ऐ-हुस्न-की-राजकुमारी फेंका जो किसीने लाल सिंदर उसका
डर सा गया तन और मन उसका
सत्राटे मैं भी शोर हुआ,,
चूड़ियों का उसकी टूटना जब शरू हुआ,
होगये बंध सब मंदिर के दरवाजे,
सफ़ेद साडी का कपड़ा जब उसे पहनाया गया,
विधवा कह कर उसे कई सालों तक रूलाया गया,,!
ऐ-हुस्न-की-राजकुमारी😭
#विधवा