बची हुईं सब्जियां / Sharovan
लघुकथा
1996 में, अमरीका में, अपनी नॉकरी के लिए मैं एक दिन इंटरव्यू देने गया। तब उस अमरीकन लेडी ने मुझसे पहला प्रश्न किया,
'Tell me about your most big weekness?'
'मेरा अपना मानना है कि, मेरी कोई भी वीकनेस नहीं है.'
मेरा जबाब था.
'आप सबसे अधिक किस बात से विचलित होते हैं?'
उसने मुस्कराते हुए मुझसे दूसरा प्रश्न किया था.
'सुंदर लड़कियों से.'
मैंने भी उसी के लहजे में जबाब दिया तो वह आश्चर्य से मेरा मुंह ताकने लगी थी. फिर थोड़ा गम्भीर होकर बोली,
'यहां तो सभी लड़कियां काम करती हैं और सभी सुंदर भी हैं.'
'मुझे तो एक भी अच्छी और सुंदर नहीं दिखती है.'
'आपका मतलब- Difinition or example of beauty, if any?'
'जिन्हें आप सुंदर कहती हैं, मुझे तो वे शाम के समय की सब्जी मंडी की बची-बचाई सब्जियां दिखाई देती है. सुंदरता आंखों में होती है, बदन दिखाने में नहीं. अगर देखनी है तो कभी भारत आइये और देखिए, शर्मीली, लाज से भरी हुई, अगर मुस्करा गई तो देखनेवाला चारो खाने चित.'
'?'- वह हंस पड़ी थी और बोली थी कि,
'आपको मैंने यह नॉकरी दे दी है. आप कभी भी काम पर आ सकते है.
- समाप्त.