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New bites

Good evening

kattupayas.101947

कुछ सफ़र इतने खूबसूरत होते हे
मंजिल तक पहुंचने का मन ही नहीं होता।।।🦋

nandiv

funny quotes

kattupayas.101947

માનવની શાશ્વત ખોજ

જ્યારે તમે ભગવાનને પ્રાર્થના કરો છો, ત્યારે તે તમારી પ્રાર્થનાને અનુભવે છે. ભગવાન તેમના ભક્તોના પોકારથી વાકેફ હોય છે. તેઓ તમારી લાગણીઓના સ્પંદનોને ગ્રહણ કરે છે. અને જ્યારે તમારી પ્રેમપૂર્ણ માંગણી ખૂબ જ બલવત્તર બની જાય છે ત્યારે ઈશ્વર તમને દર્શન આપે છે.

પરમહંસ યોગાનંદજી

jagu28

कुछ ना पूछो सवाल अब
हकीकत बदलने लगा है...
पहले मंजर कुछ और था
अब शहर पिघलने लगा है...
---डॉ अनामिका---

rsinha9090gmailcom

इस बे मौसम बारिश के अपने भी खुद मसले हैं,
"खुद भी रोया होगा" ये शेर पुराने हैं...

dipika9474

Good afternoon

kattupayas.101947

जहाँ स्पर्धा है, वहाँ संसार है और जहाँ स्पर्धा नहीं हो, वहाँ ‘ज्ञान’ है। - दादा भगवान

अधिक जानकारी के लिए: https://dbf.adalaj.org/SwhXaXGg

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dadabhagwan1150

" મર્જ એ ઇશ્ક "

ના હવા કામ આવી, ના દુવા કામ આવી.
મર્જ છે ઇશ્કનું આ, ના દવા કામ આવી.

તાર પણ આ હૃદયનાં, છેડયાં કંઇક એવાં,
વાંસળી કામ આવી ના વિણા કામ આવી.

કોઇનાં પણ હૃદયમાં જો વસી ગ્યાં પછી તો,
એમના દિલ વિના કો' ના જગા કામ આવી.

લાગયો છે બદલવા પ્રેમ પણ જિંદગીનો,
પાનખર કે વસંતની, ના મજા કામ આવી.

"વ્યોમ" એક ઝાંઝવું મેં દોરયું શુષ્ક રણમાં,
દેખતાં એમ રહ્યાં, ના તૃષ્ણા કામ આવી.

✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર.

omjay818

🙏🙏પવનની લહેરખીઓ એ તોતિંગ વૃક્ષોને પણ જમીનથી ઉખાડી મુક્યા,

એક પવન સાથે નમતી લતા ડાળખીઓ મોજથી લહેરાઈને અસ્તિત્વ બચાવી શક્યા.

'હું' માણસ મદ, અભિમાનમાં કંઈ તાકાતથી રહ્યા કરું છું ખબર નથી.

કુદરત નો એક તટસ્થ નિયમ 'જેવું કરશો તેવું પામીશું' બસ આટલી આપણે ખબર નથી?🦚🦚

parmarmayur6557

ગરમીને પણ વાંધો પડયો
સૂરજ સાથે
દોસ્તી કરી ઝાકળ બની
વાદળો સાથે …
-કામિની

kamini6601

કિસ્મત તારી જાતે નહીં બદલાઈ,
એ તો તું બદલાઈશ ત્યારે બદલાશે...

મનોજ નાવડીયા

manojnavadiya7402

একগুচ্ছ কবিতা
আইয়ুব খাঁন
০১/১১/২০২৩



গুচ্ছ গুচ্ছ ভাবনা নিয়ে,
কিছু শব্দ সাজিয়েছি যতনে,
হৃদয়ের গহীনে রাখা কথা,
ঢেলে দিলাম কবিতার লাইনে।

তোমার মনের শব্দরা,
আমার কলমের সাথী,
তোমার চোখে আশ্রয় পেলে,
আমার ছন্দরা খুশি।

লিখবো আমি নতুন করে,
শিখবো তোমার থেকে,
ছন্দে ছন্দে বাঁধবো ছড়া,
তোমার মনের ভাষাতে।

পাশে কি দাঁড়াবে তুমি?
আমার কবিতার উঠোনে,
একসাথে একসুরে গাইব,
একগুচ্ছ কবিতার সুরে।

তোমার মতামত চাই,
তোমার ভালোবাসা চাই,
গুচ্ছ কবিতার আঙিনায়,
শুধু তোমাকে চাই ।



সমাপ্ত

aiubkhan337587

(दोहाश्रित सजल)
समांत-आन
अपदांत
मात्रा भार 24
यति 13/11

आतंकी को पालता, सनकी पाकिस्तान......

आतंकी को पालता, सनकी पाकिस्तान।
रावण का वंशज बना, गुमी दीन-पहचान।।

दुश्मन शांति का बना, जग में है बदनाम।
निर्दोषों को मारता, पैशाचिक मुस्कान।।

कट्टरता की कोख से, जिन्ना का अवतार।
मानवता पर चोट कर, नित करता अभिमान।।

गधे भरे हैं पाक में, बस मुल्ला की सोच।
लिए कटोरा माँगता, यही शेष अभियान।।

सहने का साहस गया, भारत में भूचाल।
पहलगाम के घाव से, आहत है इंसान।।

नदियों का जल रोक कर,दिया बड़ा संदेश।
मोदी का यह फैसला, आफत में है जान।।

भारत का अब प्रण यही, छोड़ पड़ोसी धर्म।
लातों के इस भूत का, होगा पूर्ण निदान।।

मनोजकुमार शुक्ल "मनोज"
6/5/25

manojkumarshukla2029

☔ imran ☔

imaranagariya1797

Good morning

kattupayas.101947

bitter truth

rohanbeniwal113677

relatable?

rohanbeniwal113677

घने पहाड़ी जंगलों के बीच बसा एक छोटा-सा गाँव था—'रुपगढ़'। यहाँ के लोग प्रकृति से गहराई से जुड़े थे, पर एक कोना ऐसा था जहाँ कोई नहीं जाता था। अब क्यों नहीं जाते थे यह तो उन्हें खुद भी नहीं पता,पुरखों ने मना किया था तो उन्होंने भी मान लिया।

उस कोने में, एक ऊँची चट्टान के किनारे, एक छोटी सी बच्ची रोज़ चुपचाप बैठती थी-नाम था "नैना"। वह बाकी बच्चों से अलग थी, ज्यादा नहीं बोलती, पर उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। वह घंटों एक ही जगह बैठी रहती, चुपचाप उस चट्टान से नीचे फैली वादियों को निहारती।

लोग सोचते थे, शायद उसे कुछ समझ नहीं आता। लेकिन एक दिन गाँव की शिक्षिका, मिस सारिका, नैना के पीछे-पीछे उस चट्टान तक गईं। उन्होंने देखा, नैना ज़मीन में कुछ खुदाई कर रही थी। जब पास जाकर देखा, तो वहाँ एक सुंदर सा जंगली फूल उग आया था-बैंगनी रंग का, चार पंखुड़ियाँ, और भीनी-सी खुशबू।

सारिका जी ने हैरानी से पूछा, "नैना, ये तुमने लगाया है?"

नैना मुस्कुराई और बोली, "नहीं, ये खुद उग आया। लेकिन मैं इसे रोज़ देखने आती हूँ। कोई इसे कुचल न दे, इसलिए मैं इसके पास बैठती हूँ।"

सारिका जी भावुक हो गईं। उस दिन उन्होंने गाँव में सबको बुलाया और कहा, "नैना हमें सिखा रही है कि जो सुंदरता हमें बिना माँगे मिलती है,जैसे ये जंगली फूल- उसे बचाना हमारा कर्तव्य है।"

धीरे-धीरे वो जगह 'नैना की बगिया' कहलाने लगी। वहाँ और भी जंगली फूल उग आए। गाँववालों ने उस जगह को संरक्षित क्षेत्र बना दिया। अब वहाँ हर साल 'जंगली फूल उत्सव' मनाया जाता है, जहाँ नैना की मुस्कान सबसे बड़ी सजावट होती है।

कभी-कभी सबसे सुंदर चीज़ें हमें बिना प्रयास के मिलती हैं, लेकिन उन्हें बचाना हमारा असली प्रयास होता है।

rohanbeniwal113677

मौसम की मांग हैं,
महबूब को बुलाया जाए ✍️

hp.398092

Goodnight

kattupayas.101947