Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

અંધશ્રદ્ધા એટલે અવળી માન્યતા, જે નાનપણથી જ આપણા મગજમાં ઘર કરી ગયેલી હોય છે. પણ જ્યારે એવો કોઈ પ્રસંગ આવે ત્યારે ખૂબ ભણેલા ગણેલા હોય કે અભણ, દરેક વ્યક્તિ અંધશ્રદ્ધાની માન્યતાનો ભોગ બની જ જતી હોય છે. ચાલો જોઈએ, અંધશ્રદ્ધા અને એની માન્યતાઓ પાછળની વાસ્તવિકતા શું છે.

Watch here: https://youtu.be/WXcJV8qLQaA

#ReligionSpirituality #spirituality #spiritualawakening #Superstitions #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

इडली स्टाईल ढोकळा

jayvrishaligmailcom

"आजही आठवणी येतात,
आणि मग नजर आकाशाकडे वळते…
त्या ढगांमध्ये तुझं हास्य सापडतं,
आणि वाऱ्यांमध्ये तुझं निघून जाणं ऐकू येतं…
शब्द हरवलेले असतात, पण भावना अजूनही बोलतात,
त्या शांत आकाशाखाली, तुझ्या नावाची सावली शोधतो मी…

fazalesaf2973

🌟 "सपनों के उस पार - एक अदभुत प्रेम कहानी" 🌟
एक ऐसा प्रेम... जो समय और हकीकत के बंधनों को तोड़ देता है।
जिसे पढ़कर आपका दिल भी कहेगा — "काश ये मेरी कहानी होती..." ❤️

📖 पढ़ें इस रोमांचक और भावनात्मक प्रेम गाथा को 👉
🔗 Pratilipi पर क्लिक करें

🔊 भारतीय भाषाओं में हजारों कहानियाँ पढ़ें, लिखें और सुनें — बिलकुल मुफ़्त!
💫 "सपनों के उस पार" – एक अदभूत प्रेम कहानी

स्थान: वाराणसी की संकरी गलियां
पात्र:

विवेक: एक शांत, पुरानी किताबों का शौकीन युवक

अन्वी: तेज-तर्रार, कैमरे की दीवानी, ट्रैवल व्लॉगर



---

🔮 पहली मुलाकात – किताबों की दुकान में!
वाराणसी की एक पुरानी किताबों की दुकान में, विवेक अपनी पसंदीदा किताब "प्रेमचंद की कहानियाँ" पलट रहा था। तभी बाहर बारिश शुरू हुई, और अन्वी अंदर भागती आई — बिल्कुल भीग चुकी, लेकिन आंखों में चमक थी।

विवेक ने एक पुराना छाता आगे बढ़ाया।
अन्वी मुस्कराई – "छाता दो या कहानी?"
विवेक बोला – "दोनों अगर चाहो तो किस्तों में मिल जाएँगी।"


---

📸 धीरे-धीरे शुरू हुआ वो अनोखा रिश्ता...
अन्वी उसे शहर की ताज़गी दिखाती, विवेक उसे पुराने घाटों की कहानी सुनाता।
अन्वी ज़िंदगी को तेज़ रफ्तार में जीती थी, विवेक वक़्त के साथ बहना जानता था।

फर्क़ बहुत थे, लेकिन दिलों की धड़कनें धीरे-धीरे एक सी हो गईं।


---

💔 लेकिन कहानी में आया ट्विस्ट...
अन्वी को पेरिस से ड्रीम प्रोजेक्ट का ऑफर आया।
विवेक कभी वाराणसी से बाहर नहीं गया था।
दोनों की दुनिया अलग थी — एक तेज़ उड़ान, एक ठहरी हुई आत्मा।

वो दोनों दशाश्वमेध घाट पर मिले।
अन्वी बोली: "चलोगे मेरे साथ?"
विवेक मुस्कराया: "मैं नहीं चल सकता, पर तुम उड़ो। और अगर हमारी कहानी सच्ची है — तुम लौटोगी।"


---

🕰️ 2 साल बाद...
घाट पर फिर वही बारिश, वही छाता...
विवेक उसी दुकान में बैठा था, किताब पढ़ते हुए।

पीछे से आवाज आई –
"छाता अब भी साथ है?"
विवेक ने देखा – अन्वी सामने खड़ी थी, कैमरा हाथ में, लेकिन आँखें सिर्फ उसे देख रही थीं।

rajukumarchaudhary502010

🖋️ अनूठी दाँस्ता – एक अद्वितीय कथा

एक यस्तो गाउँ, जहाँ मान्छेहरू भाग्यभन्दा बढी श्रममा विश्वास गर्थे। त्यही गाउँमा जन्मिएको थियो अर्जुन, जो जन्मजात दृष्टिविहीन थियो। तर उसको मनमा थियो एउटा सपना – "संगीत मार्फत संसारलाई देखाउने"।

सबैले उसलाई हँस्याए, भने – "अँधा के गाउने?"
तर ऊ भन्दै रह्यो – "शब्द मेरा आँखाहरू हुन्, र स्वर मेरो दृष्टि।"

एक दिन, गाउँमा आयो संगीत प्रतियोगिता। अर्जुनले भाग लियो।
सुनुवाइका दिन, सबै चुपचाप – अनि जब उसले गाउन थाल्यो, पुरै गाउँ स्तब्ध भयो।
उसको आवाजले भावनालाई छुयो, उसको गीतले आत्मालाई रुवायो।

अन्त्यमा, अर्जुन बन्यो त्यो प्रतियोगिताको विजेता – अनि उसकी दाँस्ता बन्यो "अनूठी दाँस्ता", जसले संसारलाई देखायो कि जुनसुकै कमजोरीलाई पनि कला र आत्मबलले शक्तिमा बद्लन सकिन्छ।

rajukumarchaudhary502010

Good morning

kajalgarg5331gmail.com200758

शायरी:

"हळूहळू मनात फुलतो एक विचार,
शब्दांआधी बोलतात डोळ्यांचे व्यवहार.
कधी निरपेक्ष, कधी वेडसर,
प्रेम हे असतं शेवटी अव्याख्येय अंतर!"

"गणित नसतं त्यात, ना व्याकरण,
ना ऊन ना सावलीचं कारण…
फक्त असतो एक क्षण –
जिथं आयुष्य थांबतं आणि प्रेम सुरू होतं."

fazalesaf2973

એક જ ધબકારોને આખી કહાની કહી ગયો,
હોઠે ના ફરક્યા શબ્દો, ને આંખો બધું કહી ગયો.

ઊંડા સમંદરો જેવી એની મૌન વાતો હતી,
હળવો સ્પર્શ ને જાણે જન્મોનો સાથ દઈ ગયો.

નજરથી નજર મળીને વીતી સદીઓની સફર,
એક પળમાં જિંદગીનો અર્થ નવો દઈ ગયાં.

વિખરાયેલા સપનાંઓને એણે સમેટ્યા પ્રેમથી,
સૂની હથેળીમાં જાણે મહેક મૂકી ગયો.

હૃદયના કોઈ ખૂણે ધરબી હતી જે વેદના,
એક હૂંફાળો શ્વાસ ને બધું જ સહન થઈ ગયો.

હવે તો બસ એ ધબકારાની યાદોનો સહારો છે,
જે ક્યારેક મારામાં બનીને ધબકતો રહી ગયો.
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🌹 કલમ મારી પ્રતિસાદ તમારો 🌹

palewaleawantikagmail.com200557

miss you post

virdeepsinh

gautam0218

gautam0218

🧠 “जीवन में तरक्की की असली शुरुआत आपकी सोच से होती है।”
अगर सोच सकारात्मक हो तो सीमाएँ भी अवसर बन जाती हैं।
📘 मन की हार, ज़िंदगी की जीत — अब उपलब्ध है: Amazon, Flipkart और NotionPress पर।
Tag someone who needs this book today! 🔖
#MotivationalBooks #HindiLiterature #LifeChangingReads #BookstagramIndia #DhirendraSinghBisht

dhirendra342gmailcom

શાંતિ ના મન માં, બહાર ક્યાંથી મળે?
આસ્થા વિના, પ્રભુ ક્યાંથી ભળે?
સુખ સાધન સૌ, છતાં જો અશાંતિ,
વ્યર્થ છે બધું, ના મળે સાચી શાંતિ.
DHAMAK

heenagopiyani.493689

मन में न हो शांति, तो बाहर कहाँ से मिले?
आस्था बिन, प्रभु से भला कहाँ जुड़े?
सुख साधन सब हों, फिर भी जो अशांति,
व्यर्थ है सब कुछ, न मिले सच्ची शांति.
Heena gopiyani

heenagopiyani.493689

જયારે કોઈ તમારાં વિચારો સુધી પહોંચવા સક્ષમ ના હોય ત્યારે તે તમારી નિંદા
કરે છે કારણ તેનામાં એટલી હિંમત
નથી કે તમે બનાવેલી ઉંચાઈને આંબી
શકે એટલે તેમને તમારાં વ્યક્તિત્વથી તકલીફ થાય છે.તમારી
સ્વતંત્રતા તેમને ખુંચે છે . વેદનાં આવાં જ લોકો આપણી આલોચના કરે છે,જજ કરે છે અને ટીકા કરે છે.

palewaleawantikagmail.com200557

💌 "कसमों वाला कमरा"

(लव मैरिज के बाद की पहली रात – सच्ची भावना, प्यारा तकरार)

👫 पात्र: आरव और नेहा

(दोनों 4 साल रिलेशनशिप में रहे, फिर घरवालों को मनाकर शादी की)


---

शादी के बाद का वो पल – जब सब बाराती, रिश्तेदार, पंडित, फोटोग्राफर… सब चले गए थे।
नेहा ने भारी लहंगा उतारकर साधारण सूट पहन लिया था। आरव ने शेरवानी से छुटकारा पाया और बस टी-शर्ट पहन ली थी।

कमरे का दरवाज़ा बंद हुआ,
लेकिन हवा में कोई अजीब सी "झिझक" तैर रही थी।

> “तू तो कहती थी शादी के बाद डांस करूँगी, कहाँ गया तेरा डांस?”
– आरव ने मज़ाक में कहा।



नेहा चुप रही… मुस्कराई नहीं।

> “क्या हुआ?” – आरव ने पूछा।



नेहा की आँखों में आँसू थे।

> “अब सब कुछ असली है न, आरव… अब कोई ब्रेकअप का ऑप्शन नहीं है। अब मैं सिर्फ तुम्हारी नेहा नहीं, सबकी बहू भी हूँ… डर लग रहा है।” 😢



आरव पहली बार नेहा को इतना डरा हुआ देख रहा था।
वो पास आया, उसका हाथ पकड़ा, और धीरे से कहा:

> “तो चलो, हम कसम लेते हैं –
तेरा डर, अब मेरा डर।
तेरी थकान, अब मेरी ज़िम्मेदारी।
तेरी मुस्कान, मेरी कमाई।
और तेरे आँसू... मेरी हार।”



नेहा हँस पड़ी, और रो भी पड़ी।

उस रात उन्होंने मिलकर चाय बनाई, पुराने फोटो देखे, कॉलेज के किस्से दोहराए, और सुबह तक "पति-पत्नी" नहीं… "बेस्ट फ्रेंड्स" की तरह बातें करते रहे।


---

🔚 सीख:

लव मैरिज की सुहागरात में सपनों की ज़मीन पर यथार्थ की चादर बिछती है।
जो पहले प्यार था, वो अब ज़िम्मेदारी बनता है।
लेकिन साथ में अगर दोस्ती बची हो – तो हर डर हँसी में बदल जाता है।

rajukumarchaudhary502010

💌 "कसमों वाला कमरा"

(लव मैरिज के बाद की पहली रात – सच्ची भावना, प्यारा तकरार)

👫 पात्र: आरव और नेहा

(दोनों 4 साल रिलेशनशिप में रहे, फिर घरवालों को मनाकर शादी की)


---

शादी के बाद का वो पल – जब सब बाराती, रिश्तेदार, पंडित, फोटोग्राफर… सब चले गए थे।
नेहा ने भारी लहंगा उतारकर साधारण सूट पहन लिया था। आरव ने शेरवानी से छुटकारा पाया और बस टी-शर्ट पहन ली थी।

कमरे का दरवाज़ा बंद हुआ,
लेकिन हवा में कोई अजीब सी "झिझक" तैर रही थी।

> “तू तो कहती थी शादी के बाद डांस करूँगी, कहाँ गया तेरा डांस?”
– आरव ने मज़ाक में कहा।



नेहा चुप रही… मुस्कराई नहीं।

> “क्या हुआ?” – आरव ने पूछा।



नेहा की आँखों में आँसू थे।

> “अब सब कुछ असली है न, आरव… अब कोई ब्रेकअप का ऑप्शन नहीं है। अब मैं सिर्फ तुम्हारी नेहा नहीं, सबकी बहू भी हूँ… डर लग रहा है।” 😢



आरव पहली बार नेहा को इतना डरा हुआ देख रहा था।
वो पास आया, उसका हाथ पकड़ा, और धीरे से कहा:

> “तो चलो, हम कसम लेते हैं –
तेरा डर, अब मेरा डर।
तेरी थकान, अब मेरी ज़िम्मेदारी।
तेरी मुस्कान, मेरी कमाई।
और तेरे आँसू... मेरी हार।”



नेहा हँस पड़ी, और रो भी पड़ी।

उस रात उन्होंने मिलकर चाय बनाई, पुराने फोटो देखे, कॉलेज के किस्से दोहराए, और सुबह तक "पति-पत्नी" नहीं… "बेस्ट फ्रेंड्स" की तरह बातें करते रहे।


---

🔚 सीख:

लव मैरिज की सुहागरात में सपनों की ज़मीन पर यथार्थ की चादर बिछती है।
जो पहले प्यार था, वो अब ज़िम्मेदारी बनता है।
लेकिन साथ में अगर दोस्ती बची हो – तो हर डर हँसी में बदल जाता है।

rajukumarchaudhary502010

💌 "कसमों वाला कमरा"

(लव मैरिज के बाद की पहली रात – सच्ची भावना, प्यारा तकरार)

👫 पात्र: आरव और नेहा

(दोनों 4 साल रिलेशनशिप में रहे, फिर घरवालों को मनाकर शादी की)


---

शादी के बाद का वो पल – जब सब बाराती, रिश्तेदार, पंडित, फोटोग्राफर… सब चले गए थे।
नेहा ने भारी लहंगा उतारकर साधारण सूट पहन लिया था। आरव ने शेरवानी से छुटकारा पाया और बस टी-शर्ट पहन ली थी।

कमरे का दरवाज़ा बंद हुआ,
लेकिन हवा में कोई अजीब सी "झिझक" तैर रही थी।

> “तू तो कहती थी शादी के बाद डांस करूँगी, कहाँ गया तेरा डांस?”
– आरव ने मज़ाक में कहा।



नेहा चुप रही… मुस्कराई नहीं।

> “क्या हुआ?” – आरव ने पूछा।



नेहा की आँखों में आँसू थे।

> “अब सब कुछ असली है न, आरव… अब कोई ब्रेकअप का ऑप्शन नहीं है। अब मैं सिर्फ तुम्हारी नेहा नहीं, सबकी बहू भी हूँ… डर लग रहा है।” 😢



आरव पहली बार नेहा को इतना डरा हुआ देख रहा था।
वो पास आया, उसका हाथ पकड़ा, और धीरे से कहा:

> “तो चलो, हम कसम लेते हैं –
तेरा डर, अब मेरा डर।
तेरी थकान, अब मेरी ज़िम्मेदारी।
तेरी मुस्कान, मेरी कमाई।
और तेरे आँसू... मेरी हार।”



नेहा हँस पड़ी, और रो भी पड़ी।

उस रात उन्होंने मिलकर चाय बनाई, पुराने फोटो देखे, कॉलेज के किस्से दोहराए, और सुबह तक "पति-पत्नी" नहीं… "बेस्ट फ्रेंड्स" की तरह बातें करते रहे।


---

🔚 सीख:

लव मैरिज की सुहागरात में सपनों की ज़मीन पर यथार्थ की चादर बिछती है।
जो पहले प्यार था, वो अब ज़िम्मेदारी बनता है।
लेकिन साथ में अगर दोस्ती बची हो – तो हर डर हँसी में बदल जाता है।

rajukumarchaudhary502010

💌 "कसमों वाला कमरा"

(लव मैरिज के बाद की पहली रात – सच्ची भावना, प्यारा तकरार)

👫 पात्र: आरव और नेहा

(दोनों 4 साल रिलेशनशिप में रहे, फिर घरवालों को मनाकर शादी की)


---

शादी के बाद का वो पल – जब सब बाराती, रिश्तेदार, पंडित, फोटोग्राफर… सब चले गए थे।
नेहा ने भारी लहंगा उतारकर साधारण सूट पहन लिया था। आरव ने शेरवानी से छुटकारा पाया और बस टी-शर्ट पहन ली थी।

कमरे का दरवाज़ा बंद हुआ,
लेकिन हवा में कोई अजीब सी "झिझक" तैर रही थी।

> “तू तो कहती थी शादी के बाद डांस करूँगी, कहाँ गया तेरा डांस?”
– आरव ने मज़ाक में कहा।



नेहा चुप रही… मुस्कराई नहीं।

> “क्या हुआ?” – आरव ने पूछा।



नेहा की आँखों में आँसू थे।

> “अब सब कुछ असली है न, आरव… अब कोई ब्रेकअप का ऑप्शन नहीं है। अब मैं सिर्फ तुम्हारी नेहा नहीं, सबकी बहू भी हूँ… डर लग रहा है।” 😢



आरव पहली बार नेहा को इतना डरा हुआ देख रहा था।
वो पास आया, उसका हाथ पकड़ा, और धीरे से कहा:

> “तो चलो, हम कसम लेते हैं –
तेरा डर, अब मेरा डर।
तेरी थकान, अब मेरी ज़िम्मेदारी।
तेरी मुस्कान, मेरी कमाई।
और तेरे आँसू... मेरी हार।”



नेहा हँस पड़ी, और रो भी पड़ी।

उस रात उन्होंने मिलकर चाय बनाई, पुराने फोटो देखे, कॉलेज के किस्से दोहराए, और सुबह तक "पति-पत्नी" नहीं… "बेस्ट फ्रेंड्स" की तरह बातें करते रहे।


---

🔚 सीख:

लव मैरिज की सुहागरात में सपनों की ज़मीन पर यथार्थ की चादर बिछती है।
जो पहले प्यार था, वो अब ज़िम्मेदारी बनता है।
लेकिन साथ में अगर दोस्ती बची हो – तो हर डर हँसी में बदल जाता है।

rajukumarchaudhary502010

---

🌹 राजा वीर और रानी सुरभि की कहानी 🌹

बहुत समय पहिलेको कुरा हो। हिमालयको काखमा बस्ने एक सानो, सुन्दर राज्य थियो — "वसंतपुर"। यहाँका राजा थिए वीरसिंह – वीर, न्यायप्रिय, तर एक्ला। युद्ध जितेका थिए अनेकौं, तर आफ्नो मनको युद्धमा हार्दै थिए – किनकि उनको जीवनमा प्रेमको उज्यालो थिएन।

दोस्रो पट्टि, एउटी साधारण किसानकी छोरी थिइन् – सुरभि। उनी पढ्न लेख्न मन पराउँथिन्, जंगलका फूलसँग कुरा गर्थिन्, अनि स्वप्न देख्थिन् – न कुनै शाही जीवनको, बरु साँचो प्रेमको।

एक दिन, राजा आफ्नो भेष बदलेर जनताको हालचाल बुझ्न गाउँतिर निस्किए। त्यही बेला उनी सुरभिसँग भेटिए – जंगलमा पानीको घैँटो बोकेकी, अनि चरा चिर्बिर गर्दै गाइरहेकी थिइन्।
उनको निष्कलंक हासोले, राजा वीरको वीरता पनि बिनासुरक्षीत बनाइदियो।

👑 एक असम्भव जस्तो प्रेम

राजा त मोहित भए, तर कसरी भन्ने? उनले सादा युवकको रुपमा सुरभिसँग मित्रता गाँस्न थाले। सुरभिलाई थाहा थिएन कि उनी जसलाई मन पराउँदै छिन्, ऊ वसंतपुरकै राजा हो।

राजा वीरले राजमहल फर्केर, सुरभिलाई एकदिन दरबारमा बोलाए। र गम्भीर स्वरमा भने –
"तिमीले मलाई पहिचानिनौ, तर म तिमीलाई आफ्नो रानी बनाउने चाहन्छु।"

सुरभि चकित भइन्। भोलिपल्ट सारा राज्यमा हलचल मच्चियो।
"एक किसानकी छोरी – रानी बन्ने?"
दरबारी हाँसे, राजपुरोहित गम्भीर भए। तर राजा वीरको उत्तर थियो:
"राजा त्यो हो जसले न्याय गर्छ, र रानी त्यो जसले प्रेम गर्छ।"

❤️ अन्त्य होइन, नयाँ सुरुवात

रानी सुरभिको सादगीले दरबारमा प्रेम र करुणा फैलियो।
उनीसहित राज्यमा विद्यालय खोलिए, महिलाहरूलाई अधिकार दिइयो, अनि राजा-रानीको प्रेम कथा बन्छ – पुस्तौंपुस्तासम्म सुनाइने कहानी, जसमा साँचो प्रेमले जात, हैसियत, रीतिथिति तोड्यो।


---

सीख:
प्रेम साँचो हो भने, ऊ सिंहासन होइन, साँचो साथ खोज्छ।
र जसले दिल जित्छ, उही साँचो राजा हुन्छ।

rajukumarchaudhary502010

कहानी की शुरुआत:
आरव को हर दिन डाक लेकर गांव भर में घूमना होता था। लेकिन एक दिन जब उसने कविता को पहली बार देखा, तो वक्त जैसे थम सा गया। वो नीली सलवार में खड़ी थी, बालों में दो चुटिया, और आंखों में सपनों का समंदर।

धीरे-धीरे आरव को पता चला कि कविता हर हफ्ते अपनी माँ को एक चिट्ठी भेजती है। और हर बार जब वो उसकी चिट्ठी लेकर आता, कविता के चेहरे पर एक मुस्कान बिखर जाती।

प्रेम की शुरुआत:
आरव ने कभी सीधे कुछ नहीं कहा, लेकिन चिट्ठियों पर लिखी गई कविताएं उसका दिल बयाँ करती थीं। एक दिन कविता को एक चिट्ठी मिली, बिना भेजने वाले का नाम –

> "तुम्हारी मुस्कान सबसे सुंदर शब्द है, जो मैंने कभी नहीं पढ़ा..."



कविता समझ गई थी... ये आरव के दिल की चिट्ठी है। मगर वो भी सीधे कुछ नहीं बोली। उसने अगली बार एक जवाबी चिट्ठी उसी अंदाज़ में डाक में डाल दी:

> "अगर मेरी मुस्कान कविता है, तो तुम मेरे पन्ने बन जाओ..."



संघर्ष:
गांव में जब ये बात फैलने लगी, लोगों ने ताने देने शुरू कर दिए। कविता के मामा को ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था।
"एक डाकिया और मेरी भांजी?" – उन्होंने नाराज़गी से कहा।

अंततः:
आरव ने अपनी इज़्ज़त और मोहब्बत के लिए गांव छोड़ शहर जाने का फैसला किया। लेकिन जाते-जाते कविता को एक आखिरी चिट्ठी लिखी:

> "शायद हम अब न मिलें, पर तुम्हारी हर चिट्ठी मेरे दिल की डाक है – कभी देर नहीं होगी, मैं जरूर जवाब दूंगा।"



कुछ सालों बाद, कविता एक टीचर बन गई। एक दिन स्कूल में एक स्पेशल पोस्टमास्टर को सम्मानित करने का आयोजन था — वो आरव था।

जब मंच से उसे कविता की आवाज़ सुनाई दी:
"आज मैं उस शख्स को सम्मानित कर रही हूं, जिसने मुझे प्रेम की सबसे खूबसूरत भाषा सिखाई — चिट्ठियों की भाषा।"

सभी तालियाँ बजा रहे थे। आरव और कविता की आंखों में आंसू थे — लेकिन वो आंसू खुशी के थे।


---

सीख:

प्यार अगर सच्चा हो, तो शब्दों में नहीं, खामोश चिट्ठियों में भी सांस ले सकता है। दिल अगर वफ़ादार हो, तो दूरी भी रास्ता बन जाती है।

rajukumarchaudhary502010

"માણસની મથરાવટીથી એની સાચી માણસાઈ છતીથાય છે, કોઈ માણસ મણનો હોય છે ,તો કોઈ માણસ કણનો હોય છે તો કોઈ ક્ષણનો હોય છે સમય આવ્યે આ સ્પષ્ટ થાય છે"

bharatgelot6129

🖋️ કાવ્ય શીર્ષક: "અંતિમ સાથ..."
(વિજયભાઈ રૂપાણીની વિદાય પર)

ચૂપ વાદળોની વચ્ચે, એક નમ્ર પ્રકાશ હતો,
ગાંધીના પ્રદેશે આજે, શાંતિનો અવકાશ હતો.

નેતા નહીં, એક સેવા યાત્રિક છે ગઈ,
કુદરત પણ આજે ભીની થઈ ગઈ, એમ લાગ્યું કે કંઈ ખૂટી ગઈ…

રાજકારણનું ઓરું આજે ખાલી ખૂણું લાગે,
જ્યાં બેઠા હતા તેઓ, ત્યાં આજ શૂન્ય સંગ્રામો વાગે.

ન મંચ ભાષણો છે, ન વાંસળીના સંગીત,
માત્ર માણસોની ભીની આંખે સ્મરણ અને ભીત.

પગલાંઓ નીચા, ભીની આંખે, હ્રદય ભૂમકી કરે,
એક સાચો વિજયી, આજે શમશાનની તરફ ધરે.

પતંગિયાની જેમ ઉડી ગઈ પ્રકાશમય દિશા,
જેમ વિજયભાઈની ઉડી ગઈ ભવિષ્યની આશા.

પરંતુ...

શબ્દો રોકાય નહીં, કાર્ય બોલે સતત,
વિજયભાઈનું જીવન, આજે પણ આપે સંકલ્પ પવિત્ર.


---

🙏 "અંત થાય છે શરીરનો, સાહિત્યમાં જીવંત રહે સ્મૃતિનો પ્રકાશ…"

vrundajani