🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"
📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।
(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)
[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"
🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं
रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।
एक हथियार डीलर से मिल रहा है।
डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"
(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"
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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं
जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।
जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"
(वो पीछा करती है)
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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़
रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।
अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।
रणवीर: "तुम कौन हो?"
जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"
रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"
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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:
[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"