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લોક વાણી ભાગ ૧
મુર્ખ થઈ ને સહે,એની વહે વાત.
અજ્ઞાની માથે ફરે,તૃણ લઈ આવે વાત.
તારા હિણતાના હણ્યા હજાર..........
લોભ પચેડો માથે મેલ્યો,
સંસાર સઘળું ભાન ભૂલ્યો.
ઢોર પાછળ જેમ ફર ેછે ઢંઢાર.....
મોહ માયા વ્યાપી અંગે,
સ્વાર્થ માં ના કોઈ સંગે.
વિત્યા જે નર તુજ પુર્વે તે સંભાર.....
કુંડી કાયા દુર્ગુણ માથે,
વિકારો ના વન ખેડવા ન સાથે.
શીલ વિવેક હિણ દેહ સંભાર......
અવતરી રહે પલ અંતરની,
ન નીતિ દયા ઘર્મ ઘડતરની.
કેમ સૂખ મા સરે સંસાર........
કહે મનજી મનરવ વહે વાત,
શીખા મણે ચાલે સહુ ભુજી ભાત.
વીતે સમય વીજ ચમકાર......
મનજીભાઈ કાળુભાઇ મનરવ મુ બોરલા
📘 टाइटल: "तेरे बिना अधूरी सी ज़िंदगी"
(अगर तुम चाहो तो इसे बाद में बदल भी सकते हो!)
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💞 कहानी का छोटा सारांश (Summary for Profile):
> “तेरे बिना अधूरी सी ज़िंदगी” एक साधारण लड़के और एक अमीर लड़की की ऐसी मोहब्बत की कहानी है, जो झूठ से शुरू होकर सच्चाई से टकराती है।
रिश्तों की उलझनों, अतीत के रहस्यों और दिल को छू लेने वाले इमोशन्स से भरी इस कहानी में प्यार सिर्फ एक एहसास नहीं, एक जंग है — खुद से, दुनिया से, और क़िस्मत से।
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🔥 भाग 1: पहली टक्कर
📍स्थान: दिल्ली का एक कॉलेज
📖 कहानी:
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[पार्ट 1 – पहली टक्कर]
> “ओए! देख के चलो ना!”
अनन्या की चिल्लाने वाली आवाज़ इतनी तेज़ थी कि आधा कैंपस घूम गया।
अर्जुन – जो अपनी पुरानी साइकल से बस हॉस्टल जाने की कोशिश कर रहा था – एकदम झेंप गया।
“मैडम, ब्रेक लगाते तो खुद गिर जातीं। मैंने बचाया, थैंक यू तो बोलो कम से कम।”
“थैंक यू? Seriously? मेरी 20 हज़ार की सैंडल तूने खराब कर दी और थैंक यू बोलूं?”
“तुम्हारी सैंडल खराब हुई है, मेरी तो इज़्ज़त ही गिरा दी।" अर्जुन ने मुस्कराते हुए कहा।
चारों ओर हँसी गूंज उठी।
अनन्या के गाल गुस्से से लाल हो गए।
“You middle-class people have no manners!”
अर्जुन ने धीरे से कहा,
“और तुम rich people को अक्ल कम, attitude ज़्यादा होता है।”
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और यहीं से शुरू हुआ... एक ऐसा रिश्ता, जिसमें प्यार से पहले नफरत थी, और नफरत से पहले टक्कर।
❤️ तेरे बिना अधूरी सी ज़िंदगी
📖 भाग 2: नाम से नफरत, बातों से वार
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> कॉलेज का पहला दिन... और अर्जुन ने तय कर लिया था – "इस लड़की से जितना दूर रहूँ, उतना अच्छा है।"
लेकिन ज़िंदगी कब किसी की सुनती है?
अगले दिन क्लासरूम में बैठा ही था कि प्रोफेसर ने नाम पुकारा –
“अनन्या कपूर… और अर्जुन राठौर – आप दोनों मिलकर प्रेज़ेंटेशन बनाएंगे।”
“What the hell!” अनन्या ने फुसफुसाते हुए कहा।
अर्जुन मुस्कराया, “लगता है भगवान को हमारा झगड़ा पसंद आ गया।”
“Listen, I don’t like you. Don’t talk to me unnecessarily.”
“सच में? मुझे तो लगा तुम लाइक कर रही हो… वरना इतना ध्यान कौन देता है?”
अनन्या गुस्से से आँखें तरेरती है –
“I swear, ये प्रोजेक्ट खत्म होते ही तुमसे मेरा रिश्ता भी खत्म।”
“रिश्ता तो है ही नहीं… शुरू ही कहां हुआ था?”
सारी क्लास हँस देती है। अनन्या दाँत पीसती है। अर्जुन की मुस्कराहट गहरी हो जाती है।
दिल से नफरत शुरू थी… लेकिन किस्मत कुछ और चाहती थी।
*Ek Paheli Si Thi*
Ek paheli si thi .. jise kabhi samjha hi nahi,
Raah mein thokar mili… par safar ko roka hi nahi.
Chali gayi wo, jo sabse haseen pal thi,
Bas dekha unhe… jee nahi paye.
Guzra zamana, dil bhar laaya,
Aur khud se hi kuch keh nahi paye.
Khushi thi bhi shayad kahin, par ehsaas na ho paya,
Woh thahri nahi...
Aur hum bhi kahaan ruk paye?
Jo sabse pyara tha nazara,
Woh mere naseeb mein likha hi nahi.
Sawan barsa… aankhon ne sab keh diya,
"Rahne do… chalo ab."
_Mohiniwrites
Dil Se...
Pita – Jo Kabhi Thake Nahi
माँ रोती है तो सब देख लेते हैं,
पर पिता थकता है, टूटता है... फिर भी मुस्कुरा देता है।
वो दिन-रात मेहनत करता है,
अपनी ज़रूरतें मारकर हमारे सपने पूरे करता है।
ना शिकायत, ना आंसू,
बस एक उम्मीद — “मेरे बच्चे मुझसे बेहतर जिएं।”
वो अपना सब कुछ दे देता है…
और बदले में सिर्फ एक मुस्कान चाहता है।
सोचिए… क्या हमने कभी अपने पिता को "थैंक यू" बोला है बिना किसी कारण के?
✍️ Pawan,
Ek Pita Ke Khamosh Jazbaat Se.
#Pita #Struggle #Emotion #Respect #Father #RealHero #PawanNandeshwar
कुछ विचार ऐसे होते हैं जिन्हें शब्दों की जरूरत नहीं होती।
वे बस मन के किसी कोने में आकर बस जाते हैं — खामोशी और गहराई से।
हम कई बार उन्हें बायाँ करना चाहते हैं, किसी से साझा करना चाहते हैं,
लेकिन फिर यह सोच कर खामोश हो जाते हैं — कि सामने वाला इंसान इसे समझ पाएगा?
कभी-कभी, जो भाव हम जता नहीं पाते, वही सबसे वास्तविक होते हैं।
जो दर्द जुबान तक नहीं आ पाता, वही सबसे गहरा होता है।
और जो विचार सिर्फ मन में उठते हैं और वहीं समा जाते हैं , वही जीवन की पूर्णता का संकेत होते हैं।
हर बात को साबित करना ज़रूरी नहीं।
हर भाव को जताना आवश्यक नहीं।
कभी-कभी खामोश रह जाना भी एक जवाब होता है।
इस भागदौड़ भरी दुनिया में, लोगों के पास दूसरों की भावनाओं को समझने का समय ही नहीं है।
लोग बस अपनी सुविधा, अपनी सोच और अपनी शर्तों के हिसाब से जीते हैं।
वे न तो आपके विचारों से प्रभावित होते हैं,
न ही आपकी खामोशी से।
इसलिए कभी-कभी हमें अपने मन के तूफ़ानों को अकेले ही झेलना पड़ता है - बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी शिकायत के।
अगर आप अपना दुःख किसी से बाँटेंगे, तो लोग कुछ पल सुनेंगे,
फिर कहेंगे, “भूल जाओ, आगे बढ़ो।”
मानो भूलना कितना आसान है!
मानो किसी गहरे एहसास को एक दिन की बात समझकर भुलाया जा सकता है!
लेकिन ज़िंदगी की यही सच्चाई है -
इस दुनिया में हर एहसास की कद्र नहीं होती।
और हर इंसान उस गहराई को नहीं समझ सकता
जो किसी की आँखों के पीछे छिपी होती है।
लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि हमें महसूस करना छोड़ देना चाहिए?
नहीं।
हो सकता है कि कम ही लोग समझें,
लेकिन अपने भीतर के सच को जीना ही सबसे बड़ी ईमानदारी है। आपके मन में उठने वाले विचार आपकी आत्मा की आवाज़ हैं।
हर विचार, हर भावना, हर मौन -
आपको बेहतर बनाता है।
जो मौन में रहते हैं वे सबसे शक्तिशाली होते हैं।
इसलिए अगली बार जब आपके मन में कोई विचार उठे,
तो इस बात से न डरें कि कोई उसे समझेगा या नहीं।
उसे सहेज कर रखें।
उसे शब्दों में पिरोएँ या चुपचाप जिएँ -
लेकिन उसे खोने न दें।
क्योंकि वही विचार…
तुम हो।
— धीरेंद्र सिंह बिष्ट | लेखक : मन की हार ज़िन्दगी की जीत
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అమ్మ వోడి లో ప్రశాంతంగా నిద్ర
పోతున్నా పసి పాపలా...
షరతు లే ,లేని ప్రియురాలి ప్రేమ లాలన లో
నులివెచ్చని యద కౌగిలిలో ఒదిగిన ప్రియుడి లా,
ఈ లేత పొగ మంచు తెరల చాటున
అలుముకున్నా పచ్చని ప్రకృతి
ఒకవైపు....
ఆ దృశ్యాన్ని మరింత అద్భుతం గా
మర్చడనికి అన్నట్టు,
గాలితో నృత్యం చేస్తూ మబ్బుల అంచులనీ తాకుతూ, కీలాకిలా రవాలనే స్వరాలు గా మలిచి
కృతఙ్ఞత లు తెలుపుతూ ,
రేపనే ఆలోచనే లేక స్వేచ్ఛ గా
అల్లరి చేస్తూ కేరింతలు కొడుతున్న గువ్వలు
గోరింకలు ఒకవైపు....,
వెచ్చని నా తనువుని తాకుతూ,
వెళ్ళే ఆ చల్లని పిల్ల గాలుల చిలిపి సవ్వడులు ఒకవైపు...
ప్రపంచాన్ని మేల్కొల్పడానికీ నేనే ఉన్న అన్నట్టు ,
ఆ ధవళ వర్ణపు మంచు తెరలని చీల్చుకుంటు నేలని
తాకడానికి ప్రయత్నిస్తున్న భానుడి కిరణాలూ,
ఒకవైపు....
రెక్కడి తే గాని డొక్కడని జీవితాల నడుమ ,
బతుకు బండి ముందుకు నడిపించే పని లో
పూర్తిగా నిమగ్నమై..!
ఆస్వాదించే మనస్సు ,ఆనందించే తీరిక లేక
అంతం లేని మా ఈ ఆకలి కేకలకు సమాధానం
చెప్పేది ఎవ్వడంటూ, దేన్ని పట్టించుకోకుండ రేపటి కోసం భయపడుతూ బతుకు భారమై ముందుకు సాగిపోతున్న, ఈ కాలపు యాంత్రిక మనిషి....ఇంకోవైపు....!
మధుకర్...✍️
लेखक: मन की हार ज़िन्दगी की जीत
शीर्षक: खामोशी के सवाल
खामोशी… यह सिर्फ़ एक मौन नहीं, बल्कि मन की सबसे ऊँची आवाज़ होती है। जब बाहर सब शांत होता है, तब भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। यही खामोशी हमें हमारे सबसे गहरे विचारों से मिलवाती है — कभी सुकून देती है तो कभी बेचैनी। जब शब्द थम जाते हैं, तब सवाल उठते हैं।
मन की लहरें शांत समुद्र की तरह दिखती ज़रूर हैं, पर अंदर एक तूफान छिपा होता है। अक्सर मन में ये सवाल उठते हैं – क्या सही है, क्या ग़लत? कौन सा रास्ता चुनें, कौन सा छोड़ दें? कई बार कुछ विचारों को छोड़ देना ही समझदारी होती है, लेकिन वही विचार जब लौटकर आते हैं, तो मन और अधिक बेचैन हो उठता है।
कुछ भावनाएं हमें खींचती हैं, कुछ हमें तोड़ती हैं। पर सबसे बड़ा संघर्ष तब होता है जब हमारा ही मन हमसे बगावत करने लगे। हम वही करना चाहते हैं जो हमें प्रिय है, लेकिन मन कभी डर दिखाता है, कभी उलझनें। और जब हम उस प्रिय चीज़ से दूर हो जाते हैं, तो एक खालीपन हमें घेर लेता है।
मन का स्वभाव बड़ा ही विचित्र है — यह कभी हमें ऊँचाई तक ले जाता है, तो कभी गहराई में डुबो देता है।
शायद इसीलिए खामोशी सब कुछ कह जाती है — वो बातें, जिन्हें हम कह नहीं सकते, वो सवाल, जिन्हें हम समझ नहीं पाते।
और इस खामोशी में ही शायद हमारी असली जीत छुपी होती है — जब हम अपने ही मन से हारकर, खुद को फिर से समझना शुरू करते हैं।
- लेखक: मन की हार ज़िन्दगी की जीत
तू चला गया…
मगर तेरी यादें अब भी सीने में सांस लेती हैं…
हर धड़कन अब भी तेरा नाम लेती है…
और मैं…
मैं अब भी ज़िंदा हूँ,
बस थोड़ा कम…
---
> तेरी हँसी अब आवाज़ नहीं करती,
लेकिन कानों में गूंजती है…
तेरे बिना जो खामोशी आई है,
वो अब मेरी सबसे गहरी दोस्त बन चुकी है।
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> तुझसे शिकायतें नहीं रहीं अब,
शायद तेरा चले जाना ही मुकद्दर था…
लेकिन एक बात बता…
जिस प्यार को तूने ठुकराया, वो आज भी तेरा इंतज़ार करता है।
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> लोग कहते हैं, वक्त सब ठीक कर देता है…
पर मेरा वक्त तो तेरे साथ ही रुक गया था…
अब जो भी चलता है —
वो सिर्फ सांस है, ज़िंदगी नहीं।
---
> मैं तुझे भुला नहीं पाया…
और शायद…
तुझे चाहने से थक भी नहीं पाया।
---
🥀 अंतिम पंक्तियाँ:
> अगर कभी लौटना चाहे…
तो दरवाज़ा अब भी खुला है —
बस उस दिल के पास जाना होगा…
जो अब भी तेरे नाम पर धड़कता है… 💔
दिलों का ज़हर
#कलयुग
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