#विधवा
विधवा होने का किसी को शौक़ नही होता,
या कोई अपने आप नहीं होता ,
ये समाज क्यों नहीं सोचता,
किसी की जिन्दगी को जज करने जाते हैं तब । गीता ।
विधवा होना कोई गुनाह नहीं है,
पुनरलग्न कोई पाप नहीं है,
फिर क्यूं लोग किसी के पीछे पड़े रहते हैं?
किसी की निजी जिंदगी में दखल देते हैं ?
एक स्त्री को भी अपनी जिंदगी अपनी मर्ज़ी से जीने का पूरा हक़ है, चाहें वो पुनः लग्न करें या ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत करें
हमारे समाज में न जाने कब एक स्त्री को
व्यक्तिके तौर पर दरजा मिलेगा ?
उसकी इच्छाओं को पूछा जाएगा ।
✍️...© drdhbhatt...