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हमारे जो दिल पे गुजरी है, वो बस हमारा दिल ही जानता है। लाख समझाया है इसे, पर ये मन कहां मानता है। हमें छोड़ जा चुके हो तुम, इसे तो ये अभी तक झूठ ही मानता है। हमारे जो दिल पे जो गुजरी है, वो तो बस हमारा दिल ही जानता है। तुम्हारी यादों को छोड़ आगे बढ़ जाने को, ये मन अभी भी कहां मानता है। बवरा सा है ना ये मन मेरा, इसीलिए अब तलक भी ये तुम्हें अपना ही जानता है। हमारे जो दिल पे गुजरी है, वो हमारा दिल ही जानता है। तुम्हारी की बेवफाई को ये , अपनी कमाई पूंजी मानता है। आज भी तभी शायद ये तुम्हें एक हसीन सपना मानता है। हमारे जो दिल पे गुजरी है, वो हमारा दिल ही जानता है।
तेरी तरफ आते हुए मैं बाकी सारे रास्ते छोड़ आई इस दुनिया के लोगो से मैं हर एक बंधन तोड़ आई। सिर्फ तेरी बांसुरी के ही सहारे मोहन ये राधे हर एक रस्म को तोड़ आई। अब तो लगता है मोहन जैसे कि दिल संग मैं खुद की, चेतना भी तुम्हारे पास ही कहीं छोड़ आई। अपना अंतिम गंतव्य मान तुम्हें, अपना हर एक मार्ग मैं, तुम ओर मोड़ आई। इस जन्म का ही नहीं केशव अब तो हर एक जन्म का नाता ये राधे तुम संग जोड़ आई। तेरी तरफ आते हुए मोहन मैं बाकी सारे रास्ते छोड़ आई
कभी समझ सको तो समझना कि ....... टूट कर चाहा है मैंने तुमको कभी समझ सको =तो समझना कि ...... टूट कर चाहा है मैंने तुमको तुमको चाहने में कितना टूटी हूं तुमको चाहने में कितना टूटी हूं बस ये नहीं बताया है तुमको........ बस ये नहीं बताया तुमको...............
ओ मोहन, ओ केशव ओ कुंज बिहारी तेरे दर पर आई मैं अबला बेचारी..... दुनिया की सताई मैं, तेरे दर पर आई मैं, ओ मोहन तुम मेरा हाथ थाम लो ना...... मझधार में डूबती हूं मैं तुम मुझको बचा लो ना......... ओ मोहन, ओ केशव ओ कुंज बिहारी तेरे दर पर आई मैं अबला बेचारी..... ना साथ मैं खड़ा है, कोई जग में हमारे। बिछाएं है कांटे, पग में हमारे। ओ मोहन कन्हैया ,मेरा तुम हाथ थाम लो ना...... मझधार में डूबती हूं मैं तुम बचा लो ना......... ओ मोहन, ओ केशव ओ कुंज बिहारी तेरे दर पर आई मैं अबला बेचारी.....
मीरा के प्रभु गिरधर नागर राधा के मन मोहन...... मीरा के प्रभु गिरधर नागर राधा के मन मोहन........... राधा के मन मोहन........ शायमा शायमा जपते जपते मीरा बन गई जोगन.... शायमा शायमा जपते जपते मीरा बनी गई जोगन...... मीरा बन गई जोगन....... मीरा के प्रभु गिरधर नागर राधा के मन मोहन........... रटते रटते नाम प्रभु को छोड़ गई वो भोजन रटते रटते नाम प्रभु को छोड़ गई वो भोजन........... मीरा के प्रभु गिरधर नागर राधा के मन मोहन........... केशव केशव भजते भजते भूल गई मीरा यौवन केशव केशव भजते भजते भूल गई मीरा यौवन........... मीरा के प्रभु गिरधर नागर राधा के मन मोहन........... मीरा के प्रभु गिरधर नागर राधा के मन मोहन........... शायमा शायमा जपते जपते मीरा बनी गई जोगन...... रटते रटते नाम प्रभु को छोड़ गई वो भोजन........... केशव केशव भजते भजते भूल गई मीरा यौवन...........
मुझको देख कर, तेरा मुस्कुराना वो। बहाना बना कर तेरा, मुझसे मिलने आना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। मुझको देख कर, तेरा मुस्कुराना वो। बहाना बना कर तेरा, मुझसे मिलने आना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। जाते जाते आधे रास्ते से, तेरा लौट आना वो। रूकने के लिए तेरा, बहाने बनाना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। मुझको देख कर, तेरा मुस्कुराना वो। बहाना बना कर तेरा, मुझसे मिलने आना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। मेरी जिंदगी में तेरा, रंग सजाना वो। मुझको देख के तेरा, पलके झुकाना वो। मुझको देख कर, तेरा मुस्कुराना वो। बहाना बना कर तेरा, मुझसे मिलने आना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। पास आने पर तेरा, शरमा के भाग जाना वो। मुझको जाता देख के, तेरा दौड़ के आना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। मुझको देख कर, तेरा मुस्कुराना वो। बहाना बना कर तेरा, मुझसे मिलने आना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। मुझे आता देख के, आधे रस्ते से तेरा लौट आना वो। मुझे रोकने को सौ बात तेरा सुनाना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो। मुझको देख कर, तेरा मुस्कुराना वो। बहाना बना कर तेरा, मुझसे मिलने आना वो। मेरी जिंदगी का बन गया, अब एक फसाना वो।
आने के बाद में तेरे शहर हर घड़ी घडी़ , हर पहर पहर। एक तुझको ही तो ढूंढे है बेबस सी मेरी ये नजर। हर रोड़ रोड़ पर ढूंढे है हर मोड़ मोड़ पर ढूंढे है। हर ओर छोर पर ढूंढे है बस तुझको ही मेरी ये नजर। हर रोड़ ,सड़क, चौराहे पर रुक जाती है मेरी ये नजर। चुपके से आने जाने वालो में ढूंढे है तुझको ही मेरी ये नजर। हर पहर पहर में ढूंढे है इस पूरे शहर मे ढूंढे है। अब तो थक कर के हार गई बेबस सी मेरी ये नजर।
सुनो मोहन, कहो मोहन जपो मोहन, भजो मोहन सुनो मोहन, कहो मोहन जपो मोहन, भजो मोहन कि मोहन मोहन मोहन रटते ही जाना है, कि मोहन मोहन मोहन को ही पाना है। सुनो मोहन, कहो मोहन जपो मोहन, भजो मोहन कि मोहन मोहन मोहन मुझमें ही समाया है कि मोहन मोहन मोहन ने ही मुझको बनाया है। सुनो मोहन, कहो मोहन जपो मोहन, भजो मोहन कि मोहन मोहन मोहन यूं ही रटते ही जाना है तो फिर बंदे यह जीवन तुझको बिना कष्टों के बिताना है। सुनो मोहन, कहो मोहन जपो मोहन ,भजो मोहन कि मोहन मोहन मोहन मोहन अब तेरा ही सहारा है कि मोहन मोहन मोहन अब केवल तू ही हमारा है सुनो मोहन, कहो मोहन जपो मोहन, भजो मोहन कि मोहन मोहन मोहन तो कण कण में समाया है कि मोहन मोहन मोहन तो जन जन के दिल को भाया है सुनो मोहन, कहो मोहन जपो मोहन, भजो मोहन
आंखो मे छिपे दर्द, आंखो में ही सिमट के रह जाएगे। दिल मे दबे शब्द, दिल में ही कहीं दफ्न हो जाएगे। जीने में लगता हैं, अब तो फिर से घुटन होगी। दिल में कहीं फिर से, एक अजीब सी चुभन होगी। तुम मिलोगे या नहीं....... लगता है आज फिर, इसी उलझन में ये आंखें नम होगी। ये आंखे नम होगी...........
ना तुम्हें याद करने आई हूं, ना तुम्हें याद करके आई हूं। ना तुम्हें याद करने आई हूं, ना तुम्हें याद करके आई हूं। ना कोई फरियाद करने आई हूं, ना बीती कोई बात करने आई हूं। ना कोई फरियाद करने आई हूं, ना बीती कोई बात करने आई हूं। ना ही तुम्हारे उन झूठे वादों पर एतबार करके आई हूं। एक पुराना हिसाब था पुराना तुम्हें वो बतलाने आई हूं, दिल खो कर जख्म पाया था जिन गलियों में मैने मैं आज वहीं पर तुझे तेरा उधार याद करवाने आई हूं। तुमने दिल तोड़ा था मेरा, किस अदा से। मैं आज वहीं किस्सा, इन गलियों को सुनाने आई हूं। ना तुम्हें याद करने आई हूं, ना तुम्हें याद करके आई हूं। ना ही तुम्हारे उन झूठे वादों पर एतबार करके आई हूं। तुमने दिल तोड़ा था मेरी, किस अदा से। मैं आज वहीं किस्सा, जमाने को सुनाने आई हूं।
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