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pintu majhi

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@pintumajhi.678666


आज फिर लगा कि...

आज फिर लगा कि कुछ छूट गया है,
भीड़ में चलते-चलते मैं रुक गया हूँ।
खुशियों की चादर ओढ़े जो चेहरे थे,
उनके पीछे कोई ग़म छुप गया है।

आज फिर लगा कि रिश्तों की भीड़ में,
एक अपनापन कहीं खो गया है।
जो बातें थी दिल से दिल तक जाने की,
वो शब्दों में भी अब दम तोड़ गया है।

आज फिर लगा कि मुस्कान नकली थी,
अंदर कुछ रोता-सा शख़्स बैठा था।
आईना देख हँसते थे जो लोग कभी,
अब परछाइयों से भी डर गया है।

आज फिर लगा कि वक़्त से हारा हूँ,
मगर हार के भी कुछ सीखा हूँ।
जीवन की भीड़ में खोया हूँ भले,
पर भीतर कहीं मैं जीता हूँ।

✍️ डॉ. पंकज कुमार बर्मन,कटनी,
मध्यप्रदेश
- pintu majhi

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☀️ सुप्रभात... याद है ☕

याद है...
हर सुबह तेरी “सुप्रभात” वाली मुस्कान,
और चाय के प्याले में घुली वो बातों की जान।

याद है...
खिड़की से झाँकता सूरज,
और तुम्हारे “जागो ना!” कहने का अंदाज़ भी याद है।

याद है...
तुम्हारा सुबह-सुबह बेमतलब लड़ना,
फिर "चलो मुस्कुरा लो" कह कर सब सुलझा देना भी याद है।

याद है...
साथ में उठना, साथ में दिन की शुरुआत करना,
और तेरे बिना सुबह का अधूरा सा रह जाना भी याद है।

याद है...
तेरी भेजी वो फूलों वाली सुप्रभात तस्वीरें,
और हर इमोजी में छिपे जज़्बात भी याद हैं।

याद है...
तेरे शब्दों में बसी दुआएं,
और उन दुआओं में मेरा नाम होना भी याद है।

आज भी हर सुबह
तेरी यादों का सूरज उगता है,
और तेरी शुभकामनाओं की रौशनी से
मन फिर से "सुप्रभात" कहता है... ☀️

✍️ डॉ. पंकज कुमार बर्मन,कटनी,
मध्य प्रदेश

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