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अकेली हूँ अकेली ही अकेलेपन से लड़ती हूँ फफक जाता है जब मन मेरा मैं अन्तर्मन से लड़ती हूँ कृष्ण के प्रेम में पड़ी ज्यों मीरा जमाने भर से लड़ती है अकेली हूँ अकेली ही अकेलेपन से लड़ती हूँ सवालों से घिरा जीवन जिसे जीती न मरती हूँ फफक जाता है जब मन मेरा सवालातो से लड़ती हूँ तेरा यूँ छोड़कर जाना तेरा जाना व न आना तुझे बस याद कर साथी मैं जज्बातों से लड़ती हूँ अकेली हूँ अकेली ही अकेलेपन से लड़ती हूँ। । मीरा सिंह
बहुत परेशान हूँ आकर मुझे संभाल लो।। मीरा सिंह
होके भाई-बहन सवार करने सृष्टि का कल्याण आये आये है बाबा स्वयं जगन्नाथ जो है स्वयं काल अवतार भर के हृदय मेें प्रेम अपार बाबा जगन्नाथ आये है काशी वासियों के द्वार होके भाई-बहन सवार शत-शत कोटि तुम्हें प्रणाम करने हम पर ये उपकार देकर प्रेम के मोती अपार आये-आये है बाबा स्वयं जगन्नाथ। । भगवान जगन्नाथ के चरणों में समर्पित मीरा सिंह
जन्मदिन पर तेरे उपहार क्या दूँ खुदा ने दिया है सबकुछ मेरे दोस्त मै तुझे क्या दूँ। खुश रहे तू हमेशा यही दुआ है मेरी इसलिए अपनी जान तेरे नाम कर दूँ ।। जन्मदिन की शुभकामनाएँ मीरा सिंह
वो खुश है किसी और के संग तो मुझे मलाल कैसा मैं उसे खुश भी न देख पाऊँ तो मेरा प्यार कैसा।। मीरा सिंह
काश तू भी मेरे हालात समझता इस खामोशी में छिपी हर बात समझता मुझे खुशी होती कि तू समझता है मुझे गर तू भी मेरे जज्बात समझता ये निगाहें भी आंसूओं का समंदर न होती गर तू इनके अल्फाज समझता बन्द जुबाॅ की बात समझता दिल मेें उठा शैलाब समझता मैं खुश होती गर तू मेरी जुबान समझता।। मीरा सिंह
मेरे लिए इश्क का मतलब सिर्फ तुम्हारी मौजूदगी है तुम्हें छूना नही है झुकती पलकों का एक बार उठ जाना और चुपके से तुम्हें देख लेना मेरे लिए इश्क है तुम्हारी आंखों का वो एक नजर में मुझे नीचे से ऊपर तक देख लेना और मेरा तुम्हारे चेहरे से नजर न हटना ही इश्क है इन पन्द्रह सालों में मैनें देखा ही नही तुम घडी लगाते हो या नही किस रंग का है चश्मा तुम्हारा मैं खोजती रही तुम्हारी मुस्कान के पीछे छिपी तुम्हारी मन में वो उलझने मेरे लिए वो इश्क है तुम्हारे झूठ को सच मानना तुम्हारे लिए अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाना मेरे लिए वो इश्क है मेरे लिए इश्क का दूसरा नाम तुम हो तुम। । मीरा सिंह
तेरे जाने से ये जीवन वीरान सा है चले आओ मेरे साथी कुछ बाकी मुझमे साँस सी भी है।। तुझे सबकी फिकर है उस जहां में मैं नही क्यों हूँ तुझे सबकी खबर है तो तेरे दुख से तू अंजान क्यों है।। मीरा सिंह
जमाने में रहकर के जिसके लिए हम जमाने से लड़ गए वही जनाब जमाने की खातिर हमें तन्हा कर गए। । मीरा सिंह
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