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कभी-कभी किताबें सिर्फ़ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। “काठगोदाम की गर्मियाँ” ऐसी ही एक किताब है, जो पहाड़ों की ठंडी हवा, चाय की महक और अनकही बातों के बीच आपको एक सुकून भरी यात्रा पर ले जाती है।

“काठगोदाम की हवा में एक जादू है—जो धीरे-धीरे असर करती है।”
यह किताब आपको उसी जादू का एहसास कराती है, जहाँ हर पन्ने पर प्यार, दोस्ती और रिश्तों की सच्चाई सांस लेती है।

कर्निका और रोहन की कहानी शहर और पहाड़ की दो अलग दुनिया को जोड़ती है। उनकी मुलाकातें बताती हैं कि कभी-कभी ख़ामोशियां भी कहानियां कह जाती हैं।
“कभी-कभी, किसी के सामने चुप रहना… बहुत कुछ कह जाना होता है।”

इस किताब का हर अध्याय मानो ज़िंदगी के किसी भूले-बिसरे मोड़ से मिला देता है। कुछ पन्ने हल्के-फुल्के, चाय और मैग्गी की खुशबू से भरे हैं, तो कुछ पन्ने रूह तक छू जाते हैं।
“कुछ रिश्ते नाम से नहीं, वक़्त और खामोशी से बनते हैं।”

जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, आप खुद को उन पहाड़ों के बीच महसूस करने लगते हैं। और जब आख़िर में दो कप चाय के बीच यह कहानी पूरी होती है, तो दिल कह उठता है—
“दो कप चाय, दो दिल, और एक कहानी… जो वहीं पूरी होती है, जहाँ शुरू हुई थी।”

अगर आप दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानियों और भावनाओं की गहराई को पसंद करते हैं, तो “काठगोदाम की गर्मियाँ” आपको अपनी ओर खींच लेगी। यह किताब सिर्फ़ एक पढ़ाई नहीं, बल्कि एक एहसास है जिसे आप बार-बार जीना चाहेंगे।

dhirendra342gmailcom

कभी-कभी किताबें सिर्फ़ कहानियाँ नहीं, एहसास बन जाती हैं। “काठगोदाम की गर्मियाँ” ऐसी ही एक कहानी है — जिसमें पहाड़ों की ठंडी हवा, चाय की खुशबू और अनकही भावनाएँ पन्नों में कैद हैं।

“हर जगह की एक अलग धड़कन होती है… दिल्ली की तेज़, और काठगोदाम की धीमी।”
इस एक लाइन में ही कहानी की रूह है — एक शहर की तेज़ रफ्तार और पहाड़ों की शांति का मिलन।

कर्निका और रोहन की मुलाकातें मैग्गी प्वाइंट से लेकर शादी की रौनक तक, और फिर अनकहे रिश्तों की गहराई तक जाती हैं।
“कभी-कभी, किसी के सामने चुप रहना… बहुत कुछ कह जाना होता है।”
यह लाइन उन पलों की गवाही देती है जहाँ शब्दों की जगह सिर्फ़ आंखें बोलती हैं।

पढ़ते-पढ़ते आप महसूस करेंगे कि रिश्ते कितने खूबसूरती से समय और खामोशी के धागों में बुने जाते हैं।
“कुछ रिश्ते नाम से नहीं, वक़्त और खामोशी से बनते हैं।”
ये पंक्ति हर उस एहसास को पकड़ती है, जिसे हम कह नहीं पाते।

और अंत में, जब कहानी अपने चरम पर पहुँचती है, तो वो दो कप चाय और वो एक खामोशी दिल को छू जाती है।
“दो कप चाय, दो दिल, और एक कहानी… जो वहीं पूरी होती है, जहाँ शुरू हुई थी।”

अगर आप पहाड़ों की ठंडी हवा में डूबी हुई एक सच्ची, दिल छूने वाली कहानी पढ़ना चाहते हैं, तो “काठगोदाम की गर्मियाँ” आपको वही एहसास देगी — जैसे किसी पुरानी याद ने फिर से आपका हाथ पकड़ लिया हो।

dhirendra342gmailcom

Do you know that there is no one named Yamaraj, but there exists Niyamaraj (laws of Nature)? Man is born by law (of Nature), life is lived by law, death comes by law.

To know more visit here: https://dbf.adalaj.org/fvJrphjE

#death #life #facts #doyouknow #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

Really beautiful Sunday evening 😊

mrsfaridadesar

मुखवटे ...

मुखवट्यांच्या ..या जगात तुझा निभाव नाही लागणार

कधी होशील "शिकार" ..तुलाच नाही कळणार !

कधी "मुखवटा "..मैत्रीचा ..

".दोस्त तेरे लिये .जान भी हाजीर "!!

तोंडावर असते ..आश्वासन ..

पाठीत ..मात्र खुपसतो "खंजीर "!

कधी" मुखवटा "..प्रेमाचा

"काय सांगू ध्यास लागलाय तुझ्या प्रीतीचा "!!

जवळ ..जाताच समजते ....

"मोह " असतो फक्त शरीराचा ..'!!

"आपुलकीच्या मुखवट्यांचा "तर ..

काही ..नेमच सांगता येत ..नाही !!

"मृगजळाचा "..मोह होतोय ...

कळते ..पण वळत ..नाही ..!!

..असुदे ..असेल" दुनिया" जरी अशी ..

तू स्वताला ..बदलू नकोस ...

तुझी "सचोटी"..तुझी "नीती"..

याचा "..सौदा "..करू नकोस ..!!!

वृषाली .**

jayvrishaligmailcom

" મિત્ર "

સંકટ સમયની સાંકળ છે મિત્ર;
પરોઢિયે ચમકતી ઝાકળ છે મિત્ર;

સુખમાં હોય સાથે, નહીં કે પાછળ,
ને આપત્તિમાં સદા આગળ છે મિત્ર;

લખવા બેસું જ્યારેય કવન કે ગઝલ,
શ્યાહી, કલમ ને બને કાગળ છે મિત્ર;

દુખ દર્દથી સળગતા જીવન દાવાનળે,
સદા સ્નેહ વરસાવતું વાદળ છે મિત્ર;

સ્નેહીજનોને જો હું ગણું એક ગામ,
તો, "વ્યોમ" એ ગામનું પાદર છે મિત્ર;

નામ:-✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર.

omjay818

પ્રીત આજ પયોધર થઈ
વરસી
તૃપ્ત થઈ ગઈ ધરતી પ્રણય
તરસી…
-કામિની

kamini6601

" શ્રાવણિયા વરસાદમાં "

મહેકી ઊઠે છે જેમ માટી, શ્રાવણિયા વરસાદમાં.
એમ ચમકી ઊઠ્યો છે ચહેરો મારો તારી યાદમાં.

ગરજી રહ્યાં છે ઘનઘોર, વાદળાં આજ ચારેકોર!
તારું નામ સંભળાઈ રહ્યું છે, ટહુકાઓના નાદમાં.

ટપટપ વરસતી બુંદોનો રવ, ભરી ગયો છે આજ!
એક જ છત્રીની નીચે ચાલતાં, યુગલના સંવાદમાં.

ઓલાં, છબછબિયાં કરતાં ભૂલકાંને તો જુઓ!
લાગે છે જાણે, દેડકાં ઉછળી રહ્યાં છે ઉન્માદમાં.

બે હાથ જોડી માંગી લઉં છું, "વ્યોમ" વાસી પાસે!
કદાચ મળી જાય તારો હાથ, મને આજ પ્રસાદમાં.

✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર

omjay818

Good morning.. Have a gr8 day

kattupayas.101947

🌞 सुप्रभात की प्रेरणा 🌞

नई सुबह है, नया उजाला,
सपनों को फिर से दो दोबारा हवाला।
जो बीत गया, वो सबक बन जाए,
आज का दिन, नई कहानी लाए।

उठो चलो, मत रुको अब,
हर मुश्किल से लड़ो बेखौफ सब।
सूरज भी रोज़ नया किरदार निभाता,
थकता नहीं, बस आगे बढ़ता जाता।

हौसला रखो, विश्वास भी साथ हो,
मन में हो आग, और आंखों में बात हो।
छोटे कदम भी मंज़िल ला सकते हैं,
जो खुद पे भरोसा करे, वो सब कर सकते हैं।

तो मुस्कुराओ, उठो, संकल्प लो,
सपनों की ओर पहला कदम चलो।
आज तुम्हारा है, इसे खास बनाओ,
सुप्रभात कहो और जीतने निकल जाओ।

ankit26

નારી શક્તિ
વ્રત નથી જોઇતા એને,
એ તો ખુદ વ્રત છે;
નારી જ છે નારાયણી,
એ જ જગતનું સત્ય છે.
ઘર ચલાવે, વીર જન્માવે,
ધરા સમી સહનશીલ;
મહાશક્તિનું રૂપ છે એ,
જગત ન ચાલે તેના વગર.
DHAMAK
(સ્ત્રીઓ માટે વ્રત કેમ નથી તેનો જવાબ)

heenagopiyani.493689

Thinking about my new novel "Yathumatra peruveli" what's your opinion on this title.. tell me friends.

kattupayas.101947

see my open mic show on you tube channel

mrsfaridadesar

भाग ६८: “दांव – राघव की चाल, अर्जुन का जवाब”

अर्जुन ने अपनी प्राइवेट टीम से राघव की लोकेशन निकलवाई।
वो एक पुरानी फार्महाउस में छुपा बैठा था —
जहाँ से 3 महीने पहले रिया को एक अनाम मेल भेजा गया था।


---

सानिया की योजना

> “अगर वो चाल चलता है, तो हमें उसका खेल उल्टा खेलना होगा।”



सानिया ने रिया से धीरे-धीरे बात करना शुरू किया,
और हर सवाल के जवाबों से एक पैटर्न निकालने लगी।

रिया अब भी भ्रम में थी, लेकिन अब उसकी आंखों में डर कम और विश्वास ज़्यादा था।


---

अर्जुन ने एक नकली प्रेस कॉन्फ्रेंस रखवाई

मीडिया के सामने उसने कहा —

> “हम जल्द ही ‘Love Beyond Contracts’ को इंटरनेशनल लेवल पर लॉन्च कर रहे हैं।
और मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरी पत्नी सानिया है।”



राघव ने ये देखा… और जल उठा।

उसी रात एक ब्लैकमेलिंग मेल अर्जुन को मिला —

> “अगर तूने इंटरनेशनल डील साइन की,
तो मैं सानिया का वो वीडियो वायरल कर दूंगा…
जो कभी शूट ही नहीं हुआ था।”




---

अब खेल पलटने का समय

अर्जुन ने मेल ट्रेस कराया।
IP मिला — रिया के नाम पर रजिस्टर्ड सिम से भेजा गया।

पर सानिया ने मुस्कराकर कहा —

> “तो अब हम भी वही करेंगे… जो राघव कर रहा है —
इमोशन का इस्तेमाल, लेकिन इस बार सच्चाई के लिए।”




---

🌟 जारी रहेगा…

💡 सीख:

> जब साजिश इमोशन के नाम पर हो,
तो जवाब भी इमोशनल नहीं — चतुर होना चाहिए।

rajukumarchaudhary502010

भाग ६९: “जाल बिछा – राघव का पर्दाफाश”

अर्जुन ने एक फेक मीटिंग का सेटअप किया,
जहां राघव को लगा कि वह अपने खेल को अंतिम रूप देने जा रहा है।

मीडिया और पुलिस को पहले से सूचित किया गया था।
सानिया ने रिया के साथ मिलकर एक नकली वीडियो तैयार किया —
जिसमें राघव खुद फंसता दिखा।


---

राघव का फंदा

जब राघव ने नकली वीडियो देखा, तो वह घबराया।
वह मीटिंग में पहुंचा और अर्जुन से सामना हुआ।
अर्जुन ने उसे कड़ाई से कहा —

> “तुम्हारी हर चाल हमारे सामने है।
अब तुम अपना असली चेहरा दिखाओ।”




---

रिया की सच्चाई

रिया ने सच बताया —

> “मुझे बचाने के लिए मेरे परिजन ने मुझे छुपाया था।
और राघव ने ही मेरी याददाश्त को उलझा दिया।
पर अब मैं आज़ाद हूँ।”




---

मुकदमा और जीत

राघव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
‘Love Beyond Contracts’ की टीम की मेहनत रंग लाई।
सानिया और अर्जुन ने एक साथ जीत की खुशी मनाई।


---

🌟 जारी रहेगा…

💡 सीख:

> सच्चाई की जीत तब होती है,
जब हिम्मत और समझदारी साथ हों।

rajukumarchaudhary502010

भाग ६९: “जाल बिछा – राघव का पर्दाफाश”

अर्जुन ने एक फेक मीटिंग का सेटअप किया,
जहां राघव को लगा कि वह अपने खेल को अंतिम रूप देने जा रहा है।

मीडिया और पुलिस को पहले से सूचित किया गया था।
सानिया ने रिया के साथ मिलकर एक नकली वीडियो तैयार किया —
जिसमें राघव खुद फंसता दिखा।


---

राघव का फंदा

जब राघव ने नकली वीडियो देखा, तो वह घबराया।
वह मीटिंग में पहुंचा और अर्जुन से सामना हुआ।
अर्जुन ने उसे कड़ाई से कहा —

> “तुम्हारी हर चाल हमारे सामने है।
अब तुम अपना असली चेहरा दिखाओ।”




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रिया की सच्चाई

रिया ने सच बताया —

> “मुझे बचाने के लिए मेरे परिजन ने मुझे छुपाया था।
और राघव ने ही मेरी याददाश्त को उलझा दिया।
पर अब मैं आज़ाद हूँ।”




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मुकदमा और जीत

राघव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
‘Love Beyond Contracts’ की टीम की मेहनत रंग लाई।
सानिया और अर्जुन ने एक साथ जीत की खुशी मनाई।


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🌟 जारी रहेगा…

💡 सीख:

> सच्चाई की जीत तब होती है,
जब हिम्मत और समझदारी साथ हों।
भाग ६८: “दांव – राघव की चाल, अर्जुन का जवाब”

अर्जुन ने अपनी प्राइवेट टीम से राघव की लोकेशन निकलवाई।
वो एक पुरानी फार्महाउस में छुपा बैठा था —
जहाँ से 3 महीने पहले रिया को एक अनाम मेल भेजा गया था।


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सानिया की योजना

> “अगर वो चाल चलता है, तो हमें उसका खेल उल्टा खेलना होगा।”



सानिया ने रिया से धीरे-धीरे बात करना शुरू किया,
और हर सवाल के जवाबों से एक पैटर्न निकालने लगी।

रिया अब भी भ्रम में थी, लेकिन अब उसकी आंखों में डर कम और विश्वास ज़्यादा था।


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अर्जुन ने एक नकली प्रेस कॉन्फ्रेंस रखवाई

मीडिया के सामने उसने कहा —

> “हम जल्द ही ‘Love Beyond Contracts’ को इंटरनेशनल लेवल पर लॉन्च कर रहे हैं।
और मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरी पत्नी सानिया है।”



राघव ने ये देखा… और जल उठा।

उसी रात एक ब्लैकमेलिंग मेल अर्जुन को मिला —

> “अगर तूने इंटरनेशनल डील साइन की,
तो मैं सानिया का वो वीडियो वायरल कर दूंगा…
जो कभी शूट ही नहीं हुआ था।”




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अब खेल पलटने का समय

अर्जुन ने मेल ट्रेस कराया।
IP मिला — रिया के नाम पर रजिस्टर्ड सिम से भेजा गया।

पर सानिया ने मुस्कराकर कहा —

> “तो अब हम भी वही करेंगे… जो राघव कर रहा है —
इमोशन का इस्तेमाल, लेकिन इस बार सच्चाई के लिए।”




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🌟 जारी रहेगा…

💡 सीख:

> जब साजिश इमोशन के नाम पर हो,
तो जवाब भी इमोशनल नहीं — चतुर होना चाहिए।

rajukumarchaudhary502010

✅ “अमृतांगी” – महाकाव्य की 5-सर्ग संरचना

सर्ग 1: तपोवन की कली

अमृतांगी का जन्म, सौंदर्य और बाल्य जीवन का वर्णन।

प्रकृति की गोद में उसका संसार।


सर्ग 2: प्रथम मिलन

राजा विक्रमदित्य का आगमन।

प्रेम का अंकुर और गंधर्व विवाह का संकेत।


सर्ग 3: भाग्य का प्रहार

ऋषि का श्राप – नायक नायिका को भूल जाएगा।

स्मृति का प्रतीक (अंगूठी) नदी में गिरना।


सर्ग 4: विरह-वेदना

अमृतांगी का तप, यात्रा, आँसू और करुण दृश्य।

विक्रमदित्य का अंतःसंघर्ष।


सर्ग 5: स्मृति-विजय और मिलन

प्रतीक मिलने से स्मृति लौटना।

प्रेम का आध्यात्मिक रूपांतरण।



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✅ अब लिखना शुरू करते हैं: पहला सर्ग – 100 श्लोक (Part 1: शुरुआती 20 श्लोक)


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सर्ग 1: तपोवन की कली

(अमृतांगी का जन्म और सौंदर्य)

श्लोक 1
गगन में फैल रही रक्ताभ प्रभा,
वन पथ पर बिखर रही अरुण किरणा।
नीरवता में गूंजे कोकिल का स्वर,
तपोवन में उठी जीवन की तरणा॥

श्लोक 2
कुंजों में लहराई मंद समीर,
कस्तूरी गंध से भरता अधीर।
मृगमद रेख अंकित रजनी में,
ज्यों स्वर्ग उतर आया धरा के तीर॥

श्लोक 3
वहीं उदित हुई अमृत सी कली,
नाम रखा गया अमृतांगी सुचली।
लोचन में झलक रही चंद्रिका,
मुखकमल पर खिली माधुरी अचलि॥

श्लोक 4
उसकी हँसी थी वंशी की तान,
उसके वचन थे वेद के गान।
वन की वल्लरी भी लजाती,
जब वह सजाती चंपक की थान॥

श्लोक 5
बाल्य में भी था ऐसा सौंदर्य,
ज्यों नभ पर पूर्णिमा का कौमुद्य।
ऋषि पिता के आश्रम में रहती,
प्रकृति ही उसका आभूषण्य॥

श्लोक 6
मंदाकिनी सी थी उसकी चाल,
नील कमल सा उसका गाल।
शारद चंद्र के तेज सम,
उसकी दृष्टि में छलकता नवल रसाल॥

श्लोक 7
कुंजों में क्रीड़ा करती निशा,
ज्यों कानन में उतरी अप्सरा।
उसकी अंगुलियों से गिरते पुष्प,
ज्यों नभ से झरते तारक समृद्ध॥

श्लोक 8
ऋषिकन्या थी, किंतु मन में,
स्वप्न बुनती प्रेम के वन में।
अज्ञात किसी कोमल स्वर की,
प्रतिध्वनि सुनती नील गगन में॥

श्लोक 9
वनदेवता भी मोहित रहते,
जब वह लता को अलिंगन देती।
मंद पवन उसकी केशों में,
ज्यों वीणा पर संगीत संजोते॥

श्लोक 10
दिवस व्यतीत हुए नित नव रंग,
किंतु नियति का था अपना संग।
भाग्य रच रहा था एक कथा,
जो बनेगी अमर, जो गूंजेगी अनंत॥

rajukumarchaudhary502010

💔 वादों की ख़ामोशी 💔
गुलशन में चाहत के फूल खिले,
पर ख्वाबों की शाखों से चुपके से गिर गए वादे।
ज़िन्दगी की किताब के पन्ने भी अब गीले हैं,
हर लफ़्ज़ में बसी है वो ख़ामोश हँसी की परछाई।

दरिया था मोहब्बत का, पर कोई पार ना मिला,
दर्द की लहरें चुपचाप सीने में उतर आईं।
राहत आई कई बार, पर रुकी नहीं कहीं,
हर पल बदला वक़्त ,पर चेहरा वही छाया लिए बैठा है...
_Mohiniwrites

neelamshah6821

शाम की चादर 🌆

धीरे-धीरे ढलता सूरज,
ले आया फिर शाम का सुरज।
सुनहरी किरणें कहती हैं बात,
थक गया दिन, अब लो विश्राम।

हवा चली कुछ नरम सी,
फिज़ा में घुली कोई ग़ज़ल सी।
चिड़ियों का शोर, घर की उड़ान,
समय हुआ अब लौट के जान।

बच्चों की हंसी, बाजार की रौनक,
हर दिल में अब है थोड़ी सी हलचल।
काम के बोझ से अब मिली राहत,
शाम आई लेके सुकून की चाहत।

तारों की बारात होगी जल्द ही,
चाँदनी कहेगी — "अब मैं भी आई।"
रंगीन ये पल, मीठे से ख्वाब,
शाम कहे — "जी लो ये लम्हा जनाब!"

ankit26

यह नए दौर के रिश्ते हैं साहब,, सिर्फ रिश्ते हैं

lalitmishra7728

પાણીથી ડરનારા નદી તરી જવાની વાતો કરે છે,

હત્યા કરનારા હવે પ્રેમ મહોબ્બતની વાતો કરે છે !! "હસુ"



મોટી મોટી વાતો કરનારા મોટે ભાગે ખોટા જ હોય છે. તેમનો કદી વિશ્વાસ ના કરાય. રાવણ ને તો માત્ર દશ જ માથા હતા. જ્યારે આ લોકોના પળે પળે માથા બદલાય છે !!

harsukhraivadera2111