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રાધે ક્રિશ્ન 🙏🙏

jighnasasolanki210025

🌹 सात जन्म तुझ पर कुर्बान 🌹

वो कहता है —
बहुत प्यार करता हूँ तुझसे,
तुझसे बिछड़ जाऊँ तो जी न पाऊँ।

पाऊँ अगर तेरा साथ तो ज़िन्दगी सँवर जाए,
जाए तो भी साँसें तेरे बिना थम जाएँ।

जाएँ अगर लम्हे तेरे बिन तो अधूरे लगते हैं,
हैं सभी ख्वाब मेरे बस तुझी में सिमटते।

सिमटते हैं जब अरमान तेरी धड़कन में,
मैं ही नहीं — सात जन्म भी तुझ पर कुर्बान कर दूँ।

कर दूँ इश्क़ ऐसा कि दुनिया मिसाल दे,
दे अपना सब कुछ, तेरे बिना सवाल ही क्या।

क्या है ख़ुशी, अगर तू पास न हो मेरे,
मेरे लिए तो खुदा भी तू, और इबादत भी तू।

saraswagi

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✨ अधूरे सपनों की चादर ✨

हम सबकी ज़िंदगी में कुछ न कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं।
कभी हालात, कभी रिश्ते और कभी वक्त उन्हें पूरा नहीं होने देता।

मेरे लिखे उपन्यास “अधूरे सपनों की चादर” इन्हीं अधूरे ख्वाबों और अनकहे जज़्बातों की दास्तान है।
यह कहानी सिर्फ मेरी नहीं, हर उस दिल की है जिसने कभी चुपचाप अपने सपनों को तह करके रख दिया।

📖 अगर आपने भी अपनी ज़िंदगी में ऐसे पल महसूस किए हैं, तो यह उपन्यास आपके दिल को ज़रूर छुएगा।

👉 पढ़ें – अधूरे सपनों की चादर
क्योंकि हर अधूरा सपना, किसी न किसी आत्मा की पूरी कहानी कहता है।

💌 आपका समय और प्रतिक्रिया मेरे लिए अनमोल है।

umabhatia #umaroshnika #"अधूरे सपनों की चादर "उपन्यास
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-Matrubharti पर आप पढ़ सकते हैं फ्री

umabhatiaumaroshnika941412

Niyas KN is the reminder that one person can ignite a thousand paths.

niyaskn

The Future Is Bionic: What’s Next for Eye Care & Vision Tech?

Eye care is no longer limited to glasses and simple surgeries. With the rise of cutting-edge technologies, the way we treat and protect vision is evolving faster than ever. Here’s a glimpse into what the future holds:

Smart Contact Lenses – Soon, lenses won’t just correct vision, they’ll monitor health and display data in real-time.

Bionic Eye Implants – Advanced implants are being developed to restore partial sight to people with blindness, opening new hope for millions.
AI & Robotics in Surgery – Artificial Intelligence and robotic systems are making eye surgeries safer, faster, and more precise.

Gene Therapy – Instead of managing symptoms, doctors may soon cure genetic eye diseases at their root through DNA-level treatments.

The future of vision is bionic, digital, and smarter than ever before. At Netram Eye Foundation, we are committed to staying ahead in adopting innovations that bring the best eye care to you.

📍 Visit us at E-98, GK-2, New Delhi – because your eyes deserve the future of sight!
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netrameyecentre

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है ज्ञान का उजाला

mamtatrivedi444291

કોઈ નાદાન વ્યકિતએ નાદાન પ્રશ્ન કર્યો.

લખવાથી શું મળે છે?
બસ ખુબજ નાનો પ્રશ્ન?

કિંતુ મનમાં અનેક પ્રશ્નાર્થ નાં વમળો નું સર્જન.
લખવાથી શું મળે?

મેં પુછ્યું પુછવાથી શું મળ્યું?

કંઈ નહીં બસ જવાબ મળે તો શાંતિ મળે.

શાંતિ લખાણના પાયામાં પણ હતી જ તો પણ વિસ્તાર થી કહ્યું.

કોઈ એક જ કારણથી થોડા લખતાં હોઈ છે.

લખાણ તો અઢળક કારણો ને કારણે સર્જાયેલું સમાધાન રહ્યું.

કોઈ માટે લખાણ અર્થ ઉપાર્જન નું ફક્ત માધ્યમ બની રહેતું હોય છે.

કોઈ માટે ખુદનાં ટમ ટમી રહેલા તારલાઓ જેવા વિચારોને વિશાળ નભના ફલક પર ફેલાવાની અને જાળવવાની આકાંક્ષાઓ થી પ્રેરિત હોય છે.

લખાણ એમ જ થોડું લખાય છે.
મનને કેટલો વલોપાત કરવો પડે છે ત્યારે નવનીત મળે છે.

મનનાં વિચારો નો આવેગ કાગળ પર પેનથી લખાય છે ત્યારે ખરેખર કેટલી રાહત થાય છે.

અદભુત ક્ષણો નો સંયોગ બને છે.

કોઈ તુટેલું હૈયું પણ ખુબજ ચીવટ થી પોતાની વ્યથા શબ્દોમાં આલેખીને જમાના સમક્ષ રજૂ કરતું હોય છે.

તેના દર્દને તે સમયે આ લખાણ જ દર્દ નિવારક મલમ નું કામ આપતું હોય છે.

કોઈ વાંચનાર હંમેશા લખનારનો આભારી રહે છે.

લખનાર પણ કોઇના લખેલાં લખાણોને વાંચીને લખવા માટે કાર્યરત બનતો હોય છે કે બનેલો હોય છે.

જીંદગીમાં જ્યારે લખવાનું અટકી જશે ત્યારે સ્મરણ રાખવું કે સ્મરણમાં ના રહેલી ઘણી જ ઘટનાઓનો ઇતિહાસ ઈતિહાસ બની જશે.

કોઈનાં માટે લખવું એ નિજાનંદ આનંદ છે.
નિજાનંદ આનંદ એટલે શું?
એ પણ પ્રશ્ન રહ્યોં

જેને જેમાં રુચિ છે તેને તેમાં બસ અનુભવ્યો આનંદ તે જ નિજાનંદ.

આપણો નિજાનંદ કલમ અને કાગળ સાથે નો સથવારો.

parmarmayur6557

ધંધામાં દેણ-લેણનો પ્રશ્ન દરેકને આવે છે…
તમારી દૃષ્ટિએ સારો વ્યવહાર કઈ રીતે રાખવો જોઈએ?
👇 વિચારો લખો
🔗 માર્ગદર્શન માટે ક્લિક કરો: https://dbf.adalaj.org/pFs2fBfv

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dadabhagwan1150

कलियुग के रिश्ते

आजकल का युग बड़ा खतरनाक हो चला है।
रिश्तों में धोखे का खेल खुलकर खेला जा रहा है।

बेटा प्रेमिका पर मरता है,
मां बेटे पर इस कारण बैर करती है,
बहु या पत्नी पूरा परिवार झेलता है।

मां को डर है, कहीं बहु उसे बेटे से अलग न कर दे।
हर रोज बहु को नए–नए जाल में फंसाया जाता है,
उसकी गलती न होते हुए भी उसे गलत ठहराया जाता है।

मां बेटे के सामने खुद को अच्छा दिखाती,
बहु की कमियां गिनाती,
इसीलिए पति पत्नी को गलत समझता है।

पति प्रेमिका को देवी समझता है,
मां को भगवान।
लेकिन इन मीठे चेहरों के पीछे छुपे असली रूपों की पहचान
कैसे हो?
प्रेमिका और मां मीठी–मीठी बातें कर,
उसके सामने खुद को अच्छा दिखाती है।

पत्नी जाल में फस जाती है,
बचने के लिए पति को बताती है,
तो उल्टा उसी से झगड़ा होता है,
क्योंकि विश्वास तो मां पर है,
पत्नी पर कैसे करे?
पत्नी को झूठ बोलना नहीं आता,
शायद इसलिए उसे बुरा कहा जाता है।

कलियुग में रिश्तों में क्लेश का कारण
पति की प्रेमिका, पत्नी का प्रेमी
या किसी तीसरे की चाल भी हो सकता है।
रिश्ता कमजोर होता है,
झगड़े का कारण बन जाता है।

हाँ, सब पति–पत्नी ऐसे नहीं होते।
जो सच्चे होते हैं, वे मौज में रहते हैं।
पवित्र रिश्तों का हिस्सा,
प्रेम ही प्रेम में बदल जाता है।

सच कहूँ,
यदि पति–पत्नी में कोई एक
दूसरे को न समझे,
पति पत्नी की इज़्ज़त न करे,
तुम सही हो यह जानते हुए भी
अपने लोगों का साथ दे
और तुम्हें गलत ठहराए—
तो ऐसा घर नहीं चलता।

एक बचाने पर लगा है,
तो दूसरा तोड़ने पर।
तोड़ने वाला ही बड़ा खिलाड़ी बनता है।
जरूरी नहीं कि पत्नी ही घर तोड़ रही हो।
अक्सर जो मीठा बोलकर
पति–पत्नी में जहर घोलता है,
वही असली कारण होता है
रिश्तों के टूटने का।

इसीलिए,
कलियुग में पति पत्नी का रिश्ता जल्दी टूटता हैं।


---लेकिन यह बात सभी सास–मां पर लागू नहीं होती।
कई सास–माएं तो बहु को बेटी जैसा मानकर
घर को संभालने और जोड़ने में लग जाती हैं।

archanalekhikha

✦ My Contract Marriage ✦


शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।



अध्याय 1 – सौदा

आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।

उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।

एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”

आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।

कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।

आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”

कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।



अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत

शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।

दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।

शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।

आरव काम में व्यस्त रहता।

कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।

दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।


अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।

लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।



अध्याय 3 – बदलते रिश्ते

धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।

एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”

आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।

इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।



अध्याय 4 – दिल की धड़कनें

समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।

एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।

दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।


अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।

दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”



अध्याय 5 – तूफ़ान

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।

आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।

दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?

गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”

दोनों अलग हो गए।


अध्याय 6 – सच्चाई

कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।

वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”

कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”




अध्याय 7 – नया सफ़र

दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।

आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।

विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।


उपसंहार

कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

rajukumarchaudhary502010

चुप्पी

हज़ारों लफ़्ज़ उमड़ते हैं,
पर होंठों तक आते ही ठहर जाते हैं,
दिल की गलियों में गूंजते सुर,
दुनिया के शोर में खो जाते हैं।

नज़रों में चमक, चेहरे पे हंसी,
पर भीतर कहीं तूफ़ान छिपा होता है,
जो कह न सका, वही बोझ बनकर,
रातों की नींद चुरा लेता है।

कितनी बार चाहा बोल पड़ें,
कितनी बार चाहा हाथ थाम लें,
पर डर है—कहीं ठुकरा दिए गए तो?
यही सोचकर फिर से चुप रह लें।

लोग समझते हैं—ये खामोश हैं,
पर ये खामोशी भी एक कहानी है,
दिल की गहराई से निकली पुकार,
जो कभी किसी तक नहीं पहुँच पाती है।

यूँ ही हज़ारों चेहरे के बीच,
अपना ही साया बनकर रह जाते हैं,
जो कह न सके दिल की बातें,
वो ज़िंदगी भर चुपचाप जी जाते हैं।

पर एक सच ये भी है—
जो दिल की बात कहने का साहस कर लेता है,
वो अपने अकेलेपन को तोड़ देता है।
हर खामोशी के पीछे एक रिश्ता छिपा होता है,
बस ज़रूरत है पहला शब्द कह देने की।

क्योंकि अक्सर सामने वाला भी
यही सोचता रह जाता है—
काश… वो कह देता!

DB-ARYMOULIK

deepakbundela7179

Good morning friends.. have a great day

kattupayas.101947

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक हैं सफ़र कि सीमा

mamtatrivedi444291

👻 हवेली की दास्तान

शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था।

कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया।



🔦 चार दोस्तों का साहस

रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ।

गाँववालों ने मना किया –
"बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।"

लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा,
"ये सब अंधविश्वास है।"

एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे।



🏚️ हवेली के भीतर

हवेली का दरवाज़ा चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ खुला। अंदर सन्नाटा पसरा था। दीवारों पर मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ, और फर्श पर जमी धूल। लेकिन उस सन्नाटे में भी सबको लगा जैसे कोई उनकी साँसें सुन रहा हो।

सीमा ने कहा,
"मुझे लग रहा है कोई हमें देख रहा है।"

आदित्य हँसते हुए बोला,
"अरे डरपोक मत बनो। ये सब हमारा वहम है।"

वे हवेली के बीचोंबीच बने बड़े कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी। अलमारी के अंदर उन्हें एक काली डायरी मिली।


📖 डरावनी डायरी

राहुल ने धूल साफ़ करके डायरी खोली। उसमें लिखा था:

"मैं रूपा… ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी। मुझे धोखा दिया गया, ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया। मेरा खून इन दीवारों में बहता है। जो भी मेरी चीखें सुन लेता है, वो कभी इस हवेली से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक कोई मेरी अधूरी कहानी पूरी नहीं करेगा, मैं हर आत्मा को यहाँ कैद कर लूँगी।"

इतना पढ़ते ही हवेली का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। तेज़ हवा चली, टॉर्च की रोशनी झपकने लगी।



👁️ प्रेतात्मा का आगमन

अचानक दीवार से खून टपकने लगा। सीमा चीख पड़ी। तभी वहाँ एक औरत का साया उभरा – सफ़ेद साड़ी, खुले बिखरे बाल, चेहरे पर काला घूँघट, और आँखें लाल जलती हुई।

वो धीरे-धीरे सीमा की ओर बढ़ी।

"तुम… मेरी दास्तान पढ़ चुके हो… अब तुम कभी नहीं जाओगे।"

सीमा डर से काँप रही थी। राहुल और कविता ने उसे पकड़कर भागना चाहा, लेकिन हवा इतनी तेज़ थी कि दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा था।



💀 सीमा की चीख

प्रेतात्मा ने सीमा का हाथ पकड़ लिया। उसी क्षण पूरे कमरे में भयानक चीख गूँजी। रोशनी चली गई। जब टॉर्च दोबारा जली, सीमा वहाँ नहीं थी – बस उसकी टूटी चूड़ियाँ और खून के धब्बे पड़े थे।

राहुल, आदित्य और कविता ने किसी तरह ज़ोर लगाकर दरवाज़ा खोला और हवेली से बाहर भागे। जैसे ही बाहर पहुँचे, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।



🌑 आज तक का रहस्य

तीनों किसी तरह गाँव लौटे। उन्होंने सबको सच बताया, लेकिन कोई उनकी बात पर यक़ीन नहीं करता। गाँववाले कहते हैं, सीमा अब हवेली का हिस्सा बन चुकी है।

रात को हवेली के अंदर से आज भी हँसी और चीखें सुनाई देती हैं – कभी रूपा की, कभी सीमा की।

जो भी वहाँ जाता है, वह हवेली की दीवारों में समा जाता है।
हवेली अब सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि आत्माओं की जेल बन चुकी है।



😨 यह थी हवेली की दास्तान… एक ऐसी जगह जहाँ कदम रखते ही इंसान ज़िंदा नहीं लौटता।

rajukumarchaudhary502010

🌹 पहली नज़र का इश्क़ 🌹

दिल्ली की ठंडी शाम थी। कॉलेज का कैंपस अपने शोर और चहल-पहल से भरा हुआ था। वहीं, भीड़ के बीच आरव पहली बार उसे देखता है—
एक लड़की, सफ़ेद कुर्ते में, बाल हवा में उड़ते हुए, हाथों में किताबें संभालती हुई… उसका नाम था अन्वी।

आरव को लगा जैसे वक़्त रुक गया हो। वो कुछ कह नहीं पाया, बस दूर से उसे देखता रह गया।

दिन बीतते गए। लाइब्रेरी में, कैफ़ेटेरिया में, और कभी-कभी बस-स्टॉप पर—आरव की नज़र हमेशा उसी पर टिक जाती।
पर वो बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

एक दिन, लाइब्रेरी में किताब गिरने पर दोनों का हाथ एक साथ किताब उठाने के लिए बढ़ा।
पहली बार उनकी आँखें मिलीं।
और शायद वहीं से कहानी शुरू हुई।

धीरे-धीरे बातचीत हुई। किताबों पर, सपनों पर, और ज़िंदगी पर।
अन्वी को आरव का सच्चा और मासूम स्वभाव पसंद आने लगा।
और आरव… वो तो पहले ही उसका हो चुका था।

लेकिन प्यार कभी आसान नहीं होता।
अन्वी के घरवाले सख़्त थे। पढ़ाई पूरी होने तक किसी रिश्ते की इजाज़त नहीं थी।
आरव जानता था कि उसे सब्र करना होगा।

वक़्त गुज़रता गया।
आरव ने सिर्फ़ एक वादा किया—
"अन्वी, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा। चाहे जितना भी वक़्त लगे।"

तीन साल बाद…
जब अन्वी ने अपनी पढ़ाई पूरी की, उसके घरवाले हैरान रह गए कि जो लड़का तीन साल तक बिना किसी उम्मीद के उसके लिए खड़ा रहा, वो कितना सच्चा होगा।

और उस दिन, अन्वी ने मुस्कुराकर कहा—
"आरव, अब और इंतज़ार नहीं। ये ज़िंदगी तुम्हारी है।"

आरव की आँखों में खुशी के आँसू थे।
उसकी पहली नज़र का इश्क़ आखिरकार हमेशा के लिए उसका हो गया।



✨ सीख: सच्चा प्यार कभी हारता नहीं। वक्त चाहे जितना भी ले, अगर इरादे साफ़ हों और दिल सच्चा हो—तो दो दिल हमेशा मिल जाते हैं।

rajukumarchaudhary502010

👻 हवेली की दास्तान

शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था।

कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया।



🔦 चार दोस्तों का साहस

रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ।

गाँववालों ने मना किया –
"बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।"

लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा,
"ये सब अंधविश्वास है।"

एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे।



🏚️ हवेली के भीतर

हवेली का दरवाज़ा चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ खुला। अंदर सन्नाटा पसरा था। दीवारों पर मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ, और फर्श पर जमी धूल। लेकिन उस सन्नाटे में भी सबको लगा जैसे कोई उनकी साँसें सुन रहा हो।

सीमा ने कहा,
"मुझे लग रहा है कोई हमें देख रहा है।"

आदित्य हँसते हुए बोला,
"अरे डरपोक मत बनो। ये सब हमारा वहम है।"

वे हवेली के बीचोंबीच बने बड़े कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी। अलमारी के अंदर उन्हें एक काली डायरी मिली।


📖 डरावनी डायरी

राहुल ने धूल साफ़ करके डायरी खोली। उसमें लिखा था:

"मैं रूपा… ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी। मुझे धोखा दिया गया, ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया। मेरा खून इन दीवारों में बहता है। जो भी मेरी चीखें सुन लेता है, वो कभी इस हवेली से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक कोई मेरी अधूरी कहानी पूरी नहीं करेगा, मैं हर आत्मा को यहाँ कैद कर लूँगी।"

इतना पढ़ते ही हवेली का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। तेज़ हवा चली, टॉर्च की रोशनी झपकने लगी।



👁️ प्रेतात्मा का आगमन

अचानक दीवार से खून टपकने लगा। सीमा चीख पड़ी। तभी वहाँ एक औरत का साया उभरा – सफ़ेद साड़ी, खुले बिखरे बाल, चेहरे पर काला घूँघट, और आँखें लाल जलती हुई।

वो धीरे-धीरे सीमा की ओर बढ़ी।

"तुम… मेरी दास्तान पढ़ चुके हो… अब तुम कभी नहीं जाओगे।"

सीमा डर से काँप रही थी। राहुल और कविता ने उसे पकड़कर भागना चाहा, लेकिन हवा इतनी तेज़ थी कि दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा था।



💀 सीमा की चीख

प्रेतात्मा ने सीमा का हाथ पकड़ लिया। उसी क्षण पूरे कमरे में भयानक चीख गूँजी। रोशनी चली गई। जब टॉर्च दोबारा जली, सीमा वहाँ नहीं थी – बस उसकी टूटी चूड़ियाँ और खून के धब्बे पड़े थे।

राहुल, आदित्य और कविता ने किसी तरह ज़ोर लगाकर दरवाज़ा खोला और हवेली से बाहर भागे। जैसे ही बाहर पहुँचे, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।



🌑 आज तक का रहस्य

तीनों किसी तरह गाँव लौटे। उन्होंने सबको सच बताया, लेकिन कोई उनकी बात पर यक़ीन नहीं करता। गाँववाले कहते हैं, सीमा अब हवेली का हिस्सा बन चुकी है।

रात को हवेली के अंदर से आज भी हँसी और चीखें सुनाई देती हैं – कभी रूपा की, कभी सीमा की।

जो भी वहाँ जाता है, वह हवेली की दीवारों में समा जाता है।
हवेली अब सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि आत्माओं की जेल बन चुकी है।



😨 यह थी हवेली की दास्तान… एक ऐसी जगह जहाँ कदम रखते ही इंसान ज़िंदा नहीं लौटता।

rajukumarchaudhary502010

परिंदों को यहां पर आशियाना मिल नहीं सकता ।
सियासत कह नहीं सकती ये साखें जानती हैं ।।

हुकूमत की हकीकत को यूं ही कब तक छिपाओगे ।
हुआ कितना बखेड़ा है दीवारें जानती हैं ।।

मुहब्बत दिल में रखने से भला कुछ भी नहीं होगा ।
जवां बेबस भलां हों पर निगाहें जानती हैं ।।

यह आईना तुम्हारा है यह पत्थर भी तुम्हारे हैं ।
कि शायर मर नहीं सकता किताबें जानती हैं ।।

तेरी दीवानगी में यूं फिदा कितने हो गए होंगे ।
जमाना जानता है यह मजारें जानती हैं ।।

- आनन्द गुर्जर सहोदर

anandsinghgurjar99gmail.

yaadein

#TriggerThoughts
© gunjan Gayatri
Aaj mera apne phone
kisi ka missed call
dekha.
uska jisne bina kuch
kaahe dil ko dukhaya
meri kuch yaadon ko
vo din chaap chuka
hai,

kyunki ek din day tha
meri friend ka birthday
par jab class mein pahunchi(reach).....

Check out complete Poem on Writco by Gunjan Gayatri
https://writco.in/Poem/P81106112025105011

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#Writco #WritcoApp #WritingCommunity

gunjangayatri949036

हर एक साँस में बसा है तन्हा सफर,
आँखें भी अब कहानी नहीं कहती।
चुपके से बहते हैं आँसू दरिया बन,
जिसे रोकना अब मुमकिन नहीं।

तेरा एहसास अब हर पल का दर्द बन गया,
हर ख़ुशी अधूरी, हर मुस्कान बेगानी।
ये वक़्त भी अब बस एक बेवफा सिलसिला,
जहाँ दिल खो गया अपनी पहचान में।

akshaytiwari128491

✦ My Contract Marriage ✦


शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।



अध्याय 1 – सौदा

आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।

उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।

एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”

आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।

कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।

आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”

कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।



अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत

शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।

दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।

शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।

आरव काम में व्यस्त रहता।

कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।

दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।


अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।

लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।



अध्याय 3 – बदलते रिश्ते

धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।

एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”

आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।

इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।



अध्याय 4 – दिल की धड़कनें

समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।

एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।

दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।


अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।

दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”



अध्याय 5 – तूफ़ान

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।

आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।

दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?

गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”

दोनों अलग हो गए।


अध्याय 6 – सच्चाई

कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।

वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”

कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”




अध्याय 7 – नया सफ़र

दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।

आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।

विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।


उपसंहार

कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

rajukumarchaudhary502010

✦ My Contract Marriage ✦


शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।



अध्याय 1 – सौदा

आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।

उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।

एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”

आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।

कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।

आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”

कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।



अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत

शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।

दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।

शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।

आरव काम में व्यस्त रहता।

कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।

दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।


अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।

लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।



अध्याय 3 – बदलते रिश्ते

धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।

एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”

आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।

इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।



अध्याय 4 – दिल की धड़कनें

समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।

एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।

दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।


अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।

दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”



अध्याय 5 – तूफ़ान

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।

आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।

दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?

गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”

दोनों अलग हो गए।


अध्याय 6 – सच्चाई

कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।

वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”

कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”




अध्याय 7 – नया सफ़र

दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।

आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।

विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।


उपसंहार

कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

rajukumarchaudhary502010

Goodnight friends

kattupayas.101947

मोहब्बत में मानने लगे थे जिसे खुदा जैसा ,
दिल तोड़कर चला गया
वो शख्स निकला दो कोड़ी का...

bita

नात्यांमध्ये राजकारण हेच सगळ्यात धोकादायक खेळ असतो—
इथे हृदय मत देतं, पण मेंदू कायम विरोधी पक्षात बसलेला असतो.
कधी प्रेम जाहीरनामा होतं, तर कधी अहंकार सत्ताधारी पक्ष ठरतो.
प्रत्येक छोटी गोष्ट मंत्रिमंडळाची बैठक बनते,
जिथे निर्णय भावनांच्या सभापतीच्या हातात असतो.
निष्ठा इथे बहुमत असते, आणि विश्वास ही खरी राज्यघटना.
आणि जेव्हा विश्वास तुटतो, तेव्हा सगळं नातं मध्यावधी निवडणूक बनून कोसळतं...
By Fazal Abubakkar Esaf

fazalesaf2973