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कभी तो ऐसा होगा जब तुम भी मुझे महसूस करोगे
कभी एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम सिर्फ मेरे लिए आओगे
मुझे वो सब दोगे जो मैने कभी तुमसे मांगा नहीं
मुझे बेवजह संभालोगे
कभी तो होगा जब तुम मेरा हाथ सम्मान के साथ पकड़ना चाहोगे
कभी तो ऐसा दिन आएगा जब हम साथ नम आंखों से देखेंगे
कभी तो ऐसा होगा जब तुम भी वही चाहो जो मैं चाहती हु
कितना खूबसूरत होगा वो पल अगर तुम वापस आ जाओ
https://yashs1819.blogspot.com/?m=1
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तो ठरला पडद्यामागचा कलाकार......
नाही कधी हसताना पाहिलं,
नाही कधी रडताना पाहिलं,
सगळ्या कामाचा तो धनी,
त्याच्याकडे सगळा सोपस्कार,
कारण तो ठरला पडद्यामागचा कलाकार......
सगळ्यांना चांगले कपडे देऊन,
स्वतः फाटके कपडे घातले,
तरी तो हासत आयुष्य जगला,
नाही होऊ दिला कोणाच्या आयुष्याचा बाजार,
कारण तो ठरला पडद्यामागचा कलाकार......
नाही त्यानी नऊ महिने कष्ट झेलले,
पण हिर्या सारख्या जपलेल्या हिऱ्याला,
दुसर्याच्या हातात सोपवले,
तेव्हा हि त्याच्या चेहरा निराकार,
कारण तो ठरला पडद्यामागचा कलाकार....
तो होता बाप,
ज्याच्या कामाला नाही माप,
तो सगळ्यांच्या आयुष्याचा चित्रकार,
पण तो ठरला पडद्यामागचा कलाकार.......
तो ठरला पडद्यामागचा कलाकार......
आजकल के हाइपरएक्टिव बच्चे माँ-बाप की बातें नहीं मानते और उन्हें डाँटने-फटकारने से और भी ज़िद्दी हो जाते हैं। ऐसे में माँ-बाप अपने बच्चों को कैसे सुधारें जिससे वे जीवन में प्रगति करें और अच्छे व्यक्ति बनें? आइए जानें इस विडीयो में।
Watch here: https://youtu.be/RxAgpl5Fbzw
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અહીં સિંહની જગ્યાએ કૂતરું પાણી પી રહ્યું હોત તો લોકો કૂતરાને ડરાવી ભગાવીને નીકળી જાત. જો ગાય પાણી પી રહી હોત તો કરુણા ભાવથી જોઈ અને બાજુમાંથી નીકળી જાત. પણ અહીં સામર્થવાન પાણી પીવે છે. એટલે લોકો રોકાઈ ગયા છે. અહીં ડરાવવાનું કે કરુણાભાવથી જોવાનું છોડીને લોકો હોર્ન વગાડ્યા વગર, પોતાનો શ્વાસ રોકીને, ગાડીના દરવાજા લોક કરીને, શાંતિથી બેઠા છે. ચિત્રનો ભાવાર્થ છે... શક્તિ જ શાંતિ અને ન્યાય સ્થાપિત કરી શકે છે, અહિંસા કે કરુણા નહીં.
આવું ના બોલો,કોઈ તમારું બની ગયું છે.
કોઈ તમારું નથી છતાં છે...!!
શું કામ એકલતા અનુભવવી!?!
માણસ નહીં તો પશુ,પક્ષી,વૃક્ષ,વનસ્પતિ !
જે કયારેય પંડનાં થયા પછી
દગો નથી દેતાં...!!
આ જગતને સાંકડું ના સમજો,એમ માંકડું પણ ના સમજ!!
આ જગતને જાણવા જગદીશે અહીં મોકલ્યાં છે.
જેમ સીતા,કુંતા,મીરાં,મદાલસા,અંબા,અંબિકા,તારામતી,મંદોદરી!
એ પણ માણસ રૂપે અવતરી અને માણસાઈના દીવા કરી,ચીરકાળ દિવેલ પુરી ચાલી ગઈ.
આ જગત એક રમતનું મેદાન છે,
માત્ર ક્રિકેટનું મેદાન નહીં,
ઘણી રમત શીખવાની બાકી છે
અને શીખેલી શીખવવાની છે.
. - વાત્સલ્ય
आज की माँ
दिल्ली की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मीरा रहती थी - एक सिंगल मदर, जिसने अपने बेटे आरव के लिए पूरी दुनिया छोड़ दी थी। हर सुबह वो पाँच बजे उठती, टिफिन बनाती, यूनिफॉर्म प्रेस करती और आरव को स्कूल भेजकर खुद ऑफिस निकल जाती।
मीरा कोई पारंपरिक माँ नहीं थी जो चौखट पर खड़ी इंतज़ार करती। वो पैंटसूट पहनती, मीटिंग्स करती और कोड लिखती थी। लेकिन उसका दिल, हर माँ की तरह, अपने बच्चे के लिए ही धड़कता था।
एक दिन आरव उदास घर आया। उसकी आँखों में आँसू थे।
"माँ, स्कूल में सब कहते हैं कि तुम बाकी मम्मियों जैसी नहीं हो। तुम स्कूल इवेंट्स में नहीं आती, हर दिन खाना नहीं बनाती, और हमेशा काम में रहती हो।"
मीरा मुस्कुराई, उसके पास बैठ गई और उसका चेहरा अपने हाथों में लिया।
"बेटा, आज की माँ सिर्फ रसोई तक सीमित नहीं है। वो बाहर जाकर भी तुम्हारे लिए लड़ती है, तुम्हारे सपनों को हकीकत बनाने के लिए। मैं काम इसलिए करती हूँ क्योंकि मैं तुम्हें सबसे अच्छा देना चाहती हूँ।"
आरव ने मीरा को कसकर गले लगाया।
उसे अब समझ आ गया था -
आज की माँ वही है जो हर चुनौती के बीच भी अपने बच्चे के लिए ढाल बनकर खड़ी रहती है — चुपचाप, मज़बूती से और पूरे प्यार के साथ।
"अगर आपको मेरी यह कहानी पसंद आए, तो कृपया इसे लाइक करें, अपने दोस्तों के साथ साझा करें, और यदि आप चाहें तो मुझे फॉलो भी करें। इससे मुझे एक और कहानी रचने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।"
#life motivation quotes
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