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ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक हैं सफ़र कि सीमा

mamtatrivedi444291

👻 हवेली की दास्तान

शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था।

कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया।



🔦 चार दोस्तों का साहस

रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ।

गाँववालों ने मना किया –
"बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।"

लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा,
"ये सब अंधविश्वास है।"

एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे।



🏚️ हवेली के भीतर

हवेली का दरवाज़ा चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ खुला। अंदर सन्नाटा पसरा था। दीवारों पर मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ, और फर्श पर जमी धूल। लेकिन उस सन्नाटे में भी सबको लगा जैसे कोई उनकी साँसें सुन रहा हो।

सीमा ने कहा,
"मुझे लग रहा है कोई हमें देख रहा है।"

आदित्य हँसते हुए बोला,
"अरे डरपोक मत बनो। ये सब हमारा वहम है।"

वे हवेली के बीचोंबीच बने बड़े कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी। अलमारी के अंदर उन्हें एक काली डायरी मिली।


📖 डरावनी डायरी

राहुल ने धूल साफ़ करके डायरी खोली। उसमें लिखा था:

"मैं रूपा… ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी। मुझे धोखा दिया गया, ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया। मेरा खून इन दीवारों में बहता है। जो भी मेरी चीखें सुन लेता है, वो कभी इस हवेली से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक कोई मेरी अधूरी कहानी पूरी नहीं करेगा, मैं हर आत्मा को यहाँ कैद कर लूँगी।"

इतना पढ़ते ही हवेली का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। तेज़ हवा चली, टॉर्च की रोशनी झपकने लगी।



👁️ प्रेतात्मा का आगमन

अचानक दीवार से खून टपकने लगा। सीमा चीख पड़ी। तभी वहाँ एक औरत का साया उभरा – सफ़ेद साड़ी, खुले बिखरे बाल, चेहरे पर काला घूँघट, और आँखें लाल जलती हुई।

वो धीरे-धीरे सीमा की ओर बढ़ी।

"तुम… मेरी दास्तान पढ़ चुके हो… अब तुम कभी नहीं जाओगे।"

सीमा डर से काँप रही थी। राहुल और कविता ने उसे पकड़कर भागना चाहा, लेकिन हवा इतनी तेज़ थी कि दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा था।



💀 सीमा की चीख

प्रेतात्मा ने सीमा का हाथ पकड़ लिया। उसी क्षण पूरे कमरे में भयानक चीख गूँजी। रोशनी चली गई। जब टॉर्च दोबारा जली, सीमा वहाँ नहीं थी – बस उसकी टूटी चूड़ियाँ और खून के धब्बे पड़े थे।

राहुल, आदित्य और कविता ने किसी तरह ज़ोर लगाकर दरवाज़ा खोला और हवेली से बाहर भागे। जैसे ही बाहर पहुँचे, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।



🌑 आज तक का रहस्य

तीनों किसी तरह गाँव लौटे। उन्होंने सबको सच बताया, लेकिन कोई उनकी बात पर यक़ीन नहीं करता। गाँववाले कहते हैं, सीमा अब हवेली का हिस्सा बन चुकी है।

रात को हवेली के अंदर से आज भी हँसी और चीखें सुनाई देती हैं – कभी रूपा की, कभी सीमा की।

जो भी वहाँ जाता है, वह हवेली की दीवारों में समा जाता है।
हवेली अब सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि आत्माओं की जेल बन चुकी है।



😨 यह थी हवेली की दास्तान… एक ऐसी जगह जहाँ कदम रखते ही इंसान ज़िंदा नहीं लौटता।

rajukumarchaudhary502010

🌹 पहली नज़र का इश्क़ 🌹

दिल्ली की ठंडी शाम थी। कॉलेज का कैंपस अपने शोर और चहल-पहल से भरा हुआ था। वहीं, भीड़ के बीच आरव पहली बार उसे देखता है—
एक लड़की, सफ़ेद कुर्ते में, बाल हवा में उड़ते हुए, हाथों में किताबें संभालती हुई… उसका नाम था अन्वी।

आरव को लगा जैसे वक़्त रुक गया हो। वो कुछ कह नहीं पाया, बस दूर से उसे देखता रह गया।

दिन बीतते गए। लाइब्रेरी में, कैफ़ेटेरिया में, और कभी-कभी बस-स्टॉप पर—आरव की नज़र हमेशा उसी पर टिक जाती।
पर वो बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

एक दिन, लाइब्रेरी में किताब गिरने पर दोनों का हाथ एक साथ किताब उठाने के लिए बढ़ा।
पहली बार उनकी आँखें मिलीं।
और शायद वहीं से कहानी शुरू हुई।

धीरे-धीरे बातचीत हुई। किताबों पर, सपनों पर, और ज़िंदगी पर।
अन्वी को आरव का सच्चा और मासूम स्वभाव पसंद आने लगा।
और आरव… वो तो पहले ही उसका हो चुका था।

लेकिन प्यार कभी आसान नहीं होता।
अन्वी के घरवाले सख़्त थे। पढ़ाई पूरी होने तक किसी रिश्ते की इजाज़त नहीं थी।
आरव जानता था कि उसे सब्र करना होगा।

वक़्त गुज़रता गया।
आरव ने सिर्फ़ एक वादा किया—
"अन्वी, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा। चाहे जितना भी वक़्त लगे।"

तीन साल बाद…
जब अन्वी ने अपनी पढ़ाई पूरी की, उसके घरवाले हैरान रह गए कि जो लड़का तीन साल तक बिना किसी उम्मीद के उसके लिए खड़ा रहा, वो कितना सच्चा होगा।

और उस दिन, अन्वी ने मुस्कुराकर कहा—
"आरव, अब और इंतज़ार नहीं। ये ज़िंदगी तुम्हारी है।"

आरव की आँखों में खुशी के आँसू थे।
उसकी पहली नज़र का इश्क़ आखिरकार हमेशा के लिए उसका हो गया।



✨ सीख: सच्चा प्यार कभी हारता नहीं। वक्त चाहे जितना भी ले, अगर इरादे साफ़ हों और दिल सच्चा हो—तो दो दिल हमेशा मिल जाते हैं।

rajukumarchaudhary502010

👻 हवेली की दास्तान

शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था।

कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया।



🔦 चार दोस्तों का साहस

रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ।

गाँववालों ने मना किया –
"बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।"

लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा,
"ये सब अंधविश्वास है।"

एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे।



🏚️ हवेली के भीतर

हवेली का दरवाज़ा चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ खुला। अंदर सन्नाटा पसरा था। दीवारों पर मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ, और फर्श पर जमी धूल। लेकिन उस सन्नाटे में भी सबको लगा जैसे कोई उनकी साँसें सुन रहा हो।

सीमा ने कहा,
"मुझे लग रहा है कोई हमें देख रहा है।"

आदित्य हँसते हुए बोला,
"अरे डरपोक मत बनो। ये सब हमारा वहम है।"

वे हवेली के बीचोंबीच बने बड़े कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी। अलमारी के अंदर उन्हें एक काली डायरी मिली।


📖 डरावनी डायरी

राहुल ने धूल साफ़ करके डायरी खोली। उसमें लिखा था:

"मैं रूपा… ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी। मुझे धोखा दिया गया, ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया। मेरा खून इन दीवारों में बहता है। जो भी मेरी चीखें सुन लेता है, वो कभी इस हवेली से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक कोई मेरी अधूरी कहानी पूरी नहीं करेगा, मैं हर आत्मा को यहाँ कैद कर लूँगी।"

इतना पढ़ते ही हवेली का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। तेज़ हवा चली, टॉर्च की रोशनी झपकने लगी।



👁️ प्रेतात्मा का आगमन

अचानक दीवार से खून टपकने लगा। सीमा चीख पड़ी। तभी वहाँ एक औरत का साया उभरा – सफ़ेद साड़ी, खुले बिखरे बाल, चेहरे पर काला घूँघट, और आँखें लाल जलती हुई।

वो धीरे-धीरे सीमा की ओर बढ़ी।

"तुम… मेरी दास्तान पढ़ चुके हो… अब तुम कभी नहीं जाओगे।"

सीमा डर से काँप रही थी। राहुल और कविता ने उसे पकड़कर भागना चाहा, लेकिन हवा इतनी तेज़ थी कि दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा था।



💀 सीमा की चीख

प्रेतात्मा ने सीमा का हाथ पकड़ लिया। उसी क्षण पूरे कमरे में भयानक चीख गूँजी। रोशनी चली गई। जब टॉर्च दोबारा जली, सीमा वहाँ नहीं थी – बस उसकी टूटी चूड़ियाँ और खून के धब्बे पड़े थे।

राहुल, आदित्य और कविता ने किसी तरह ज़ोर लगाकर दरवाज़ा खोला और हवेली से बाहर भागे। जैसे ही बाहर पहुँचे, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।



🌑 आज तक का रहस्य

तीनों किसी तरह गाँव लौटे। उन्होंने सबको सच बताया, लेकिन कोई उनकी बात पर यक़ीन नहीं करता। गाँववाले कहते हैं, सीमा अब हवेली का हिस्सा बन चुकी है।

रात को हवेली के अंदर से आज भी हँसी और चीखें सुनाई देती हैं – कभी रूपा की, कभी सीमा की।

जो भी वहाँ जाता है, वह हवेली की दीवारों में समा जाता है।
हवेली अब सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि आत्माओं की जेल बन चुकी है।



😨 यह थी हवेली की दास्तान… एक ऐसी जगह जहाँ कदम रखते ही इंसान ज़िंदा नहीं लौटता।

rajukumarchaudhary502010

परिंदों को यहां पर आशियाना मिल नहीं सकता ।
सियासत कह नहीं सकती ये साखें जानती हैं ।।

हुकूमत की हकीकत को यूं ही कब तक छिपाओगे ।
हुआ कितना बखेड़ा है दीवारें जानती हैं ।।

मुहब्बत दिल में रखने से भला कुछ भी नहीं होगा ।
जवां बेबस भलां हों पर निगाहें जानती हैं ।।

यह आईना तुम्हारा है यह पत्थर भी तुम्हारे हैं ।
कि शायर मर नहीं सकता किताबें जानती हैं ।।

तेरी दीवानगी में यूं फिदा कितने हो गए होंगे ।
जमाना जानता है यह मजारें जानती हैं ।।

- आनन्द गुर्जर सहोदर

anandsinghgurjar99gmail.

yaadein

#TriggerThoughts
© gunjan Gayatri
Aaj mera apne phone
kisi ka missed call
dekha.
uska jisne bina kuch
kaahe dil ko dukhaya
meri kuch yaadon ko
vo din chaap chuka
hai,

kyunki ek din day tha
meri friend ka birthday
par jab class mein pahunchi(reach).....

Check out complete Poem on Writco by Gunjan Gayatri
https://writco.in/Poem/P81106112025105011

👉 https://bit.ly/download-writco-app

#Writco #WritcoApp #WritingCommunity

gunjangayatri949036

हर एक साँस में बसा है तन्हा सफर,
आँखें भी अब कहानी नहीं कहती।
चुपके से बहते हैं आँसू दरिया बन,
जिसे रोकना अब मुमकिन नहीं।

तेरा एहसास अब हर पल का दर्द बन गया,
हर ख़ुशी अधूरी, हर मुस्कान बेगानी।
ये वक़्त भी अब बस एक बेवफा सिलसिला,
जहाँ दिल खो गया अपनी पहचान में।

akshaytiwari128491

✦ My Contract Marriage ✦


शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।



अध्याय 1 – सौदा

आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।

उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।

एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”

आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।

कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।

आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”

कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।



अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत

शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।

दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।

शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।

आरव काम में व्यस्त रहता।

कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।

दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।


अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।

लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।



अध्याय 3 – बदलते रिश्ते

धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।

एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”

आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।

इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।



अध्याय 4 – दिल की धड़कनें

समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।

एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।

दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।


अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।

दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”



अध्याय 5 – तूफ़ान

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।

आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।

दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?

गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”

दोनों अलग हो गए।


अध्याय 6 – सच्चाई

कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।

वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”

कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”




अध्याय 7 – नया सफ़र

दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।

आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।

विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।


उपसंहार

कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

rajukumarchaudhary502010

✦ My Contract Marriage ✦


शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।



अध्याय 1 – सौदा

आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।

उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।

एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”

आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।

कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।

आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”

कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।



अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत

शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।

दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।

शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।

आरव काम में व्यस्त रहता।

कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।

दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।


अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।

लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।



अध्याय 3 – बदलते रिश्ते

धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।

एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”

आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।

इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।



अध्याय 4 – दिल की धड़कनें

समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।

एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।

दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।


अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।

दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”



अध्याय 5 – तूफ़ान

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।

आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।

दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?

गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”

दोनों अलग हो गए।


अध्याय 6 – सच्चाई

कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।

वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”

कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”




अध्याय 7 – नया सफ़र

दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।

आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।

विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।


उपसंहार

कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

rajukumarchaudhary502010

Goodnight friends

kattupayas.101947

मोहब्बत में मानने लगे थे जिसे खुदा जैसा ,
दिल तोड़कर चला गया
वो शख्स निकला दो कोड़ी का...

bita

नात्यांमध्ये राजकारण हेच सगळ्यात धोकादायक खेळ असतो—
इथे हृदय मत देतं, पण मेंदू कायम विरोधी पक्षात बसलेला असतो.
कधी प्रेम जाहीरनामा होतं, तर कधी अहंकार सत्ताधारी पक्ष ठरतो.
प्रत्येक छोटी गोष्ट मंत्रिमंडळाची बैठक बनते,
जिथे निर्णय भावनांच्या सभापतीच्या हातात असतो.
निष्ठा इथे बहुमत असते, आणि विश्वास ही खरी राज्यघटना.
आणि जेव्हा विश्वास तुटतो, तेव्हा सगळं नातं मध्यावधी निवडणूक बनून कोसळतं...
By Fazal Abubakkar Esaf

fazalesaf2973

एका कोपऱ्यात उपाशी बाळ,
कोरड्या भाकरीसाठी डोळे पुसतं काळ.
दुसऱ्या कोपऱ्यात हट्टाचा गजर,
पिझ्झासाठी रडतो लेकरू अधीर.

अश्रूंचे प्रवाह वेगळे जरी,
भिजवितात तेच धरणीवरील सारी.
कदाचित जगण्याची हीच विडंबना—
भुकेलाही असतो एक रंग सदा...

By Fazal Abubakkar Esaf

fazalesaf2973

Good evening friends

kattupayas.101947

ख्वाबो मे हूं ख्यालो मे हूं
कुछ उलझे हुए सवालो मे हूँ
दिन गुजरता है आती है रात
बन्द कमरा है और ताले मे हूँ.

mashaallhakhan600196

"Whenever you feel like you can't move forward, just take a deep breath. Look at the beauty of nature and let all your doubts out."

Finding Peace in Beauty ☺️

afveen111gmail.com637648

સાગરને નદી સ્પર્શ છે ત્યારે નદી નદી નથી રહેતી.
બસ તે સાગરની થઈ જાય છે.

હિલોળા મારી રહેલા અગાધ જળમાં.
કેવું ખળખળ વહેતું સ્નેહનું ઝરણું ભળી જાય છે.

વાંસળી નાં સૂર
ફક્ત ગોપીઓ, ગોકુળ કે રાધાને જ નહીં.

આખેઆખી પ્રકૃતિને મોહિત કરી દેવા સક્ષમ રહ્યા.

સંગીતમાં સ્નેહ ભળે તો સંગીત પણ સામર્થ્યવાન બને છે.

જ્યારે શબ્દો નાં સમજાય ત્યારે સંગીતના સૂરો થોડું નહીં ઘણું જ સમજાવી જતા હોય છે.

દૂર થી માર્ગને જોતાં જ લાગે.
માર્ગ તો સ્થીર જ રહ્યોં છે.
પથિકે સમજવું પડશે.

મુસાફર નાનાં નાનાં ડગલાં માંડશે .
આપોઆપ મંઝીલ તરફ સંપૂર્ણ પ્રયાણ થશે.

નજર ના પોંહચી શકે તે સાગરની વિશાળતા વચ્ચે પણ દ્વિપ ઉપસેલા હોય છે.

ખરેખર સાગર મધ્યે પણ માટીનું તો અસ્તિત્વ દેખાય આવે છે.

અરે જ્યાં માટીને નિરાંત છે ત્યાં હરિયાળી આપો આપ ખીલશે.

તરવૈયાએ કિનારો પામવો જરુરી રહ્યો પણ તેને થોડો વિરામ દ્વિપ પર પણ મળી શકે.

બસ જીંદગી રહી નહીં, વહી રહી હોય ત્યારે મૌન અતિશય ના શોભે.

મન ભીંતર થી જે અવાજ કરે.

તેનું અનુસરણ સમજણથી કરીને પરમાનંદ પ્રાપ્ત કરી શકાય છે.

parmarmayur6557

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surya1991

શ્વાસોમાં ભરી લઊં
આજ માટીની મહેંક
ફરી આ ખુશ્બુ
મળે ના મળે…
-કામિની

kamini6601

कभी मुस्कान में छुपा, कभी आंसुओं में मिलता है,
ये दिल के कोनों से उठकर रूह तक सिलता है।

बिन कहे भी जो बातें समझा जाए,
वो अहसास ही तो है जो रिश्तों को गहराई दे जाए।

कभी हवा के झोंके सा हल्का सा छू जाता है,
कभी यादों की तरह दिल में बसकर रुला जाता है।

अहसास ही तो है ज़िंदगी का सबसे हसीन हिस्सा,
जो दिल को जोड़ता है, जो रूह को करता है रौशन किस्सा.....

ritu5403

अब रूठने की चाहत ..
खुद से है....
और मनाने जैसी कोई...
आरजू भी नहीं...

dipika9474

Do you know that if you accept with joy the suffering others impose upon you, then your past accounts will be settled and you will attain liberation?

Read more on: https://dbf.adalaj.org/ZRQOtYpO

#doyouknow #spirituality #facts #suffering #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

હસો અને હસતા રહો
એક કાબર હવામાં ખૂબ જ સ્પીડમાં ઉડતી હતી. ઉડતા ઉડતા તેની નજર નીચે રોડ પર ગઈ, જ્યાં એક ટ્રક ઝડપથી આવી રહ્યો હતો. કાબરે વિચાર્યું કે તે ટ્રકથી વધુ ઝડપી છે, એટલે તેણે ટ્રકને ઓવરટેક કરવાનો પ્રયાસ કર્યો.
​પરંતુ "ધડામ!" કરતો અવાજ આવ્યો અને કાબર સીધી ટ્રક સાથે અથડાઈને બેહોશ થઈ ગઈ.
​ટ્રકવાળાએ દયા ખાઈને તેને એક પિંજરામાં પૂરી અને ટ્રકની પાછળ મૂકી દીધી.
​થોડી વાર પછી કાબરને ભાન આવ્યું અને તેણે આસપાસ જોયું. પોતાને પિંજરામાં જોઈને તે અફસોસ સાથે બોલી, "અરે! હું ક્યાં ફસાઈ ગઈ? મને લાગે છે કે ટ્રક સાથેના એક્સિડન્ટમાં ટ્રકવાળો મરી ગયો હશે એટલે જ મને જેલની સજા થઈ છે!"😀😀
(અને ગામડાની ભાષામાં બોલી અને સંભળાવો તો બહુ સરસ લાગશે) (ટપોરી મુંબઈ ભાષામાં પણ બોલી શકો ખુબ સરસ લાગશે)

heenagopiyani.493689

मेहनतकश इंसान

सुबह की किरण संग उठ जाता है,
सपनों को हथेली पर रख घर से निकल जाता है।
पसीने की हर बूंद में चमकती आस,
मेहनत से ही बुझती है जीवन की प्यास।

धरती जोतता, ईंट गढ़ता,
रोज़ नए सपनों को आकार करता।
उसके हाथ भले खुरदरे सही,
पर दिल में उजले इरादे वही।

धूप की तपिश हो या सर्दी की मार,
कभी न रुकता उसका संघर्ष अपार।
राह कठिन हो, बोझ भले भारी,
हिम्मत उसकी कभी न हारी।

न नाम की चाह, न शोहरत का गुमान,
बस मेहनत ही उसका सच्चा ईमान।
उसकी थकन में भी चमकता उजाला,
मेहनतकश इंसान ही है जग को सहारा।

DB-ARYMOULIK

deepakbundela7179