जीसकी चुड़ीयां कभी खनकती थी,
वो चुड़ीयां आज तुट गई;
जो हरपल चिड़िया सी चहेक ती थी,
वो आज खामोश हो गई;
जीसकी मांग सिंदूर से चमक ती थी,
वो मांग आज सुन्नी हो गई;
जीसकी हंसी कभी रूकती नहीं थी,
वो आज रो रो के थक गई;
कल तक जो सुहागन कहलाती थी,
पति के मरते #विधवा हो गई;
समाज की यह केसी रीत है "विएम"
एक रंगीन जींदगी,
पलभर में रंगहीन हो गई;
#विधवा