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वृक्षों से जीवन हम सबका वृक्षों से ही हवा मिले तपती धूप से भी राहत वृक्षों की ही देन हमें। बिन मौसम बारिश का होना वृक्षों की ही कमी से है कम से कम एक वृक्ष लगाए जिम्मेदारी हम सभी की है। बच्चों को संस्कार सिखाए वृक्षों की रक्षा करना अपने जन्मदिवस पर सबको एक वृक्ष का रोपण करना। विश्व पर्यावरण के दिवस पर अपनी जिम्मेदारी पूरी करें कम से कम एक वृक्ष जरूर लगाए निवेदक-मीरा सिंह
तेरी खुशी है जिसके साथ खुदा उसे सलामत रखे। उससे क्या फर्क पड़ता हो तू हमारी खबर रखे न रखे।। मीरा सिंह
मुझे तुम्हारा सहारा नही तुम्हारा साथ चाहिए। । मीरा सिंह
यही बैठी तेरा इंतजार करती हूँ तुझे कब खबर होगी कि मैं तुझे कितना प्यार करती हूँ। ।
पिता का साया एक घने बरगद की पेड़ की तरह होता है। जो अपने बच्चों को गर्मी धूप बरसात सबसे बचाता हो।। मगर जताता कभी नही दिखाता कभी नही। दिखता है तो सिर्फ उसका गुस्सा डांट ।। वो भी हँसता है बच्चों की शरारतों पर पर वो उनके सामने मुस्कुराता नही है।। जीवन की हर तकलीफ से दूर रखता है अपने बच्चों को वो। मगर उसक श्रेय कभी उसको जाता नही है।। इक पिता ही है जो अपना प्यार कभी जताता नही है।। मीरा सिंह
नाराज हूँ तुमसे आकर मुझे मना लो।। मीरा सिंह
Hey
वो गुजर गए हमारी ही गली के सामने से उन्हें फुर्सत कहाँ है हमसे मिलने की।। मीरा सिंह
हमारी जिन्दगी में कुछ तकलीफें ऐसी होती है जिसे हम किसीसे कहना नही चाहते सिर्फ हम खामोश हो जाते है हम घुटने रहते है सिर्फ 29 मई 2023 को ही मैनें अपने पापा को हॉस्पिटल मे जबरदस्ती एडमिट करवा और वो फिर कभी लौट कर नही आए मैनें उस इंसान को अपनी आंखों ओझल होते देखा जिसे मैं कभी नही खोना चाहती थी जो मेरी हिम्मत थे आज फिर वही तारीख मैनें कभी नही सोचा था मुझे लगा था इलाज होगा उनका वो ठीक हो जाएगा अपने लिए हुए फैसले ही मुझे बहुत तकलीफ दे रहे है काश मैं उन्हें हॉस्पिटल न ले जाती उन्हें जो तकलीफें वहां झेलनी पड़ी वो न होता शायद तब वो हमें यूँ अकेला छोड़कर न जाते इतने सवाल है खुद से कि घुटन से मर जाने को जी चाहता है रो लेना चाहती हूँ खूब मगर रो भी नही सकती घरवालों को कौन सम्हालेगा बहुत कुछ है कहने को पर अब चुप ही रहना है सिर्फ चुप सिर्फ चुप
बात अगर तेरे चरित्र पर आ गई तो हसते-हसते तुझसे दूर हो जाऊंगी। । मीरा सिंह
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