस्कान दी और आगे बढ़ गई।

उस शाम राधे छत पर बैठा तारों को निहार रहा था। बार-बार वही चेहरा उसकी आँखों के सामने आ रहा था। पहली बार उसे लगा कि उसकी ज़िंदगी में किसी ने बिना बोले दस्तक दी है।

"राधे की दुनिया अब बदलने वाली थी। निर्जला का आना उसकी ज़िंदगी में बसंत की पहली बयार था।"


---

अध्याय 4 – प्रेम का अंकुर

पहली मुलाक़ात के बाद राधे की दुनिया बदल गई। अब वह अक्सर कॉलेज के गलियारों में घूमता कि कहीं निर्जला की झलक मिल जाए।

निर्जला की सरलता और मासूमियत ने राधे को भीतर से बदल दिया। वह अब बिना वजह झगड़े करने से बचने लगा।

एक दिन लाइब्रेरी में राधे ने निर्जला को देखा। उसने हिम्मत जुटाकर कहा—
"तुम्हें शायद ये किताब चाहिए थी।"
निर्जला ने मुस्कुराकर धन्यवाद कहा। राधे के दिल पर यह मुस्कान अमिट छाप छोड़ गई।

"राधे को अब एहसास हो चुका था कि उसका दिल उस मासूम लड़की की ओर खिंच रहा है। यह सिर्फ एक मुलाक़ात नहीं थी—यह एक नई शुरुआत थी।"


---

अध्याय 5 – विरोध की दीवारें

राधे और निर्जला के बीच की नज़दीकियाँ गहरी हो रही थीं। लेकिन निर्जला का परिवार बेहद परंपरावादी था। जब उन्हें यह पता चला, तो घर में सख़्त माहौल बन गया।

राधे का गुस्सा फिर से भड़क उठा। उसने कहा—
"मैं तुझसे दूर नहीं रह सकता।"
निर्जला ने धीमी आवाज़ में उत्तर दिया—
"राधे, प्यार का मतलब दीवारें तोड़ना नहीं, बल्कि दिल जीतना होता है।"

"प्रेम का अंकुर तो फूट चुका था, पर अब उसके सामने समाज और परिवार की कठोर दीवारें खड़ी थीं।"


---

अध्याय 6 – टूटता संतुलन

राधे ने जितनी बार कोशिश की, उसका गुस्सा प्रेम के रास्ते में रोड़ा बन गया। एक दिन कॉलेज में झड़प ने उसकी ज़िंदगी बदल दी। हादसा इतना गंभीर था कि पुलिस और परिवार का झगड़ा बढ़ गया।

अस्पताल में राधे का शरीर घायल था, पर उसके मन में टूटन और अकेलापन गहरा था।
निर्जला हर दिन उसके पास आती, पर वह भी मजबूर थी।

"राधे का शरीर अस्पताल में था, लेकिन उसकी आत्मा कहीं और भटक रही थी।"


---

अध्याय 7 – अधूरी मोहब्बत

समय के साथ राधे की ज़िंदगी और निर्जला का परिवार दोनों में दूरी बढ़ती गई। निर्जला अब मजबूरी में निर्णय लेने लगी थी।

राधे के भीतर का पागलपन अब अकेलेपन में बदल गया। वह अक्सर छत पर बैठता और निर्जला का नाम फुसफुसाता।

"निर्जला अब उसके सामने नहीं थी, लेकिन उसके नाम की मिठास और उसकी यादों की छाया हमेशा राधे के दिल में जिंदा रही।"


---

अध्याय 8 – अंतिम करुणा

राधे ने समझ लिया कि प्रेम केवल पाने का नहीं, बल्कि त्याग और समझदारी का भी नाम है। वह छत पर बैठा, निर्जला के बारे में सोचते हुए धीरे मुस्कुराया।

"अधूरी मोहब्बत हमेशा अधूरी नहीं रहती। वह अमर हो जाती है, और अपने नाम से हर दिल को छू लेती है।"

राधे और निर्जला की प्रेम कहानी इस बात का प्रमाण है कि कभी-कभी प्यार की ताक़त केवल मिलने में नहीं, बल्कि यादों, त्याग और दिल की गहराई में भी होती है।

rajukumarchaudhary502010

✨👁 On this auspicious occasion of Ganesh Chaturthi, let’s welcome Bappa with prayers for healthy eyes and clear vision.
May Lord Ganesha bless us all with wisdom, wellness, and divine light. 🌸🙏

🌟 Healthy Eyes, Divine Vision – Netram Eye Foundation wishes you a Happy Ganesh Chaturthi! 🌟

#HappyGaneshChaturthi #DivineVision #HealthyEyes #NetramEyeFoundation

netrameyecentre

ગિફ્ટ, પૈસા, સમય બધું મળે.....
Fakira ©

vijayparmar2820

Jay shree Ganesh 🙏🏻

hardikashar6777

" શ્રી ગણેશ તમારી જય હો "


અષ્ટવિનાયક, શ્રી ગજાનન તમારી જય હો.
પ્રથમ પૂજનીય, શ્રી ભગવન તમારી જય હો.

તમે સૂંઢાળા, તમે દુંદાળા, તમે જ ગણાધિપ,
વક્રતુંડ, શૂર્પકર્ણ, શ્રી એકદંત તમારી જય હો.

લાભકર્તા, શુભકર્તા, રિદ્ધિસિદ્ધિના છો દાતા,
હે, વિધ્નહર્તા, શ્રી ગણનાયક તમારી જય હો.

માતા જેનાં પાર્વતી ને પિતા દેવાધિદેવ મહાદેવ,
ઓખા ને કાર્તિકેયના સહોદર, તમારી જય હો.

માતાપિતાને સમજીને સમસ્ત બ્રહ્માંડ "વ્યોમ"
માતાપિતાના હે પ્રથમ પૂજક તમારી જય હો.


✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર

omjay818

Happy Ganesh Chaturthi

vedantkana527861

भगवद गीता में भगवान की पूजा (उपासना) को केवल बाहरी कर्मकांड तक सीमित नहीं बताया गया है, बल्कि उसे भक्ति, श्रद्धा और समर्पण पर आधारित बताया गया है।

गीता में पूजा के मुख्य स्वरूप:

1. श्रद्धा और भक्ति से पूजा

गीता (9.26) में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं –
“पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतम् अश्नामि प्रयतात्मनः॥”
👉 अर्थात यदि कोई भक्त मुझे प्रेम और श्रद्धा से पत्र (पत्ता), पुष्प, फल या जल भी अर्पण करता है तो मैं उस भक्ति को स्वीकार करता हूँ।
→ यहाँ पूजा का मूल आधार भक्ति है, न कि भोग की मात्रा।

2. निष्काम भाव से पूजा

गीता (3.9) में कहा गया है कि सब कर्म भगवान के लिए समर्पित करने से ही मनुष्य बंधन से मुक्त होता है।
👉 पूजा का अर्थ है – हर काम को ईश्वर को अर्पण करना।

3. योग के रूप में पूजा

गीता (6.47) – “सर्वयोगिनामध्ये यः भक्त्या मामनुस्मरन्, स योगी परमः।”
👉 सभी योगियों में श्रेष्ठ वही है जो भक्ति से भगवान का स्मरण करता है।
→ पूजा केवल मंत्र-जाप ही नहीं, बल्कि ध्यान और स्मरण भी है।

4. समभाव से पूजा

गीता (9.29) – “समोऽहं सर्वभूतेषु…”
👉 भगवान सबमें समान हैं, इसलिए सबको समान दृष्टि से देखना भी पूजा का ही रूप है।

5. ज्ञान और भक्ति का संगम

गीता (7.16–18) में चार प्रकार के भक्त बताए गए हैं – आर्त, अर्थार्थी, जिज्ञासु और ज्ञानी।
👉 इनमें सबसे श्रेष्ठ ज्ञानी भक्त है, क्योंकि वह भगवान को प्रेमपूर्वक जानकर पूजा करता है।
---

सार:

गीता के अनुसार पूजा का अर्थ है –
✅ भक्ति और श्रद्धा से अर्पण करना
✅ कर्म, ध्यान और ज्ञान को भगवान को समर्पित करना
✅ समभाव से सबको देखना और सेवा करना
✅ अंतर्मन से ईश्वर का स्मरण करना

👉 यानी पूजा केवल मूर्ति, फूल, दीपक तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन जीने का ईश्वरमय दृष्टिकोण ही असली पूजा है।

deepakbundela7179

This Samvatsari, let the tears of heartfelt repentance erase all our mistakes forever.

Read here the spiritual science behind asking for forgiveness with repentance: https://dbf.adalaj.org/3XnnTebq

#forgiveness #paryushan #paryushanparv #repentance #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

मेरे दोस्तो जिंदगी के नियम को समझो और।
अमीर बनो

krv

કથાવાચકોની હકીકત ✧

આજકાલના મોટા ભાગના કથાવાચકો તોતા જેવા બની ગયા છે —
શાસ્ત્ર વાંચ્યા, યાદ કર્યા અને મંચ પર જઈને બોલી દીધા।

પણ સમસ્યા એ છે:

પોતાના અનુભવ પરથી નથી બોલતા।

સમય અને પરિસ્થિતિની સમજ બતાવતા નથી।

આજના પ્રશ્નોનું સાચું ઉકેલ આપતા નથી।



---

✧ શાસ્ત્રનો ઉપયોગ કે દુરુપયોગ? ✧

શાસ્ત્ર જ્ઞાનનો સ્ત્રોત છે, પરંતુ:

તેને પહેલા જીવનમાં ઉતારીને અનુભવવું જોઈએ।

પછી સમય અને સમાજની જરૂરિયાત મુજબ રજૂ કરવું જોઈએ।


પણ કથાવાચકો કરે છે એના ઊલટું:

ખાણમાંથી નીકળેલા કાચા પથ્થર જેવી કાચી વાતો સીધી જનતા પર ફેંકી દે છે।

ન તો ઉકેલ આપે છે, ન તો ભ્રમ દૂર કરે છે।

તેના બદલે અંધશ્રદ્ધા અને સંપ્રદાયવાદને વધાવે છે।



---

✧ અસલી સમસ્યા ✧

1. સંસ્થા અને ગુરુનો પ્રચાર – પોતાના ગુરુ, પરંપરા કે સંસ્થા ને જ સર્વોચ્ચ ગણાવે છે।


2. ભ્રમ ફેલાવવો – ઉકેલ આપવા બદલે ડર, શંકા અને અંધશ્રદ્ધા વાવે છે।


3. પ્રશ્નોથી બચવું – જનતા પ્રશ્ન કરે તો તરત જ કહે, “શાસ્ત્રમાં લખ્યું છે।”


4. સામાજિક જવાબદારીનો અભાવ – અસલ પ્રશ્નો (ગરીબી, હિંસા, તણાવ, શિક્ષણ, પરિવાર) પર ચૂપ રહી જાય છે।




---

✧ જનતા શાંતિથી કેમ બેસી છે? ✧

ડર – ધર્મના નામે પ્રશ્ન પૂછવામાં લોકોને ડર લાગે છે।

આદત – વર્ષોથી “પ્રવચન = ધર્મ” માનીને બેઠા છે।

આળસ – પોતે વિચારવાની અને સમજવાની મહેનત નથી કરવી।



---

✧ નિષ્કર્ષ ✧

આજના મોટા ભાગના પ્રવચનો માત્ર ચતુર ભાષણ છે,
સાચો આધ્યાત્મિક અનુભવ નથી।

ધર્મનો સાચો હેતુ છે –
✨ ભ્રમ દૂર કરવો
✨ સત્ય બતાવવું
✨ શાંતિ અને પ્રેમ જગાવવો

પણ આ ત્યા જ શક્ય છે જ્યારે કથાવાચક:

પહેલા પોતે શાસ્ત્રનો અનુભવ કરે,

પછી સમય અને સમાજને જોઈને બોલે,

અને જનતા પણ પ્રશ્ન પૂછવાની હિંમત કરે।



---

🌱 ધર્મ સમસ્યા વધારવાનો નહીં, ઉકેલવાનો નામ છે।
આજ સમાજને જરૂર છે એવા અનુભવી, નિર્ભય અને સત્યનિષ્ઠ પ્રવચનકારોની –
જે ફક્ત શાસ્ત્રો ના બોલે, પણ જીવનમાં જીવીને સત્યને રજૂ કરે।

bhutaji

✧ The Reality of Storytellers (Katha-Vachaks) ✧

These days, most preachers are like parrots —
they read the scriptures, memorize them, and then recite them on stage.

But the problem is:

They don’t speak from their own personal experience.

They fail to understand the context of time and circumstances.

They don’t provide real solutions to today’s problems.



---

✧ Use or Misuse of Scriptures? ✧

Scriptures are a source of wisdom, but:

One must first live them, experience them, and digest their truth.

Only then should they be presented according to the needs of the time and society.


But preachers do the opposite:

They throw raw knowledge, like uncut stones from a mine, directly at the audience.

They neither solve problems nor clear confusion.

Instead, they fuel superstition and sectarian divisions.



---

✧ The Real Problems ✧

1. Promotion of institution and guru – preachers place their own lineage, sect, or institution above everything.


2. Spreading confusion – instead of solving, they sow fear, doubt, and blind belief.


3. Avoiding questions – if the public dares to ask, they simply escape by saying, “It is written in the scriptures.”


4. Lack of social responsibility – they stay silent on real issues like poverty, violence, stress, education, and family life.




---

✧ Why is the Public Silent? ✧

Fear – people are afraid to question anything done in the name of religion.

Habit – for generations, people have assumed “listening to sermons = being religious.”

Laziness – they don’t want to think, question, and understand for themselves.



---

✧ Conclusion ✧

Most sermons today are nothing more than clever speeches,
not true spiritual experience.

The real purpose of religion is to:
✨ remove confusion
✨ reveal truth
✨ awaken peace and love

But this is possible only when preachers:

First live and experience the scriptures themselves,

Then speak according to the needs of the time and society,

And when the public has the courage to ask questions.

bhutaji

एक बार फिर दरिंदगी की हद पार की जा चुकी है। दिन दहाड़े एक लडकी का रेप कर उसे मार दिया गया । घटना हरयाणा के भिवानी शहर की है। मै विक्टिम का नाम नही.लुंगी । वो लडकी 19 साल की थी । कॉलेज जा रही थी बि एस सी नर्सिंग का फॉर्म लेने । लेकिन वापस नही आई ! क्यो? क्योकि वापस आने लायक उसे को छोडा ही नही गया ।  रिपोर्ट्स के अनुसार लडकी का पहले रेप हुआ। उसका चेहरा तेजाब से खराब हो चुका था । उसकी सांस की नली गायब थी । किडनी नही थी शरीर मे ! बच्चेदानी तक नही.थी ! उसकी खाने के नली तक गायब ! आंखे निकाल ली गई थी ।

इतनी बर्बरता की कोई सोच भी ना सके और उस.लडकी के साथ हो गया । और उसके साथ कर दिया गया ।

बडी बात ये है कि जब पिता ने पुलिस को खबर करी तो पुलिस ने विक्टिम ब्लेमिंग शुरू कर दी । पिता से कहा गया कि लडकी खुद ही भाग गई होगी । आ जाएगी वापस शादी करके !

मतलब सोचिए कैसी तो हमारी पुलिस है ! आम आदमी किस्से मदद की उम्मीद करे ! क्योकि सर्कार ने तो आंख बंद कर रखी है। एक साल पहले कोलकता रेप केस हुआ - उसमे भी न्याय नही मिला । अंकिता बोरी केस ! किसी को खबर तक नही ! एक आदिवासी महिला का रेप हुआ...कोई जानकारी नही । और भी ना जाने कितने केस आ चुके है ।

लडकियां अब या तो घर से निकलना बंद करले या खुद को मार डाले ! क्योकि सुरक्षा और न्याय तो हमे मिलने से रहा ।

इस भिवानी केस मे.बताया जा रहा है कि नो दिन तक प्रोटेस्ट हुआ।  पिता ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया । वो आदमी इतना गरीब है कि उसके पास कोई कोंटेक्ट भी नही है जिससे वो न्याय की उम्मीद कर सके ! एक पुलिस थी और उनका रविया तो आपको बता ही दिया है।

सि सि टि वी चैक किया तो पता चला जब विक्टिम कॉलेज के सामने से गई तब वहा कुछ तीन या चार , नशे मे धुत आदमी थे ।

अब ऐसे मे पुलिस को क्या करना चाहिए था । उन्हे हिरासत मे लेना चाहिए था । पूछताछ करनी चाहिए थी । पर पुलिस ने क्या किया ! वो उनके पास गई और पुछा कि क्या आपने लडकी को देखा है ? उन लोगो ने मना कर दिरा और पुलिस चली गई ।

ये फुटेज दो बजे के करीब की थी और आगे तीन बजे तक की फुटेज खाली ! कुछ नही !

ये घटना तेरह तारिक को हुई थी और आज 21 तारिख हो गई है।
कार्रवाही के नाम पर कुछ पुलिस वालो का तबादला हुआ या स्सपेंड ।

एंड रिपोर्ट मे कहा गया कि विक्टिम के साथ कोई रेप नही हुआ।  कोई उसकी गला नही काटा गया । कोई इंजरी नही ! विक्टिम किट नाशक खाकर आत्म हत्या कर ली !

क्या कोई इतनी बुरी तरह से आत्महत्या करता है ? नही ! और उस लडकी को क्या पडी थी ये कदम उठाने की जब लो खुद अपने पापा को फोन करके कहती है की वो बि एस सी नर्सिंग का फॉर्म भरने जा रही !

सर्कार ने आंखे बंद कर ली है ! पुलिस कभी कुछ आरती नही ! न्यूज चैनल को बस भारत पाकिस्तान,  और धर्म के नाम.पर हो.रही राजनिति दिखानी है या रूस यूक्रेन युद्ध !


किसी को कोई मतलब नही !

क्या सच मे ये देश आजाद है ? नही !
क्या लडकिया सुरक्षित है ? नही !
क्या न्याय मिलता है ? नही !
क्या आवाज उठाई जाती है ? आवाज उठाने वाले को दबा दिया जाता है!

वी वुमेन हैव.टू स्टेंड अप फॉर्म आर सेल्फ एंड फाईट ! बिकॉज नो वन इज गोइंग टू सेव अस !

कोई गोविंद नही आने वाले लाज बचाने के लिए!

खुद ही खुद की रक्षा करनी है । अपने साथ हथियार रखा करो लडकियों! आत्म रक्षा सिखों! मार्शल आर्ट्स सिखो! शस्त्र उठाओ !

क्योकि सरकार से तो न्याय की जरा भी उम्मीद नही !

gautamreena712gmail.com185620

✧ कथा-वाचकों की वास्तविकता ✧

आजकल प्रवचन देने वाले साधारणत: तोते बने हुए हैं —
शास्त्र पढ़ लिया, याद कर लिया, मंच पर जाकर सुना दिया।

लेकिन समस्या यह है:

वे अपने व्यक्तिगत अनुभव से नहीं बोलते।

समय और परिस्थिति की समझ नहीं दिखाते।

आज की समस्याओं का वास्तविक समाधान नहीं देते।



---

✧ शास्त्र का उपयोग या दुरुपयोग? ✧

शास्त्र ज्ञान का स्रोत हैं, परंतु:

इसे पहले अपने जीवन में अनुभव कर पचाना चाहिए।

फिर उसे समय और समाज की ज़रूरत के अनुसार प्रस्तुत करना चाहिए।


लेकिन प्रवचनकर्ताओं का काम उल्टा है:

कच्चा ज्ञान जैसे खदान से निकला पत्थर, सीधे जनता पर फेंक दिया।

न समाधान देते हैं, न भ्रम मिटाते हैं।

उल्टे अंधविश्वास और संप्रदायवाद को और बढ़ावा देते हैं।



---

✧ असली समस्या ✧

1. संस्था और गुरु का प्रचार – प्रवचनकर्ता अपने गुरु, अपनी परंपरा, अपनी संस्था को ही सर्वोपरि बताते हैं।


2. भ्रम फैलाना – समाधान की जगह और अधिक डर, भ्रम और अंधविश्वास बोते हैं।


3. प्रश्नों से बचना – जनता अगर सवाल करे तो तुरंत “शास्त्र में ऐसा लिखा है” कहकर निकल जाते हैं।


4. सामाजिक जिम्मेदारी का अभाव – असली प्रश्न (गरीबी, हिंसा, तनाव, शिक्षा, परिवार) पर चुप्पी साध लेते हैं।




---

✧ जनता क्यों चुप है? ✧

डर: धर्म के नाम पर सवाल उठाने से लोग डरते हैं।

आदत: वर्षों से “प्रवचन = धर्म” मानकर बैठे हैं।

आलस्य: खुद सोचने–समझने की मेहनत नहीं करना चाहते।



---

✧ निष्कर्ष ✧

आज के अधिकांश प्रवचन केवल चतुर वाणी का नाटक हैं,
न कि सच्चा आत्मानुभव।

धर्म का असली काम है –
✨ भ्रम मिटाना
✨ सत्य दिखाना
✨ शांति और प्रेम जगाना

लेकिन यह सब तभी संभव है जब प्रवचनकर्ता:

पहले स्वयं शास्त्र का अनुभव करे,

फिर समय और समाज की ज़रूरत देखकर बोले,

और जनता भी प्रश्न पूछने की हिम्मत करे।



---

🌱 धर्म समाधान का नाम है, समस्या बढ़ाने का नहीं।
आज जरूरत है अनुभवजन्य, साहसी और सत्यनिष्ठ प्रवचनकर्ताओं की – जो केवल शास्त्र न सुनाएँ, बल्कि जीवन में जीकर सत्य को सामने रखें।

bhutaji

ક્યાં કહું છું, બોજ સરળ દઈ દે?
બસ ઉપાડવાનું, મને બળ દઈ દે;
એકાદ આધાર તો જોઈશે અમને,
અણસાર નહીં, તો અટકળ દઈ દે;
💛🧡❤️

dipika9474

happy Ganesh Chaturthi

dkb4703

Happy Ganesh chaturthi

kattupayas.101947

Good morning friends.. Have a great day

kattupayas.101947

शुभ सकाळ 🙏🙏

machhindramali4455

कल का दिन कैसा भी रहा हो....
© Fakira ✍️

vijayparmar2820

Tere Liye To Ye Bhi Gawara Hai Mujee 🤗🤗🤗

mayankbhandari84gmail.com090614

Missing you Mithuu ❤❤❤

mayankbhandari84gmail.com090614

Goodnight friends

kattupayas.101947

When Goals Fade, but Loss Remains



Professional achievements come and go. We set goals, we chase them, and even if we fail, new opportunities always arise. But personal loss is different. When we lose someone we love, a piece of us goes with them. No success, no milestone, no recognition can ever replace that emptiness. Professional goals are temporary, but personal loss is permanent—it stays with us, shaping who we become and how we see life.

nensivithalani.210365