"एक राखी दूरियों के नाम"
न हाथों में राखी बांध पाई,
न माथे पर तिलक लगाया,
पर दिल ने आज भी हर साल की तरह,
तेरे लिए वो ही प्यार सजाया ।
तेरे बिना सुना सा हैं ये त्यौहार,
पर यादें तेरी हर कोने में है।
वो बचपन की शरारतें, वो लड़ाई _ झगड़े,
आज भी मेरे आंखों में हैं।
तेरे लिए दुआओं का थाल सजाया है,
रिश्ते की मिठास फिर से जगाई है,
जैसे तू सामने बैठा हो मेरे,
वैसे ही दिल ने बात निभाई है।
तो ये ले ले ये राखी हवा के संग,
जो मेरे आशुओं से भीगी हो,
भले ही मैं पास नहीं आज,
पर मेरी रूह तुझसे जुड़ी है।
- Sunita bhardwaj