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आया ये कैसा दिन सोचा नहीं था किसी ने ऐसा गये थे सब गुमने हों गये वो आज खुद गुम इंसान तेरी कैस फिद्रत एक इंसान को मारे क्या था क़ुसूर उनका जो मिली उनको ये सजा हद करदी तूने अब तो जेहाद के नाम पर कर्ता कत्लेआम कैसा है ये धर्म जो सिखाये आपस में बेर हर धर्म जोड़ हैं मानवता के संग रही नहीं मानवता तेरे भीतर तोड़ गया तू सारा मंजर अब तो कर रहेम मेरे खुदा पहलगाम में हुवे आतंकी हमले में मारे गये लोगों को समर्पित भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ओम शांति ओम! - Kamlesh Parmar
जय श्री राम! जय बजरंग बली!
सब्रका के ले ना ओर इम्तिहान। टूट चुका है एक ओर इंतकाम। मंजिल को पाया कोसों दूर, मुसाफ़िर बनकर भटक रहा दर दर। तनहाई का ए आलम, कर बैठे खुदको रुसवा। या मेरे खुदा ना कर मुझे ओर लज्जित। हे मेरे मुल्तानी कर दे थोड़ी रेहम। - Kamlesh Parmar
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