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लेखक: मन की हार ज़िन्दगी की जीत
शीर्षक: खामोशी के सवाल
खामोशी… यह सिर्फ़ एक मौन नहीं, बल्कि मन की सबसे ऊँची आवाज़ होती है। जब बाहर सब शांत होता है, तब भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। यही खामोशी हमें हमारे सबसे गहरे विचारों से मिलवाती है — कभी सुकून देती है तो कभी बेचैनी। जब शब्द थम जाते हैं, तब सवाल उठते हैं।
मन की लहरें शांत समुद्र की तरह दिखती ज़रूर हैं, पर अंदर एक तूफान छिपा होता है। अक्सर मन में ये सवाल उठते हैं – क्या सही है, क्या ग़लत? कौन सा रास्ता चुनें, कौन सा छोड़ दें? कई बार कुछ विचारों को छोड़ देना ही समझदारी होती है, लेकिन वही विचार जब लौटकर आते हैं, तो मन और अधिक बेचैन हो उठता है।
कुछ भावनाएं हमें खींचती हैं, कुछ हमें तोड़ती हैं। पर सबसे बड़ा संघर्ष तब होता है जब हमारा ही मन हमसे बगावत करने लगे। हम वही करना चाहते हैं जो हमें प्रिय है, लेकिन मन कभी डर दिखाता है, कभी उलझनें। और जब हम उस प्रिय चीज़ से दूर हो जाते हैं, तो एक खालीपन हमें घेर लेता है।
मन का स्वभाव बड़ा ही विचित्र है — यह कभी हमें ऊँचाई तक ले जाता है, तो कभी गहराई में डुबो देता है।
शायद इसीलिए खामोशी सब कुछ कह जाती है — वो बातें, जिन्हें हम कह नहीं सकते, वो सवाल, जिन्हें हम समझ नहीं पाते।
और इस खामोशी में ही शायद हमारी असली जीत छुपी होती है — जब हम अपने ही मन से हारकर, खुद को फिर से समझना शुरू करते हैं।
- लेखक: मन की हार ज़िन्दगी की जीत
तू चला गया…
मगर तेरी यादें अब भी सीने में सांस लेती हैं…
हर धड़कन अब भी तेरा नाम लेती है…
और मैं…
मैं अब भी ज़िंदा हूँ,
बस थोड़ा कम…
---
> तेरी हँसी अब आवाज़ नहीं करती,
लेकिन कानों में गूंजती है…
तेरे बिना जो खामोशी आई है,
वो अब मेरी सबसे गहरी दोस्त बन चुकी है।
---
> तुझसे शिकायतें नहीं रहीं अब,
शायद तेरा चले जाना ही मुकद्दर था…
लेकिन एक बात बता…
जिस प्यार को तूने ठुकराया, वो आज भी तेरा इंतज़ार करता है।
---
> लोग कहते हैं, वक्त सब ठीक कर देता है…
पर मेरा वक्त तो तेरे साथ ही रुक गया था…
अब जो भी चलता है —
वो सिर्फ सांस है, ज़िंदगी नहीं।
---
> मैं तुझे भुला नहीं पाया…
और शायद…
तुझे चाहने से थक भी नहीं पाया।
---
🥀 अंतिम पंक्तियाँ:
> अगर कभी लौटना चाहे…
तो दरवाज़ा अब भी खुला है —
बस उस दिल के पास जाना होगा…
जो अब भी तेरे नाम पर धड़कता है… 💔
दिलों का ज़हर
#कलयुग
मैं ही क्यूं हर रिश्ते में दिल लगाती हूं
मैं ही क्यूं हर रिश्ते को दिल से निभाती हूं,
मैं ही क्यूं सबके लिए वक्त निकाल लाती हूं?
जब उनके लिए मैं एक याद भी नहीं हू,
तो क्यूं मैं उनके लिए दुआं बन जाती हूं?
वो साथ पढ़ती है पर साथ छोटी सी बात भी नहीं,
मैं हर पल उसे महसूस करु, वो तो सिर्फ जरूरत की तरह थी।
मुझे लगता था दोस्ती में दर्द नहीं होता,
पर अब लगता हैं.... हर रिश्ता भी रुख सा लगता हैं।
Book Name: शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट
https://www.matrubharti.com/novels/38913/shivaji-maharaj-the-greatest-by-praveen-kumrawat
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा-नीति, अर्थशास्त्र, विदेश-नीति, वित्त, प्रबंधन— सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी, जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी; अपनी अतुलनीय निर्णय-क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया; अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, आटीला आदि शासकों से की जाती है। यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
നമ്മൾ അറിയാതെ നേടിയ നിധിയാണനുഭവം.
നഷ്ടങ്ങളുടെ കണ്ണീരും, നേട്ടങ്ങളുടെ ചിരിയും,
എല്ലാം ചേർന്നൊരു പുസ്തകം.
ഓരോ വീഴ്ചയും ഒരു പാഠമായി,
ഓരോ വേദനയും ഒരു വെളിച്ചമായി.
മറ്റൊരാൾക്ക് പറഞ്ഞു കൊടുക്കാനാവാത്ത,
ഹൃദയത്തിൽ മാത്രം സൂക്ഷിക്കുന്ന രഹസ്യം.
കഴിഞ്ഞുപോയ വഴികളിലെ കാൽപ്പാടുകൾ
നമ്മളെ നമ്മളാക്കിയ കഥകൾ പറയുന്നു.
വേദനകളെ ഭയപ്പെടാതെ,
ഓരോ അനുഭവത്തെയും പുഞ്ചിരിയോടെ സ്വീകരിക്കാം.
കാരണം, മുറിവുകളില്ലാതെ,
വജ്രം തിളങ്ങുകയില്ല;
അതുപോലെ, അനുഭവങ്ങളില്ലാതെ,
ജീവിതം പൂർണ്ണമാവുകയില്ല
✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്
Do You Know that when a person's ego is hurt, he becomes estranged and will not come close to you again?
Read more on: https://dbf.adalaj.org/gtSCKq5k
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"Dressed to impress."
by artist Vishal saxena #artistvishalsaxena
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