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विधवा Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful विधवा quote can lift spirits and rekindle determination. विधवा Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.
जीसकी चुड़ीयां कभी खनकती थी,
वो चुड़ीयां आज तुट गई;
जो हरपल चिड़िया सी चहेक ती थी,
वो आज खामोश हो गई;
जीसकी मांग सिंदूर से चमक ती थी,
वो मांग आज सुन्नी हो गई;
जीसकी हंसी कभी रूकती नहीं थी,
वो आज रो रो के थक गई;
कल तक जो सुहागन कहलाती थी,
पति के मरते #विधवा हो गई;
समाज की यह केसी रीत है "विएम"
एक रंगीन जींदगी,
पलभर में रंगहीन हो गई;
#विधवा
#विधवा
विधवा होने का किसी को शौक़ नही होता,
या कोई अपने आप नहीं होता ,
ये समाज क्यों नहीं सोचता,
किसी की जिन्दगी को जज करने जाते हैं तब । गीता ।
विधवा होना कोई गुनाह नहीं है,
पुनरलग्न कोई पाप नहीं है,
फिर क्यूं लोग किसी के पीछे पड़े रहते हैं?
किसी की निजी जिंदगी में दखल देते हैं ?
एक स्त्री को भी अपनी जिंदगी अपनी मर्ज़ी से जीने का पूरा हक़ है, चाहें वो पुनः लग्न करें या ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत करें
हमारे समाज में न जाने कब एक स्त्री को
व्यक्तिके तौर पर दरजा मिलेगा ?
उसकी इच्छाओं को पूछा जाएगा ।
✍️...© drdhbhatt...
#विधवा
विधवा की ऐ कैसी विवशता, कैसी विडंबना ?
सदियों की प्रथाके नाम पर , परंपरा के नाम पर
स्त्री का शारीरिक, मानसिक शोषण होता रहा ।
जबरन श्वेत वस्त्र पहनाकर ,
केशों का गजरा उधेड़ दिया
माथें का सिंदुर मिटा दिया
काया का शृंगार हटा दिया
रूप का शीशा तोड़ दिया
पति की यादें जला दि ,
समाजनें अपशुकन मान लिया
लोगोंने सरेआम ठुकरा दिया
स्वजनों ने खुल्ला धुत्कार दिया
असहनीय,अकल्पनीय शब्दों से
अविश्वसनीय निर्दयी बर्ताव से
कलंके के छीटें छिड़ककर ,
धृणा का हलाहल पीलाकर
डाकन-चुड़ैल का नाम देकर
संबंधों में लकीरें खींचकर ,
कठोर नियमों में जकड़कर
खुशियों पर ग्रहण लगाकर
देखके प्राण सिसकते, बिलखते रहें ।
विधवा की ऐ कैसी विवशता, कैसी विडंबना ??
सदियों के प्रथाके नाम पर , परंपरा के नाम पर
स्त्री का शारिरिक, मानसिक शोषण होता रहा ।
जीवन नीरस-सूखा-बंजर बनाकर
दुःख के मातम में छोड़ कर ,
व्यथा के सागर में डूबो कर
कांटों के पथ पर चलाकर
नैनों के दृश्य में उलझाकर
भीतरी द्वंद्व में भटकाकर
इच्छा के मझधार में बहाकर
हृदय की भावना सूखाकर
रक्त का प्रवाह रोककर
नाड़ी को सिथिल बनाकर
कष्टों के भंवर में छोड़कर
सारे बंधनों को भूलाकर
अस्तव्यस्त त्रस्त करके ,
पग पग पर व्यवधान ड़ालकर
उसका सारा जीवन स्मशान बना दिया ।
विधवा की ऐ कैसी विवशता कैसी विडंबना ???
सदियों के प्रथाके नाम पर, परंपरा के नाम पर
स्त्री का शारिरिक, मानसिक शोषण होता रहा ।
( २०/९/२०२० )
--© शेखर खराड़ी
मै स्त्री हूं ना,
सामाजिक बन्धन में बंधी बेबस सी
हां यकीनन अकेली हूं पर
जीना कैसे छोड़ सकती हूं
समाज की मानसिकता अगर मै बदल सकती
अन्धकार में प्रकाश सी
मेरा नसीब का दोष अगर मूझपर ना मढ़ा होता
मेरी मेहंदी, मेरी बिंदी, मेरी लाली, मेरी चूड़ी
न होती आज मेरी सौतन सी
अगर निष्ठुर समाज मुझे अपना परिवार का हिस्सा बना लिया होता
तो ना होती किसी की खातिर मै #विधवा ।।
#विधवा
#Arjuna Bunty
ना कहो मुजे विधवा....
में तो हु वीर की वीरांगना ।।
ना कहो मुजे की वो छोड़ के चला गया...
वो तो शहिद हुआ है अमर होने के लिए ।।
#विधवा
✍️Urmi chauhan✍️
#विधवा ....
एक सुहागन तब मन से "विधवा",
बन जातीं है,
जब राते उसके हिस्से की,
गैरो के साथ बिताई जाती है.....
सुहागन की मांग का सिंदूर,
तब रक्तिम हो जाता है,
जब पति उसका उस पर,
हाथ उठाता हैं....
मुस्कान चेहरे की हर पल,
और खोखली हो जाती है,
जब पति के द्वारा वो,
छली जाती है....
क्या जरूरी है,
बस ये बता दो??
सुहागन के रूप में विधवा होगा,
या ससम्मान विधवा होगा...??
#विधवा
ये ही विधवा एकदिन थी कीसी राजा की रानी,
अब ये सफेदी ने तो उसे जैसे अछुत बना दीया.
#विधवा
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