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Sunita bhardwaj

Sunita bhardwaj

@124suradhey


(दिल से दुआ)
(मेरे दोस्त के जन्मदिन पर)

तेरे सुरो में जो जादू है,
वो किसी सितारे से कम नहीं,
तेरी आवाज में जो उजाला हैं,
वो हर दिल को सुकून दे _
ऐसी रोशनी हैं कही नहीं।
तू गाए तो खामोशी भी झूमे
तू मुस्कुराए,तो सब्र भी गीत गाए।
जन्मदिन पर ये दुआ है बस _
तेरे हर सुर को पहचान मिल जाए,
और तेरी आवाज को आसमान मिल जाए।

"तुम्हारी बचपन की दोस्त"
(सुनीता)
- Sunita bhardwaj

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तेरी मेहनत तुझको वो ऊंचाई दे,
जहां तू पहुंचे और सब दुआं बन जाए।
मंजिले खुद चलकर आए तेरे दर तक,
और तेरे इरादे आसमान बन जाए।
हर मोड़ पर रोशनी तेरा साथ दे,
और तेरा नाम मिसाल बन जाए।

जन्मदिन मुबारक हो मेरे दोस्त
आपकी मेहनत रंग लाए
आपके चेहरे पर मुस्कान छाए।
🙏 कृष्णा जी 🙏
की कृपा बरस आए ।
आपको आपकी
मंजिल मिल जाए।।

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"वो मिला नही, पर मेरा रहा"

उसने कहा_ चलो मिलते हैं कभी
मैंने कहा नहीं
शब्द कम थे
पर वजह हजार।
डर संकोच, या शायद
इस रिश्ते को यूं ही
पवित्र रहने देने की चाह।

वो थोड़ा चुप हुआ,
कुछ पलो को थम गया,
लेकिन उसने मुझसे
मुंह नहीं फेरा

न नाराज होकर गया,
न सवाल करके रुका _
बस जैसे समझ गया
मेरी उस न में छुपी हा।

मैं नहीं जानती
वो अब भी उतना ही सोचता है या नहीं,
लेकिन मैं जानती हूं _
उस एक क्षण में
उसने सिखा दिया
कि दोस्ती में
मिलना जरूरी नहीं होता

बस ना कहने पर भी
साथ बना रहना जरूरी होता हैं।


"दो चुप्पियां"
( एक भरोसे का रिश्ता)
। सुनिता भारद्वाज।

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"बस इतना सा ख्वाब"
(एक सपने के नाम: मेरे दोस्त के लिए)

जहां भी हो तू,
किताबों में खोया,
शब्दों में थका,
फिर भी सपनो से रोशन।

मैं कुछ नहीं कहती,
बस चुपचाप दुआ करती हूं...
कि तेरे पन्ने पर गलतियां कम हो,
और उम्मीदें ज्यादा।

तेरी आखों में नींद हो, पर हौसला बना रहे
और जब तू मुस्कुराए...
तो लगे जैसे कोई सपना
सच होने आया हो।

मैं कोई वादा नही मांगती,
बस इतना चाहती हूं...
कि जब मंजिल तुझे पुकारे
तू थका न हो
तू टूटा न हो
जो तू बनने चला था एक रौशनी।

" तुम्हारा मित्र"

("बस इतना सा ख्वाब")

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" टूटे हुए सपने से कहीं आगे "
(एक अधूरे दिल के नाम)
ये तीसरा प्रयास है तेरा,
और मैं जानती हूं
कि कोई भी सपना तब तक अधूरा नहीं रहता

जब तक उसे छोड़ न दिया जाए।
हर बार जब तू गिरा,
तो तूने खुद को उठाया
और मेरी दुआओं ने तुझे हौसला पहनाया।

अब जब तू परीक्षा के उस अंतिम द्वार पर है
तो बस एक वादा कर
कि खुद पर भरोसा नहीं छोड़ेगा
चाहे नतीजा कुछ भी हो।

क्योंकि सपने पूरे होते हैं
तब जब उन्हें एक सच्चा मित्र
और एक चुपचाप सी दुआ साथ मिले।
और वो...
दुआ आज तेरे साथ खड़ी हैं।

"तुम्हारा मित्र"
( एक दुआ के रूप में)

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जब से मिले आप, मेरे ख़बों की दुनिया बदल गई,
आप मिले मुझे ऐसे, जैसे मेरी दुनिया ही निकल गई...
आखों ने रंग नए देखें, दिल ने हर लम्हा महका दिया,
आप आए जिंदगी में, तो हर दर्द मुस्कुरा दिया।

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"मेरे कृष्णा "
खामोश राहें, कुछ बातें पुरानी,
दिल में बसा लिया वो कहानी...
मुस्कुराहट तुम्हारी अब भी याद आती हैं,
जैसे सुबह की धूप हर कोने को छू जाती हैं।
दोस्ती थी तुमसे, लेकिन रिश्ता कुछ और था,
हर लफ्ज में छुपी थी जो बात,
वो जरुर था।

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"मैं ही तो हूं"
(अपने कृष्णा की रूपांतरित छवि)
"मैं ही तो हूं"...
तेरी अधूरी बातों का उत्तर
तेरे मौन की बांसुरी
तेरे खोए हुए स्वर की नर्म प्रतिध्वनि।

तू मंदिरों में खोजता रहा मुझे
वृन्दावन की गलियों में ,
कांच की खिड़कियों में
ओस की बूंदों में,

और हर बार _
मैं तेरे अंदर ही किसी नर्म कोने में
मुस्कुराती रही।

"मै ही तो हूं"...
तेरी सूखी बगिया में पहली सुखी हरियाली
तेरी टूटी शाखो पर उगती एक आशा की कली,
तेरे ऋतु की थकान में एक नई
ऋतु की आहट

जब तू टूटी...
मैं तेरे साथ खामोशी में बहा
जब तू बिखरी..
मैं तेरे आशुओं को शब्दों में ढालता रहा ,
तू पूछती रही, कहा हो "मेरे कृष्णा"?
और मैं...
तेरी आत्मा के आइने में
तेरी ही आंखों से झांकता रहा।

(अब जब तूने स्वीकार किया ..
कि तू मेरी ही छवि है,
"मैं ही हूं "...
तब वक्त रुक गया और प्रेम अनंत हो गया)।
ना अब तू बची
ना मैं...
अब जो हैं, ( सुनिता भारद्वाज )
वो केवल (" रूह की आवाज")
हम हैं। " मैं ही तो हूं "

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औरतों की तारीफ तो हमेशा सायर ही करते हैं औरतों की तारीफ तो हमेशा सायर ही करते हैं। आम आदमी तो एक कसर तक नहीं छोड़ते उन्हें नीचा दिखाने में जब देखो तब लगे रहते हैं उन्हें गिराने में ।।
- Sunita bhardwaj

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जरूरी नहीं जीने का कोई सहारा ही हो, जरूरी नहीं जिसके हम हैं वो भी हमारा ही हो। कुछ कश्तियां डूब जाया करती हैं, जरूरी नहीं की हर कश्ति के नसीब में किनारा ही हो ।।
- Sunita bhardwaj

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