*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*वारिद, वर्षा, पुरवा, पछुआ, पावस*
====================
*वारिद* लाए विपुल जल, बुझी धरा की प्यास ।
धरती ने फिर ओढ़ ली, हरित चूनरी खास।।
*वर्षा* ने हर्षित किया, जड़ चेतन संजीव।
मंदिर में कृष्णा हँसे, शांत दिखे गांडीव।।
*पुरवा* सुखद सुहावनी, कर मन को अह्लाद।
हर लेती मन के सभी, क्षण भर में अवसाद।।
पूरब में *पछुआ* बही, बदली उनकी चाल।
फटी जीन्स की आड़ में, दिखें युवा बेहाल।।
*पावस* ने सौगात दी, हरियाली चहुँ ओर ।
झूम उठा मन बावला, झरनों का सुन शोर।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*