*दोहा-सृजन हेतु शब्द--*
*नैवेद्य, आचमन, नीराजन, शंख, मंत्र*
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1नैवेद्य
ईश्वर को नैवेद्य से, भोजन हो आरंभ।
ईश समर्पण भाव रख, कभी न आता दम्भ।।
2आचमन
सद्कर्मों का आचमन, करें सभी हरहाल।
कष्ट नहीं फिर घेरते, गुजरें अच्छे साल।।
3 नीराजन
पूजन नीराजन करें, भक्ति भाव से मंत्र।
सुधरेंगें हर काज तब, सफल रहेगा तंत्र।।
4 शंख
शंख-नाद कर आरती, करें भक्त गण रोज।
जयकारे हैं गूँजते, भरते मन में ओज।।
5 मंत्र
मंत्र-तंत्र की साधना, कठिन भक्ति का योग।
भवसागर से पार हों, फटकें कभी न रोग।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "