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[Book: अंडरस्टैंडिंग मोहम्मद, सर्च गूगल एंड डाउनलोड फ्री pdf]
★ मुहम्मद की शारीरिक बीमारियां
मुहम्मद शारीरिक रूप से बीमार इंसान था। युवावस्था में वह अपनी होने वाली बीबी खदीजा को भले ही अच्छा लगता होगा, लेकिन जीवन के बाद के सालों में उसकी शकक््ल-सूरत और डील-डौल अजीब हो गया था और उसके साथी उसकी काया को अजीब पाते थे। अनस ने बताया है: 'रसूल के हाथ और पैर बहुत बड़े थे और मैंने अपने जीवन में कभी वैसी काया वाला इंसान नहीं देखा, उनकी हथेलियां मुलायम थीं।?'
मुहम्मद के हाथों और पैरों के अलावा चेहरे की आकृति बेडौल थी। मनाकिब (बुक आफ मेरिट्स) में इमाम अत-तिरमिज्ञी” ने कई हदीसों का संकलन किया है, जिसमें मुहम्मद की शारीरिक विशेषताओं के बारे में बताया गया है। इन हदीसों की समीक्षा से मुहम्मद के स्वास्थ्य व बीमारियों का सुराग मिल सकता है | मुहम्मद के अनुयायी ससे श्रेष्ठ बताने के लिए अतार्किक और अतिरंजित बातों का भी सहारा लेते हैं । जैसा कि वे उसके चेहरे की आभा की प्रशंसा करते हैं, वे बताते हैं कि कैसे उसकी सुंदरता चांद को शर्माने पर मजबूर करती थी, या फिर कैसे उसके सामने खड़े लोग उसकी चांद जैसी खूबसूरती और प्रेरणादायी उपस्थिति देखकर मुग्ध हो जाते थे। ये सब विषयनिष्ठ वर्णन है और इनका कोई वैज्ञानिक अथवा तथ्यात्मक मूल्य न के बराबर है, इसलिए मैं इनके बारे में बात नहीं करूंगा। नीचे उसके कुछ प्रमुख अनुयायियों द्वारा उसके बारे में किए गए वस्तुनिष्ठ वर्णन हैं:
अली बताता है: रसूल न तो लंबे थे और न नाटे । उनकी उंगलियां और अंगूठे मोटे थे। उनका सिर बड़ा था और जोड़ भी बड़े थे। उनके शरीर पर सीने से लेकर नाभि के नीचे तक रोएं की लंबी और पतली धारी थी । जब वह चलते थे तो बिलकुल आगे झुकते थे, मानो कि किसी ऊंचे स्थान से नीचे की ओर उतर रहे हों । मैंने उनके पहले और उनके बाद किसी और को ऐसा नहीं देखा। वे बड़ा सिर और बड़ी दाढ़ी वाले थे।'
एक और हदीस में अली कहता है: “वह मध्यम कद-काठी के थे। उनके बाल हल्के घुमावदार थे। उनका चेहरा गोलाकार था। वह गोरे थे और उनके चेहरे पर लालिमा रहती थी। उनकी आंखें बिलकुल काली थीं और पलके बहुत लंबी थीं। उनके कंधे और गरदन के दोनों तरफ की हंसुली बड़ी थी।'
उनकी अंगुलियां और अंगूठे मोटे थे। जब वह चलते थे तो वह अपना पैर बहुत ताकत से उठाते थे, मानो कि किसी ढलान वाले स्थान पर चढ़ रहे हों। जब वह किसी की ओर मुखाबित होते थे तो पूरा शरीर घुमाते थे। उनकी गरदन ऐसी (चिकनी और चमकदार) दिखती थी, जैसे कि किसी मूर्ति को चांदी में ढाला गया हो। उनका शरीर मजबूत और ऐसा मांसल था, सीना और पेट का हिस्सा बराबर था और ऐसा दिखता था जैसे कि कोई लौह दंड हो। उनके कंधे चौड़े थे और बड़ी हंसुली वाले थे। जब वह कपड़े हटाते थे तो उनके अंगों से रौशनी (तैलीय त्वचा) निकलती थी। उनकी भुजाएं चौड़ी थीं, उनकी हथेली चौड़ी थी, उनकी उंगलियां और अंगूठे भरे हुए और लंबे थे। उनके पैर इतने चिकने थे कि पानी भी फिसल जाता था।”'
हिंदा बिन अबी हाला ने भी कहा है: 'रसूल का सिर बड़ा था। उनके बाल घुमावदार थे। उनके चेहरे का रंग गुलाबी था, चौड़ा माथा, घनी और तनी हुई भौहें थीं, जो बीच में जुड़ती नहीं थीं। इनके बीच में एक नस उभरी थी, जो जब वे गुस्से में होते थे तो तन जाती थी । उनकी नाक बाज की नाक की तरह मुड़ी हुई थी और जब इस पर रौशनी पड़ती थी तो पहली नजर में और लंबी दिखती थी। उनकी दाढ़ी घनी और लंबी थी। सपाट गाल थे और मजबूत मुख था, जिस पर सामने के दाँतों के बीच जगह खाली थी। उनकी गरदन इतनी सुडौल और चमकदार दिखती थी, मानो कि चांदी में ढाली गई बुत हो। उनके शरीर का आकार बेहद संतुलित, मजबूत, तगड़ा और मांसल था, जिसमें पेट और छाती बराबर थी । उनके कंधे और हंसुलियां चौड़ी थीं। उनके बाजू लंबे थे, हथेलियां चौड़ी थीं, उंगलियां और अंगूठे लंबे और मोटे थे। उनके पैर के तलवे बीच से जमीन से बड़े करीने से उठे हुए होते थे।
जब वह चलते थे तो अपने पैर ताकत से उठाते थे, हल्के से आगे की ओर झुकते थे, और फिर जमीन पर नजाकत से कदम उठाते थे । जब वह किसी को देखने के लिए मुड़ते थे तो पूरे शरीर को घुमाते थे | उनकी नजरें झुकी हुई रहती थीं और वे अक्सर जमीन पर देखा करते थे, या फिर आसमान की ओर देखते रहते थे। वह किसी चीज को घूरने के बजाय उस पर बस एक नजर मारते थे।'
मुहम्मद का एक और साथी जबीर अल सुमुरा एक हदीस में कहता है: 'रसूल का मुख और आंखें बड़ी थीं।'
मुहम्मद का चचेरा भाई इब्ने-अब्बास दावा करता है: 'रसूल के सामने के दो दांतों के बीच में जगह थी।'
अली ने फिर कहा: उनके हाथ और पांव भारी और मोटे थे, (लेकिन सख्त नहीं ) | उनका सिर बड़ा था, हड्डियां चौड़ी थीं। जब वह चलते थे तो आगे झुकते थे, मानो कि किसी ढलान पर ऊपर चढ़ रहे हों | वह गोरे थे और गुलाबी आभायुक्त थे। उनकी अंगों के जोड़ों पर आकार बड़े थे और ऐसे ही उनकी शरीर के पिछले भाग का ऊपरी हिस्सा चौड़ा था (तबाकत से लिया गया, ॥५ं॥65/877.0 में भी प्रकाशित) गांठें बड़ी थीं।'
बुखारी ने भी लिखा है कि मुहम्मद के पैर के पंजे और पांव आंटे की लोई की तरह नरम और फूले गूदेदार थे।”
हदीसों से मुहम्मद की शारीरिक निम्नलिखित विशेषताओं के बारे में जाना जा सकता हैः
भारी और मांसल हाथ और पैर
चौड़ी और गद्दीदार हथेलियां
बड़ा सिर
बड़ी हड्डियां और जोड़
चौड़ी छाती, बड़े कंधे के जोड़ और ऊपरी हिस्सा
लंबे बाजू लंबी मोटी उंगलियां और अगूंठे
लंबी मुड़ी हुई और ऊपर की ओर उठी हुई गुदगुदी नाक
चौड़ा मुख और मोटे ओठ
बड़ी आंखें
बीड़र (बीच में खाली स्थान) दांत
लंबी सफेद गरदन
चमकदार त्वचा (तैलीय दिखने वाली)
घने बाल व दाढ़ी, घनी व बड़ी भौहें
चलते समय आगे झुकना, मानो किसी ढलान पर उल्टे चढ़ना हो (अंगों का कड़ा होना)
तेज कदमों से चलना (बेचैनी)
गरदन हिलाने में दिक्कत और पूरे शरीर को मोड़ना (कैटाटोनिक व्यवहार)
हल्की लाल रंगत वाली सफेद त्वचा
पसीना आना
शरीर से अजीब तरह की दुर्गध आना, जिसे अधिक मात्रा में इत्र डालकर छिपाने का प्रयास करना
ऊंट की तरह खर्रटे भरना
बाद के सालों में नपुंसक हो जाना
अपने आप होठों में हरकत होना
शर्मीला और नखरेबाज होना
ये सब अतिकायता (ऐक्रोमेगली) नामक शारीरिक विकृति के लक्षण हैं। यह विकृति एक दुर्लभ अंत:ख्रावी सिंड्रोम है। यह समस्या पीयूषिका ग्रंथि से अधिक स्राव के कारण संयोजी ऊतकों के विकास की कारक कोशिकाओं के असामान्य गुणांक में बढ़ने (मेसेनकाइम्ल हाइपरप्लासिया) से पैदा होती है। ये लक्षण प्रकट होना सामान्यतः घातक होता है, क्योंकि ये विकृतियां समय से पूर्व ही एकरूप परिवर्तन के साथ बढ़ते हुए त्वचा को चमकदार और ऐसा मुलायम बना देती हैं, जैसे की आंटे की लोई। बच्चों में पीयूषिक ग्रंथि का अति सक्रिय होना कभी-कभी विशालकायता की समस्या को उत्पन्न कर देती है | सामान्यतः लोग 40-50 साल की उम्र में अतिकायता की विकृति को पहचान पाते हैं।
यदि इस विकृति का इलाज न किया जाए तो कई गंभीर बीमारियां पैदा हो जाती हैं और ऐसे व्यक्ति की सामान्यतः 60 साल की उम्र आते-आते मौत हो जाती है। इस समस्या का मुख्य चिकित्सीय पहलू यह है कि इसमें उपास्थि ऊतक और कान-नाक, उंगलियों आदि परिसरीव अंगों की हड्डियां असामान्य रूप से बढ़ने और फूलने लगती हैं। (एक्रो मतलब अति, जबकि मेगली का मतलब विशाल या दैत्याकार) । मुलायम ऊतकों के फूलते जाने के कारण अंगुलियां, हाथ और पांव के आकार में असामान्य वृद्धि दिखती है । इस विकृति से पीड़ित मनुष्य में विशेष लक्षण उसके चेहरे का अतिकाय (ऐक्रोमेगलाइड) दिखना होता है । जैसे कि उसका माथा अति चौड़ा, चेहरे का भद्दे ढंग से फैला होना, बड़ी नाक, बड़े कान, लंबी जीभ और असामान्य रूप से लटके बड़े ओठ। अस्थियों और उपास्थियों में असामान्य वृद्धि अक्सर गठिया रोग का कारण बनती है । जब ऊतक मोटे हो जाते हैं तो ये स््रायुओं पर लिपटने लगते हैं, जिससे कलाइयों में स्थित नली (कार्पल टनल) में समस्या पैदा होने लगती है और हाथों में कमजोरी होना या हाथों के सुन्न होने जैसी समस्या उत्पन्न होती है । जबड़ों का असामान्य रूप से बढ़ना दांतों के बीच खाली स्थान बढ़ाता है
अन्य लक्षणों में स्वर रज्जु (वोकल कार्ड) और नाड़ी (साइनस) के बढ़ने से आवाज में भारीपन आना, श्वांस नलिका में ऊपर की ओर आक्सीजन प्रवाह में बाधा पैदा होने से खर्राटा भरना, अधिक पसीना आना, शरीर से दुर्गध आना, थकावट व कमजोरी महसूस करना, सिर में दर्द रहना, आंख कमजोर होना और नामर्दी आना आदि शामिल हैं। इस विकृति के कारण यकृत (लीवर), तिल्ली (स्प्लीन), गुर्दा (किडनी) व हृदय सहित शरीर के अन्य अंगों में असामान्य वृद्धि होने की आशंका होती है 7”
मुहम्मद के बारे में जो लिखा गया है, उसमें कहा जाता है कि उसका रंग गुलाबी आभा वाला था। लेकिन कई दूसरी हदीस बताते हैं कि जब वह अपनी कांख दिखाने के लिए बाजू उठाता था अथवा घोड़े पर चढ़ते समय उसकी जांघ दिखती थी तो उसके साथियों को उसकी चमड़ी में कुछ सफेद-सफेद कुछ दिखता था। अतिकायता की विकृति से ग्रस्त करीब 40 प्रतिशत मामलों में त्वचा में अतिरंजकता होती है और यह शरीर के लगभग उन स्थानों पर होती है, जो प्रकाश के सीधे संपर्क में आते हैं | ऐसा संभवत: मेलानिन उत्पन्न करने वाले ग्रंथिरस (हार्मोन) की अधिकता से होता है। इसलिए उसका चेहरा लाल था, लेकिन शरीर के वो भाग जो प्रकाश के सीधे संपर्क में नहीं आते थे, सफेद थे। इस विकृति का एक और लक्षण पांव के ऊपर के भाग और नीचे तालू के भाग का एकसाथ उभरा होना होता हे
यह भी एक हदीस में मौजूद है, जैसा कि ऊपर उद्धरण दिया गया है। यह हदीस कहती है कि मुहम्मद को पसीना अधिक आता था और शरीर से दुर्गध आती थी, जिसे वह ढेर सारा इत्र छिड़कर छिपाने की कोशिश करता था। हैकल सही मुस्लिम से एक हदीस का हवाला देते हुए कहता है कि मुहम्मद जिस इत्र का इस्तेमाल करता था, वह इतना तेज था कि उसकी खुशबू से गलियों में लोग जान जाते थे कि वह कहीं आसपास है। जबीर ने कहा: 'जिस रास्ते से रसूल गुजरते थे, वहां से गुजरने वाले लोग खुशबू को महसूस करते थे और समझ जाते थे कि अल्लाह के रसूल इधर से होकर गए हैं।”?४
मुहम्मद अपनी बीबियों के पास जाने से पहले सतर्क रहता था। आयशा कई हदीसों में कहती है: “मैंने ने अल्लाह के रसूल पर इत्र छिड़का और फिर वे अपनी बीबियों के पास गए।”* वह इत्र के इस्तेमाल को लेकर इतना लालायित रहता था कि आयशा ने टिप्पणी की, “मैं सबसे बेहतरीन इत्र से अल्लाह के रसूल पर तब तक खुशबू बिखेरती थी, जब तक कि उनके माथे और दाढ़ी में से उसकी खुशबू नहीं आने लगती थी ।283 यह लिखित है कि मुहम्मद ने यह स्वीकार करते हुए कहा था, 'ऐ अल्लाह तुमने इस कायनात में मेरे लिए औरतों और इत्र को माशूक बनाया।“» मुहम्मद के एक साथी अल-हसन अल-बसरी ने लिखा है: ' अल्लाह के रसूल ने कहा, 'इस दुनिया की जिंदगी के बारे में मैं केवल दो चीजों औरत और इत्र को संजोता हूं।'?* (कितना भोला इंसान!)
आयशा द्वारा इस रिवायत के एक और संस्करण में बताया गया, 'अल्लाह के रसूल को दुनिया में तीन चीजें पसंद थीं: वे थीं इत्र, औरतें और पकवान | उनके पास पहली दो चीजें इत्र और औरतें थीं, बस पकवान उनके नसीब में नहीं रहे |?“ ऐसा नहीं है कि मुहम्मद की हैसियत पकवान बनवाने की नहीं थी। उसके पास उन हजारों लोगों का धन था, जिन्हें उसने खत्म कर दिया था। पर बात यह है कि असामान्य तरीके से अत्यधिक भूख लगना भी अतिकाया विकार (एक्रीमेगली) का एक लक्षण है /”” आवश्यकता से अधिक इत्र का प्रयोग करना बताता है कि मुहम्मद अपने शरीर से आने वाली बदबू से हीन भावना महसूस करता था और बदबू को छिपाने की भरपूर कोशिश करता था। अतिकाया विकार (एक्रीमेगली) का एक और लक्षण सिर में दर्द रहना है, जिसे कम करने के लिए मुहम्मद सिर को दोनों हाथों से पकड़कर रखता था १
रसूल का सिर कसकर बंधा हुआ था क्योंकि जब वह लहल जमाल नामक स्थान पर एहराम की अवस्था में था तो वह बीमारी से पीड़ित था। इब्ने-अब्बास आगे कहता है: "अल्लाह के रसूल जब एहराम की अवस्था में थे तो उनके सिर के एक भाग में दर्द था, इसलिए उन्होंने सिर को कसकर पकड़ रखा था।?
अतिकाया विकार (एक्रीमेगली) के कारण कभी उच्च रक्तचाप हो जाता है तो कभी रक्त प्रवाह बेहद धीमा हो जाता है। इससे हाथ और पैर ठंडे होने लगते हैं।
अबू जुहैफा ने कहा, * मैंने उनका हाथ अपने हाथों में लेकर अपने माथे से लगाया तो पता चला कि वे बर्फ से भी अधिक ठंडे थे और कस्तूरी की महक से भी अधिक खुशबू दे रहे थे।?
हैकल ने एक हदीस का हवाला देते हुए लिखा है:
“जाबिर बिन सामूराह, जो कि तब बच्चा था, ने कहा: 'जब उन्होंने मेरे गाल पोंछे तो मुझे महसूस हुआ कि उनके हाथ ठंडे थे और ऐसे महक रहे थे, मानो किसी इत्र बनाने के कारखाने की दुकान से बाहर निकाले गए हों।'' (सही मुस्लिम 2/256)
अतिकाया विकार (एक्रोमेगली) से पीड़ित कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी में अगल-बगल और सामने से पीछे की ओर असामान्य वक्रता हो जाती है। यही वह वजह हो सकती है कि मुहम्मद चलते समय आगे की ओर झुक जाता था। इसके अलावा दिमाग में स्थित पीयूषिका ग्रंथि के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण सिरदर्द, थकावट, आंखों की रोशनी में खराबी और ग्रंथि रस (हार्मोन) संबंधी असंतुलन पैदा हो जाता है। मुहम्मद के वक्ष और पेट बराबर थे और शरीर तगड़ा और मजबूत था। अतिकाया विकार (ऐक्रोमेगली) के मरीजों में पसलियों और कशेरुकी (वर्टेतब्रल) में बदलाव के कारण वक्ष असामान्य रूप से बड़ा हो जाता है। इनकी कशेरुका (वर्टब्रल) अर्थात हड्डियां बड़ी और लंबी हो जाती है, जबकि दो हड्डियों के जोड़ पर स्थित चक्र (डिस्क) गरदन और कमर के पास मोटी हो जाती है, जबकि वक्ष के हिस्से में पतली हो जाती हैं । इससे पीठ पर रीढ़ की हड्डी में असामान्य वक्री उभार होता है, जिससे पीठ पर कूबड़ निकल आता है । इसीलिए उसकी पीठ और कंधों के जोड़ बड़े थे। दोनों पसलियों को जोड़ने वाली उपास्थि (लचीली हड्डी) बाहर की ओर निकली हुई और बड़ी भी हो सकती है, जिससे ऐसा लगता होगा कि माला पहनी हुई है। शरीर में होने वाले इस बदलाव से छाती की लचीली क्रिया विधि परिवर्तित हो जाती है और श्वसन मांसपेशियों की सक्रियता को बड़ा नुकसान पहुंचाती है, जो आगे चलकर मांसपेशियों की कमजोरी अथवा मांसपेशियों के नष्ट होने के रूप में सामने आता है। सांस लेने में दिक्कत के कारण रक्त में आक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं पहुंच पाती है और हाइपोएग्जेमिया की समस्या पैदा होने लगती है। ऐसे मरीजों को लंबी-लंबी सांस लेने की जरूरत पड़ती है।
इब्ने-साद अनस के एक हदीस का हवाला देते हुए कहते हैं: ' अल्लाह के रसूल को जब कुछ पीना होता था तो वे तीन बार सांस खींचते थे और कहते थे कि वह बहुत अच्छा, आरामदेह और स्वादिष्ट है।' अनस ने तब कहा कि जबसे मुझे यह पता चला, मैं भी पीने से पहले तीन बार सांस खींचता था।'” अनस ने सोचा कि पीने से पहले गहरी सांस लेना सुन्नत है और इसमें भी रसूल का अनुकरण करने की कोशिश की । जबकि वास्तविकता यह थी कि इससे मुहम्मद को सांस लेने में दिक्कत होने और उसकी बीमारी के लक्षण का संकेत मिलता है । यह बताता है कि मुसलमान किस तरह अंधा बनकर अपने रसूल का अनुकरण करता है।
और भी हदीसें हैं जो मुहम्मद के सांस लेने में दिक्कत के बारे में बताती हैं । यह बीमारी ही वह वजह थी कि मुहम्मद धीमा बोलता था, ताकि बोलते समय बीच में सांस ले सके | इब्ने-साद आयशा का हवाला देते हुए लिखता है;
अल्लाह के रसूल लगातार उतनी रफ्तार से नहीं बोलते थे, जितनी तेजी से तुम बोलते हो। वह रुक-रुक कर धीमा बोलते थे, ताकि जो उन्हें सुन रहा है, वो उनकी बात को ठीक से समझ सके /” रसूल की बोली गाने की तरह नहीं होती थी, बल्कि वह बोलते समय शब्दों को लंबा खींचते थे और जोर लगाकर उच्चारण करते थे
अतिकाया विकार (एक्रोमेगली) उपापचय (मेटाबोलिक) दर बढ़ा देता है, जिससे बहुत पसीना आना (हाइपरहाइड्रोसिस), गर्मी के प्रति असामान्य असहनशीलता, अथवा त्वचा की वसामय ग्रंथियों (सीबैसियस ग्लैंड्स) में से तेल (वसा) बनने में वृद्धि से त्वचा का असामान्य रूप से तैलीय होना आदि समस्याएं आती हैं। हदीस के मुताबिक मुहम्मद तैलीय चिपचिपापन और उसकी बदबू से बचने के लिए बार-बार हाथ-पांव धोता था और वह अपनी बीमारी (ओसीडी) के कारण भी ऐसा करता था। अपनी मौत से पांच दिन पहले उसके शरीर का तापमान इतना बढ़ गया कि वह बेहोश हो गया और दर्द से तड़पने लगा था। उसने अपनी एक बीबी को हुक्म दिया, “मेरे ऊपर अलग-अलग कुओं के सात किराब (चमड़े का बना हुआ जल पात्र) पानी डालो, ताकि मैं बाहर जा सकूं और लोगों से मिल सकूं, बात कर सकूं।'
यह यूं ही नहीं था कि मुहम्मद ने अपना चित्र बनाने को निषेध किया, बल्कि उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अपनी बदसूरत शक्ल और विकृत शरीर को लेकर बहुत सचेत था। इसीलिए उसने इस बात को प्राथमिकता दी कि लोग उसके रूप के बजाय उसके पैगामों पर अधि तवज्जो दें । हालांकि जब परखा जाता है तो उसके पैगाम उसके रूप से भी अधिक बदसूरत प्रतीत होते हैं।
एक चित्र हजार शब्दों से अधिक प्रभावशाली होता है। बायीं तरफ एक सामान्य पैर की छाप है। दाहिने ओर मुहम्मद के भारी और मोटे पैरों की छाप है । केवल हदीस ही नहीं दर्शाते हैं कि वह अतिकाया विकार (ऐक्रोमेगली ) से पीड़ित था, बल्कि हमारे पास इसके ठोस सबूत हैं।
पेशेवर पहलवान माउरिस टिलेट (903-955) अतिकाया विकार (ऐक्रोमेगली) से पीड़ित था। उसका जन्म फ्रांस में हुआ था और वह बहुत प्रतिभाशाली था, 4 भाषाएं बोल सकता था। उसकी शारीरिक विशेषताओं को मुहम्मद के बारे में चित्रण से मिलाएं। ऐक्रोमेगली से पीड़ित इंसान जिसमें जबड़े, नाक और माथे की हड्डी बढ़ी हुई है और चेहरा भद्दा दिख रहा ह
हर दर्द को हवा में उतारी न रखिए
ज़िंदगी है नदी
बहने दीजिए
हर पल को जी भर के जी लीजिए
सफ़र जारी रखिए
मुस्कान साथ रखिए
हर राह के फूलों को हाथ रखिए
धूप छाँव का खेल है प्यारा
आशा का सूरज है हमारा
कभी बादल
कभी नीला आसमान
कभी ख़्वाब
कभी टूटा अरमान
जैसे लहरें किनारों से मिलती
वैसे मुश्किलें भी थमती
खुद को संभालिए
खुद को सजाइए
आशा की लौ को जलाइए
हर हार में जीत छुपी होती
हर अंधेरे में सुबह होती
सफ़र जारी रखिए
मुस्कान साथ रखिए
हर राह के फूलों को हाथ रखिए
धूप छाँव का खेल है प्यारा
आशा का सूरज है हमारा
DHAMAk
💥 कहानी का नाम: "बारूद और बरसात"
(Romance meets Revenge in the shadows of bullets)
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मुख्य किरदार:
रणवीर सोलंकी – एक पूर्व सैनिक, शांत पर खतरनाक, जिसकी आँखों में बसी है सिर्फ बदला।
जिया मिर्ज़ा – एक पत्रकार, जो सच की तलाश में है, और खुद अपने अतीत से लड़ रही है।
कैप्टन कबीर राय – रणवीर का पुराना दोस्त, अब दुश्मनों के साथ खड़ा।
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कहानी की शुरुआत:
मानसून की पहली रात थी…
बाँद्रा की सड़कों पर पानी बह रहा था, पर रणवीर सोलंकी की आँखों में सिर्फ खून उतर आया था।
पिछले तीन साल से वो लापता था। सेना ने उसे "मरा हुआ" मान लिया, पर हकीकत में वो जिंदा था — जिंदा, लेकिन अंदर से जलता हुआ।
क्यों?
क्योंकि उसके ही दस्ते में एक गद्दार था, जिसने उसे मौत के मुँह में धकेला — कैप्टन कबीर राय।
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ट्विस्ट: मुलाकात जिया से
रणवीर एक पुराने हथियार डीलर से मिल रहा था, तभी सामने आई — जिया मिर्ज़ा।
स्ट्रेट-कट बाल, चश्मे के पीछे आग सी आँखें। वो रणवीर का पीछा कर रही थी... एक सनसनीखेज कहानी के लिए।
"तुम हो न वो मरा हुआ सैनिक?" उसने धीमे से कहा।
रणवीर पलटा, उसकी गर्दन पर बंदूक तानी — "तुम हो कौन?"
"मैं वो हूँ जो तुम्हें फिर से जिंदा कर सकती है…" – जिया मुस्कुराई।
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एक्सन की बारिश
जिया और रणवीर की जोड़ी जैसे आग और पेट्रोल थी।
रणवीर उसे अपने मिशन में शामिल नहीं करना चाहता था, लेकिन जिया की जिद — और उसकी गहराइयों में छिपे जख्म — रणवीर को तोड़ते चले गए।
वे एक साथ मुंबई के अंडरवर्ल्ड के दिल तक पहुंचे।
एक-एक कर गद्दारों की लिस्ट निकली — और रणवीर ने उन्हें ठिकाने लगाना शुरू कर दिया।
गोलियां चलीं, खून बहा — और दोनों के बीच एक अनकही मोहब्बत भी बहने लगी।
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रोमांस का विस्फोट
एक रात बारिश में, रणवीर ने पूछा —
“अगर मैं आज ना बचा… तो?”
जिया ने होंठों पर उंगली रख दी —
“तुम पहले से ही मर चुके थे रणवीर… मैं तुम्हें जिंदा करने आई हूँ। अब तुम सिर्फ मेरे हो।”
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अंतिम मुकाबला: दोस्त बना दुश्मन
आख़िरी भिड़ंत कबीर राय से थी — बंदरगाह के पास, एक जहाज पर।
रणवीर ने चीख कर कहा —
“तेरे लिए दोस्ती सिर्फ वर्दी थी… मेरे लिए जान।”
कबीर हँसा — “तेरी जान अब मेरी गोली में है।”
और फिर…
जिया ने पहली बार गोली चलाई।
सीधा कबीर के दिल में।
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एपिलॉग: बारूद के बाद की बारिश
रणवीर और जिया ने सब कुछ छोड़ दिया।
हिमालय के किसी गाँव में एक छोटी सी किताबों की दुकान खोल ली।
हर शाम, वो एक-दूसरे की आँखों में वो जंग देखते हैं, जो कभी उन्होंने साथ लड़ी थी — और जीती भी।
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🎬 Tagline:
"जहाँ गोलियों की गूंज में मोहब्बत की धड़कन छुपी हो — वहीं होती है असली कहानी।"
🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)
मुख्य किरदार:
आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।
रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।
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📖 कहानी की शुरुआत:
आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।
उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।
---
🔥 कहानी में ट्विस्ट:
शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।
आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।
रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।
धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...
आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।
रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।
एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।
---
💔 अंतिम मोड़:
क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?
क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?
💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)
मुख्य किरदार:
आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।
रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।
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📖 कहानी की शुरुआत:
आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।
उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।
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🔥 कहानी में ट्विस्ट:
शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।
आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।
रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।
धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...
आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।
रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।
एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।
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💔 अंतिम मोड़:
क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?
क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?
💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)
मुख्य किरदार:
आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।
रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।
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📖 कहानी की शुरुआत:
आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।
उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।
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🔥 कहानी में ट्विस्ट:
शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।
आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।
रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।
धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...
आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।
रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।
एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।
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💔 अंतिम मोड़:
क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?
क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?
🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
---
🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
---
🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
---
🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
📝 My Contract Wife
✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में
"जिस प्यार की शुरुआत कागज़ से होती है, उसका अंजाम दिल तक पहुँच ही जाता है..."
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प्रस्तावना
अर्जुन एक सफल बिजनेस मैन है — शांत, गंभीर और भावनाओं से दूर। उसका जीवन एकदम अनुशासित है, लेकिन भीतर एक वीरानगी है जिसे कोई समझ नहीं पाता। दूसरी ओर है अनन्या — चुलबुली, तेज़-तर्रार और ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीने वाली लड़की। दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग। पर ज़िंदगी को किसे कब कहाँ ले जाए, ये किसी को नहीं पता।
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कहानी शुरू होती है…
अर्जुन की माँ कैंसर की अंतिम स्टेज में थी। उनका एक ही सपना था – बेटे की शादी देखना। लेकिन अर्जुन शादी जैसे रिश्ते को वक़्त की बर्बादी मानता था। “माँ के लिए कर लूंगा, पर प्यार-व्यार मेरे बस का नहीं…” – यही सोच थी उसकी।
अनन्या की ज़िंदगी में तूफ़ान आया था। पिता का बिजनेस डूब चुका था, और ऊपर से कर्ज़दारों का दबाव। उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी।
एक कॉमन जान-पहचान के जरिए अर्जुन और अनन्या की मुलाकात होती है। अर्जुन ने सीधे प्रस्ताव रखा —
> “मुझसे एक साल के लिए शादी करोगी? सिर्फ नाम की शादी। माँ की वजह से। बदले में तुम्हें हर महीने 2 लाख रुपए मिलेंगे।”
अनन्या पहले तो चौंकी। फिर सोचा – “इससे बेहतर सौदा क्या होगा?”
शर्तें साफ थीं:
एक साल का कांट्रैक्ट
कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं
मीडिया, रिश्तेदारों से दूरी
माँ के सामने अच्छे पति-पत्नी का नाटक
अनन्या मान गई।
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शादी… और उसका नाटक
शादी हुई। माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे। अर्जुन और अनन्या ने ‘मियाँ-बीवी’ का रोल बड़ी सच्चाई से निभाया।
लेकिन रोज़मर्रा की जिंदगी ने अजीब मोड़ ले लिया।
अनन्या धीरे-धीरे अर्जुन की आदत बन गई — उसकी चाय का अंदाज़, उसकी बातें, उसके ताने… सब कुछ।
उधर अनन्या को भी एहसास हुआ कि अर्जुन उतना बेरुखा नहीं है जितना दिखता है।
वो अक्सर आधी रात को उठकर उसकी माँ की दवा देता।
पैसों के पीछे भागने वाला इंसान माँ के लिए पूजा करता दिखता।
अनन्या का दिल धड़क उठा।
---
कांट्रैक्ट के परे की दुनिया
एक दिन, माँ ने अर्जुन से कहा —
> “बेटा, ये लड़की हमारे घर की लक्ष्मी है। तूने इसे दिल से अपनाया या सिर्फ कांट्रैक्ट से?”
अर्जुन चुप रहा। पर मन में हलचल थी।
कांट्रैक्ट के 8 महीने बीत चुके थे। अब दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई तेज़ हो चुकी थी।
एक रात अर्जुन ने पूछा —
> “अगर ये कांट्रैक्ट न होता… तब भी तुम मुझसे शादी करती?”
अनन्या ने पलटकर जवाब दिया —
> “अगर तुम्हारा दिल न होता, तो कांट्रैक्ट भी न होता…”
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टूटता समझौता, जुड़ते दिल
एक दिन माँ का निधन हो गया। अंतिम संस्कार में पूरे गाँव ने देखा — अर्जुन ने पहली बार किसी के सामने रोया। अनन्या ने उसे बाँहों में भर लिया।
अब शादी का कारण जा चुका था।
कांट्रैक्ट पूरा हो चुका था।
एक साल बाद, अनन्या ने सूटकेस उठाया।
> “मैं जा रही हूँ… तुम्हारा कांट्रैक्ट पूरा हुआ…”
पर अर्जुन ने रास्ता रोक लिया।
> “अब मैं एक और कॉन्ट्रैक्ट चाहता हूँ…
इस बार बिना तारीख के, बिना शर्त के…
शादी नहीं — प्यार वाला रिश्ता… हमेशा का…”
अनन्या की आँखों से आँसू झरने लगे। वो मुस्कुराई।
> “अब तो पैसे भी नहीं लोगे?”
> “अब तो दिल दाँव पर है… क्या तुम लोगी?”
अनन्या ने उसका हाथ थाम लिया।
---
एपिलॉग
अब अर्जुन और अनन्या एक-दूसरे के लिए जीते हैं। बिजनेस पार्टनर, लाइफ पार्टनर, और दिल के साथी बन चुके हैं।
"कभी-कभी सबसे गहरे रिश्ते वहीं से शुरू होते हैं जहाँ दिल और दस्तखत दोनों मिलते हैं।"
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🌟 सीख:
रिश्ते जब दिल से निभाए जाएँ, तो कांट्रैक्ट भी इश्क़ बन जाता है।
🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)
मुख्य किरदार:
आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।
रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।
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📖 कहानी की शुरुआत:
आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।
उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।
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🔥 कहानी में ट्विस्ट:
शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।
आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।
रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।
धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...
आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।
रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।
एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।
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💔 अंतिम मोड़:
क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?
क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?
🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
"कभी न झुका नेपाल – गोरखों की गाथा"
✍️ राजु कुमार चौधरी द्वारा
> हिमगिरी के आँचल में बसा,
एक देश है बलिदानों का।
न किसी ने जंजीर पहनाई,
न कोई शिकारी बना शिकार का।
ये वो भूमि है वीरों की,
जहाँ गोरखा पैदा होता है।
तलवार नहीं, गर्जना से ही
दुश्मन का दिल रोता है।
ब्रिटिश आए घोड़े लेकर,
सोचा था जीत लेंगे सब कुछ।
पर नेपाल की माटी ने बोला —
"यहाँ लड़ाई होती है सच्ची, न साजिशवाली साजिश!"
सुगौली की स्याही से,
नक्शे में कुछ धब्बे आए।
पर आज़ादी की आत्मा
फिर भी न झुकी, न मिट पाई।
न ताज गया, न राज गया,
न खुद्दारी की बात गई।
गोरखा बोला —
“मातृभूमि के लिए तो जान भी सौगात है भाई!”
न कभी मुग़ल, न तैमूर आया,
न ब्रिटिश बन सका मालिक।
ये नेपाल है —
यहाँ हर बच्चा भी जन्म से स्वतंत्र सैनिक।
---
> 🌄 नेपाल कोई देश नहीं, एक प्रेरणा है।
🌪️ यहाँ न गुलामी आई, न आज़ादी गई।
🚩 क्योंकि यहाँ के लोग लड़ना नहीं, मरना जानते हैं — पर झुकना नहीं।
🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
💥 कहानी का नाम: "बारूद और बरसात"
(Romance meets Revenge in the shadows of bullets)
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मुख्य किरदार:
रणवीर सोलंकी – एक पूर्व सैनिक, शांत पर खतरनाक, जिसकी आँखों में बसी है सिर्फ बदला।
जिया मिर्ज़ा – एक पत्रकार, जो सच की तलाश में है, और खुद अपने अतीत से लड़ रही है।
कैप्टन कबीर राय – रणवीर का पुराना दोस्त, अब दुश्मनों के साथ खड़ा।
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कहानी की शुरुआत:
मानसून की पहली रात थी…
बाँद्रा की सड़कों पर पानी बह रहा था, पर रणवीर सोलंकी की आँखों में सिर्फ खून उतर आया था।
पिछले तीन साल से वो लापता था। सेना ने उसे "मरा हुआ" मान लिया, पर हकीकत में वो जिंदा था — जिंदा, लेकिन अंदर से जलता हुआ।
क्यों?
क्योंकि उसके ही दस्ते में एक गद्दार था, जिसने उसे मौत के मुँह में धकेला — कैप्टन कबीर राय।
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ट्विस्ट: मुलाकात जिया से
रणवीर एक पुराने हथियार डीलर से मिल रहा था, तभी सामने आई — जिया मिर्ज़ा।
स्ट्रेट-कट बाल, चश्मे के पीछे आग सी आँखें। वो रणवीर का पीछा कर रही थी... एक सनसनीखेज कहानी के लिए।
"तुम हो न वो मरा हुआ सैनिक?" उसने धीमे से कहा।
रणवीर पलटा, उसकी गर्दन पर बंदूक तानी — "तुम हो कौन?"
"मैं वो हूँ जो तुम्हें फिर से जिंदा कर सकती है…" – जिया मुस्कुराई।
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एक्सन की बारिश
जिया और रणवीर की जोड़ी जैसे आग और पेट्रोल थी।
रणवीर उसे अपने मिशन में शामिल नहीं करना चाहता था, लेकिन जिया की जिद — और उसकी गहराइयों में छिपे जख्म — रणवीर को तोड़ते चले गए।
वे एक साथ मुंबई के अंडरवर्ल्ड के दिल तक पहुंचे।
एक-एक कर गद्दारों की लिस्ट निकली — और रणवीर ने उन्हें ठिकाने लगाना शुरू कर दिया।
गोलियां चलीं, खून बहा — और दोनों के बीच एक अनकही मोहब्बत भी बहने लगी।
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रोमांस का विस्फोट
एक रात बारिश में, रणवीर ने पूछा —
“अगर मैं आज ना बचा… तो?”
जिया ने होंठों पर उंगली रख दी —
“तुम पहले से ही मर चुके थे रणवीर… मैं तुम्हें जिंदा करने आई हूँ। अब तुम सिर्फ मेरे हो।”
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अंतिम मुकाबला: दोस्त बना दुश्मन
आख़िरी भिड़ंत कबीर राय से थी — बंदरगाह के पास, एक जहाज पर।
रणवीर ने चीख कर कहा —
“तेरे लिए दोस्ती सिर्फ वर्दी थी… मेरे लिए जान।”
कबीर हँसा — “तेरी जान अब मेरी गोली में है।”
और फिर…
जिया ने पहली बार गोली चलाई।
सीधा कबीर के दिल में।
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एपिलॉग: बारूद के बाद की बारिश
रणवीर और जिया ने सब कुछ छोड़ दिया।
हिमालय के किसी गाँव में एक छोटी सी किताबों की दुकान खोल ली।
हर शाम, वो एक-दूसरे की आँखों में वो जंग देखते हैं, जो कभी उन्होंने साथ लड़ी थी — और जीती भी।
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🎬 Tagline:
"जहाँ गोलियों की गूंज में मोहब्बत की धड़कन छुपी हो — वहीं होती है असली कहानी।"
The upcoming Satsang and Gnanvidhi is happening in San Jose, USA
For detailed information, visit here: https://dbf.adalaj.org/YCDyXr4H
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🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
"उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था… जो हर दर्द को भुला दे।
सिर्फ उसका साथ ही काफी है, ज़िन्दगी को खूबसूरत बनाने के लिए। ❤️
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Title: Khud Se Pyar Karna Bhi Zaroori Hai
हर बार किसी और को खुश करने में खुद को खो दिया...
हर रिश्ते को निभाते-निभाते अपना मन मार लिया।
अब समझ आया —
ख़ुद से भी रिश्ता रखना पड़ता है।
जो आईने में दिखे, उससे भी प्यार करना सीखो।
क्योंकि जब तक तुम खुद को नहीं अपनाओगे,
दुनिया भी तुम्हें अधूरा ही समझेगी।
✍️ Pawan।
सोचिए… आख़िरी बार आपने अपने लिए क्या किया था?
Un Logo Ke Liye Jo Apne Aap Ko Bhool Gaye The.
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