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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है मयूर, मैने हाल ही में। dhumketu नाम की fantasy epic स्टोरी लिखी है।
कहानी का पहला चैप्टर 31 जुलाई 2025 को रिलीज होगा, ______अजय नाम का बहुत ही होनहार लड़का, जिसे एक दिन उल्कापिंड का असाधारण सा टुकड़ा मिल जाता है, फिर उसके जिंदगी में उथल - पुथल मच जाती है।
क्या है उस उल्कापिंड का रहस्य,?
आखिर कितनी बुरी ताकतें है उल्कापिंड के पीछे?
जानने केलिए हमें follow करें, और इंतजार करें कहानी के हर एक भाग का।
कधी शांततेत बोलतो तो, माझ्यासारखा
कधी स्वप्नात फिरतो तो, माझ्यासारखा...
लपवतो प्रत्येक वेदना हास्याआड
आणि मग एकटाच रडतो तो, माझ्यासारखा...
कधी नजरेतून उलगडतो सारे रहस्य
कधी स्वतःपासूनही घाबरतो तो, माझ्यासारखा...
प्रत्येक प्रवासात शोधतो एक आपलंसं चेहरा
आणि मग स्वतःलाच भेटतो तो, माझ्यासारखा...
तोही लिहितो भावना कागदावर शांतपणे
प्रत्येक शब्दात हुंदके असतात त्याचे, माझ्यासारखे...
जरी कितीही लपवला स्वतःला दुनियेकडून
आतून तुटतो तो, माझ्यासारखा...!! 🥀
– फज़ल अबुबकर एसाफ
"એક નાની બાળકી શાંતિથી ચેસબોર્ડ સામે બેસી રહી… કોણ જાણતું હતું કે એના નાજુક હાથો ક્યારેક ગ્રાન્ડમાસ્ટર જેવી ચાલો ચાલશે."It started with one moment — watching Koneru Humpy win for India. That spark turned into fire. From dreaming like Humpy to playing beside her — Divya Deshmukh is proof that inspiration, when followed with dedication, can rewrite destiny."
कल देर से फिर,
काली रात से बात हो गई
है कितना अंधेरा उसके पास,
इस बात पर बात हो गई
गिना कर अपना अंधेरा,
चांद तारो के साथ वो मायूस हो गई
देखकर उसको मायूस ऐसे,
मैं भी अपने पन्ने पलटने पर मजबूर हो गई
पन्ने पूरे खुलते,
इस से पहले ही रात को घबराहट हो गई
बिना चांद तारो के ,
इतना अंधेरा देख रात भी हैरान हो गई
उसके इस सवाल पर,
मै मुस्कुरा कर रह गई
रहती हूं इस तरह कैसे,
रात के सवाल पर मैं मौन हो गई
जवाब तो शायद यही था,
कि बस इस अंधेरे की आदत मुझे हो गई
🌼 अनुभूति – दिल से दिमाग तक की यात्रा 🌼
अनुभूति आई सुबह-सुबह, दरवाज़ा खटखटाई,
बोली — “मैं दिल से आई हूँ, ज़रा चाय तो पिलाई!” ☕
मैं बोला — “अभी-अभी तो टूटी है नींद प्यारी,
और तू लेने लगी है दर्शन की जिम्मेदारी?”
कभी खुशी में झूमती, कभी दुःख में रो देती,
बिना बुलाए आ जाए, बातों से बहका देती! 😅
जब छत पर आया कबूतर, बोली — “प्यार का संकेत है!”
पर नीचे गिरा जो परिंदा, बोली — “अरे ये तो लफड़े की रीत है!” 🐦
शर्म से बोली — “वो देखो, पड़ोसी मुस्कराया,”
मैं बोला — “बिजली का बिल आया है, वो रोने को छुपाया!” ⚡
फिर भूख लगी तो बोली — “देखो जीवन की साधना है,”
रोटी देख बोली — “प्रेम की सर्वोच्च भावना है।” 🍞
गर्मी में पंखा चला तो बोली — “शीतल स्पर्श की अनुभूति है,”
AC चला तो बोली — “बिल से जीवन में त्रुटि है!” 😂
Online क्लास में टीचर ने डाँटा — “Unmute कर के बैठा करो!”
अनुभूति बोली — “यह मौन साधना का चरम है, ज़रा संयम से सहो!” 🎧
खाँसी आई तो बोली — “कोरोना फिर से आया है,”
जब दादी ने हल्दी दी — “यही अनुभव तो माया है।” 🤧
मैं चुप बैठा मोबाइल में, reels देखता जा रहा था,
अनुभूति बोली — “अरे वाह! तुम तो Self-realisation पा रहा था!” 📱
प्याज़ काटते आँखें बहने लगीं — “ये तो सच्चा इश्क़ है!”
पर जब सब्ज़ी जली तो बोली — “तपस्या में फिस्क है।” 🧅🔥
अंत में बोली — “अब मैं जाऊँ, दिनभर काफी छाप छोड़ी,”
मैं बोला — “ठीक है बहन, पर कल मत आना, बहुत चिट्ठियाँ छोड़ी!” ✋
😄 "अनुभूति" — जब हो जाए थोड़ी ज़्यादा, तो जीवन बन जाए पूरी ड्रामा-सीधा नाटकशाला!
✍️ डॉ. पंकज कुमार बर्मन
(कटनी, मध्यप्रदेश)
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