सजल
पदांत - मेरे प्यारे पापा जी
समांत- अको
मात्रा भार- 16+14=30
बहुत याद आते हैं हमको......
बहुत याद आते हैं हमको, मेरे प्यारे पापा जी।
कुँभकार बन गढ़ा है मुझको, मेरे प्यारे पापा जी।।
उँगली पकड़ चलाया उनने, खड़े संग हर पल पाया।
राह दिखाई थी नित चहको,मेरे प्यारे पापा जी।।
बड़ा लाड़ला था मैं उनका, आशाएँ उनने पालीं।
दिशा बताई थी मत भटको, मेरे प्यारे पापा जी।।
लिख पढ़ कर जग को पहचाना, सबको बड़ा किया उनने।
सत् साहित्य पढ़ाया दमको, मेरे प्यारे पापा जी।।
जब भी खड़ी समस्या भारी, आँखों में झाँका उनने।
दिया प्रश्न का उत्तर सबको, मेरे प्यारे पापा जी।।
अनुजों के तुम पिता तुल्य हो, सीख सिखाई थी उनने।
कुछ तो समझ न पाए खुदको,मेरे प्यारे पापा जी।।
हर संकट का किया सामना, दिवा स्वप्न साकार किए।
समझा दोस्त सदा ही हमको,मेरे प्यारे पापा जी।।
आदर्शों की बाँध पोटली, अब भी चलता रहता हूँ।
भुला नहीं पाया उस पलको,मेरे प्यारे पापा जी।।
उपन्यास और कहानियाँ, लिखी डायरी संस्मरण।
रामनाथ *श्रीनाथ* शुक्ल जी, मेरे प्यारे पापा जी।।
करें याद हर घड़ी सभी जन, अपने-अपने ईश्वर से।
क्यों पितर पक्षों में अटको, मेरे प्यारे पापा जी।।*
मनोज कुमार शुक्ल मनोज
6/9/24