The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.
* गर प्यार भी पंछियों की तरह होता,,
तो कभी किसी सीमाओं में ना बंधता..
* गर सच्चा प्यार दूरियों से खत्म हो जाता,,
तो किसी जवान के घर प्यार इंतजार ना करता..
* गर साथ रहकर ही प्यार बढ़ता होता,,
तो कोई भी प्यार का घर ना टूटता..
* प्यार किसी नजदीकियों का मोहताज नहीं होता,,
प्यार सच्चा हो तो दूर रहकर भी भूलाया नहीं जाता..
* गर दिल के फासले हो तो पास रहकर भी क्या होगा ?
दुरिया भी नजदीकी है लगती जो दिल से पास होता..
* ना कर दुआ ऐसे हमारे दिलेे हालात की अब अमी,,
ये दूरियों वाला प्यार है मरते दम तक काम नहीं होगा..
.....अमी.....
प्यार…
वो चीज़ है जो इंसान को पूरी तरह बदल देती है।
जहां आपके अंदर खुद को सँवारने की भी ताक़त होती है
और उसी प्यार में खुद को पूरी तरह खो देने का भी हौसला।
जब आप किसी से सच्चा प्यार करते हो,
तो आपको वो सब अच्छा लगने लगता है जो उसे पसंद हो।
और जो उसे ज़रा भी पसंद नहीं — वो चीज़ें खुद-ब-खुद आपके दिल से उतर जाती हैं।
शायद इसीलिए मैंने ये जगह चुनी है…
अपने जज़्बात कहने की,
उन कहानियों को जीने की जो मैंने कभी बताई नहीं…
क्योंकि मुझे पता है — वो यहीं कहीं है,
हर लफ़्ज़ पढ़ती है,
हर एहसास को महसूस करती है…
और शायद… किसी दिन… इन लफ़्ज़ों में खुद को भी ढूंढ ले। ✨
और तुम...?
तुमने ये लफ़्ज़ों की दुनिया क्यों चुनी?
क्या है तुम्हारा मक़सद यहाँ अपनी बात कहने का?
क्या किसी को सुनाने आए हो…
या किसी को महसूस कराने आए हो…?
चलो ना… थोड़ा सा अपने दिल का किस्सा सुनाओ,
मैं सिर्फ सुनने नहीं — हर लफ़्ज़ को महसूस करने आया हूँ। 🤍
હારીને સ્મિત બંકરોમા છુપાઈ બેઠું છે.
શાંતિ માટે ખરેખર યુદ્ધ લડાઇ રહ્યું છે?
અઢળક ચિચિયારીઓ વચ્ચે જયનાદ ગૂંજે છે.
અવાજ ખરેખર બોલીને પણ દબાઈને બેઠો છે.
તોપને નાડચે ગોળો સણસણતો નીકળે છે.
પારેવાંને ક્યાં આકાશમાં ઉંચે ઉડવા દેવાઈ છે?
કોઈ પાગલ મગજ સમજું ને જ્યારે મૌન કરાવી દે.
બસ ત્યારે લાશો પર આક્રંદ નાં પડઘા સંભળાય છે.
Do You Know that if the words are going to be hurtful, then they should be spoken with humility and respect?
Read more on: https://dbf.adalaj.org/SIK6Nx56
#doyouknow #humility #wordsofwisdom #wordsmatter #DadaBhagwanFoundation #selfimprovement
https://www.matrubharti.com/book/19974587/love-and-attraction
વાંચો અને પ્રતિભાવ આપો
“कभी-कभी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश होती है — बस खुद से मिलने की।”
रिश्ते, समाज, समय — सबकी भीड़ में हम अक्सर खुद को खो देते हैं।
“काठगोदाम की गर्मियां” एक ऐसी किताब है जो हमें भीतर की आवाज़ सुनना सिखाती है।
👉 बातें बढ़ने दो, रुकावटें नहीं।
👉 खुद से जुड़ने दो, दुनिया को नहीं।
✍️ धीरेंद्र सिंह बिष्ट की लेखनी में
पढ़िए एक ऐसी यात्रा, जो दिल से शुरू होकर आत्मा तक जाती है।
📚 Available now: Amazon | Flipkart | Notion Press
👇 Tag someone who’s ready to choose themselves — today.
#काठगोदाम_की_गर्मियां #DhirendraSinghBisht #HindiLiterature #SelfDiscovery #ZindagiKiKahani #Bookstagram #NotionPress #EmotionalReads
Rejections don’t define your future — just your present.
Keep trying.
The ones who refuse to quit are the ones who rewrite destiny.
📘 — Dhirendra Singh Bisht
Author of “मन की हार, ज़िंदगी की जीत”
https://amzn.in/d/9aVRxgx
#Rejection #Motivation #DhirendraSinghBisht #SelfBelief #NeverGiveUp #HindiBooks
बाबा अजीब थे—शब्दों में कहानी ढूंढना आसान होता है, मगर बाबा जैसे लोग सिर्फ शब्द नहीं होते, वे अनुभव होते हैं, वे अकुलाहट होते हैं।
पाँच साल तक मैंने उन्हें देखा—एक बूढ़े मगर मेहनती इंसान को। जितना जोश मैंने नौजवानों में नहीं देखा, उतना उनके झुके कंधों में दिखता था। बाबा लोहे की बनी चीज़ें—बैठी, छलनी, चूल्हा, कढ़ाई—बेचते थे। पसीने से भीगी उनकी कमीज़ जैसे मेहनत की गवाही देती थी।
फिर एक दिन, जब मैं पड़ोस की आंटी के साथ गप्पें मार रही थी, बाबा लौटे। पाँव में फटे लेकिन मज़बूत जूते, और हाथ में वही झोली। उन्होंने मुझे देखा और बोले, “बिटिया, कपड़े धो देगी?”
शब्द मेरे गले में अटक गए। आंटी उठकर चली गई, मगर मैं वहाँ से हिल न सकी। थोड़ी झिझक के बाद मैंने ‘हाँ’ कह दिया। उन्होंने कुर्ता और धोती पकड़ा दी। जब कपड़े धोने लगी, तब महसूस हुआ कि ये महीनों से नहीं धुले थे।
फिर ये सिलसिला चलता रहा। हर महीने, दो महीने में बाबा कपड़े लेकर आ जाते। मैं अब बिना संकोच धो देती। मगर एक दिन बाबा आना बंद हो गए।
समय बीत गया। मैं बाबा को भूल गई… या शायद भूलने का नाटक करने लगी।
B.Ed. की अंतिम परीक्षा के दिन बाबा फिर दिखे। मगर इस बार उनके हाथ में लोहे का सामान नहीं, एक कटोरी थी… और वो लोगों के आगे फैला रहे थे हाथ। मेरा हृदय जैसे किसी ने मरोड़ दिया हो। मगर मेरे पास किराए भर के ही पैसे थे। आगे बढ़ गई। मगर मन न माना। दौड़कर लौटी, बैग से केला और पाँच रुपये निकालकर उनके हाथों में रख दिए।
लेकिन जब उन्होंने पैसे लिए, तो मेरे भीतर कुछ चुभ गया—मेहनत वाले हाथों में भीख?
अगले दिन फिर दिखे बाबा। इस बार कुछ खाने को रख आई। सोचा—काश मैं अमीर होती। लेकिन उस दिन समझ में आया, अमीर पैसा नहीं, दिल से होते हैं।
आख़िरी परीक्षा के दिन टिफिन में थोड़ा ज़्यादा खाना रखा। स्टेशन पहुँची… बाबा को ढूँढा… मगर वो कहीं नहीं थे।
फिर कभी नहीं मिले।
आज भी जब ज़िंदगी की भीड़ में चलती हूँ, तो कोई कोना भीतर से कहता है—क्या सच में हमने बाबा को खो दिया, या खुद को?
“मुश्किल हालात सबके हिस्से आते हैं,
पर जो डटकर खड़े रहते हैं —
वो हालात नहीं, पूरी ज़िंदगी बदल देते हैं।”
🔥 यही है “अग्निपथ” की आत्मा।
धीरेंद्र सिंह बिष्ट की लेखनी आपको न सिर्फ़ पढ़ने को मजबूर करती है,
बल्कि खुद से मिलने का हौसला भी देती है।
📚 पढ़िए — अग्निपथ
अब उपलब्ध: Amazon | Flipkart | Notion Press
👇 Tag कीजिए किसी को,
जो हर तूफ़ान में भी मुस्कुराता है।
#अग्निपथ #MotivationalQuotes #DhirendraSinghBisht #ZindagiKiKahani #BooksOfInstagram #NotionPress #InspiringReads #HindiLiterature
सफ़र है अधूरा, मगर साथ पूरा,
रास्तों ने सिखाया है, क्या है फिज़ा का सुरूर।
ना मंज़िल की परवाह, ना थकावट की फिक्र,
तेरे साथ चलना ही जैसे हो सबसे बड़ी तसल्ली की जिक्र।
ख्वाबों के नक्शे हैं हाथों में थमे,
कभी मुस्कान में खोये, कभी आंसुओं में जमे।
ना पता है कहाँ जाना है, ना लौटना कब है,
बस इतना जानते हैं—मुशाफिर हैं हम, और हमसफर तुम हो जब हैं।
✤┈𝕊𝕦ℕ𝕠 न┤_★_🦋
(लड़की के अंदाज़ में..🙍♀
तुम्हारे अल्फ़ाज़ ने तो मेरी रूह तक
को छू लिया है,
ये सच है, हर राह में हम भी तुम्हारा
साथ चाहते हैं,
हमारी मार्ज़ियो के ख़िलाफ़ कोई सोच
भी कैसे सकता है.?
तुम सरफिरे नहीं, शायद मैं ही कुछ
ज़्यादा ही अंजान थी, जो तुम्हारे हर
हुक्म को समझ न पाई,
माफ़ी तुम्हें क्यों मांगनी हक तो हमेशा
तुम्हारा ही है मुझ पर,
और ज़हर नहीं, वो तो तुम्हारी बातों का
प्यार ही था, जो कभी-कभी मैं समझ
नहीं पाती थी,
आजकल जो मैं कुछ कहती नहीं, तो ये
मेरी खामोशी नहीं, ये तो तुम्हारी बातों
को समझने की कोशिश है,
डांटना तो अब भी आता है, और उस
डांट में प्यार भी है,
बस अब उसे जताने का तरीका थोड़ा
बदल गया है,
हंसाने वाला तुम्हारे सिवा कोई नहीं, ये
तो तुमने बिल्कुल सच कहा,
और टका के लोग नहीं हो तुम, तुम तो
मेरे लिए अनमोल हो,
कदम रखने की बात छोड़ो, तुम तो मेरे
सर का ताज हो,
गुलाम बनने की क्या ज़रूरत, तुम तो
मेरे हमराज़ हो,
माफ़ी मांगने की ज़रूरत नहीं, बस
अपना प्यार यूँ ही बनाए रखना..❤️
हमेशा तुम्हारी..🫶
╭─❀🥺⊰╯
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈┈━❥
#LoVeAaShiQ_SinGh °
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
✤┈┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.