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Sharovan

Sharovan Matrubharti Verified

@sharovanksingh2769
(101)

नंगी - भूखी झोपड़ी,
करती है प्यार का ऐलान
फिर क्यों और किसने
मेरे पिछवाड़े लिखा,
हिंदू और मुसलमान ?

शरोवन
USA

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वादियों में....
शरोवन

***

शाम के पहले ही सितारे से ज़ख्मों को कोई कुरेदने लगता है,
जैसे सूर्य ढलते ही वादियों में कुदरत का धुंआ उठने लगता है।

चूल्हा जलता है जिस घर में दो रोटियों के लिये,
मेरा अतीत उसी आग में चुपचाप जलने लगता है।

जब भी करते हैं याद तुझे मेरे बिगड़े हुये मांझी के साथ,
मेरी बदनामियों का इतिहास उबलने लगता है।


लोग तो जलाते हैं दिये को अपने घर में रोशनी के लिये,
उसे देखते ही मेरे दिल का चिराग जाने क्यों सुलगने लगता है?


रिवाज़-ए-दुनियां में मरने के बाद इंसान को जलाया करते हैं,
मेरा जिस्म तो सदा से जिंदा ही जला करता है।


महफिलें शबाब बन कर उफनती हैं जब रात की गहराइंयों में,
गानेवाला मेरी ख़ताओं को हिसाब लगाकर सुनाया करता है।


सर्कस में हंसाते हैं जोकर तमाशबीनों की तरह, देखने वालों को,
किस्मत से अपनी सूरत का मज़मा तो रोज़ ही लगा करता है।


समाप्त

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बजह भी दे दिया करते. . .
***
मेरी आँखें ही थीं जो हमेशा से सच बोलीं,
अगर निकलते मुहं से बोल तो शायद झूठ कह देते.

वह मेरी कलम ही तो थी, जिसने लिखा हमेशा सच,
अगर होता कम्प्यूटर/मोबाइल तो शायद शब्द बदल जाते.

एक जो तुम हीं तो थीं जो हमकदम न बन सकीं,
गर होते हौसले बुलंद तो पग तुम्हारे यूँ बदल न जाते.

दुआओं ने मेरी मांगे थे सितारे तुम्हारे आँगन में,
बात थी नियति की, वरना, बीच में वे क्यों लटक जाते.

तसल्लियाँ तो देते हैं सब, ज़िन्दगी जीने का नाम है,
भला होता उनका जो बजह जीने की दे दिया करते.
-समाप्त.
Sharovan.

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मैं एक जिंदगी हूं।

जिसमें भूख है, प्यास है,

इच्छायें हैं, आशायें हैं,

अभिलाषायें हैं, आकांक्षायें हैं,

तड़प है, कसक है, घुटन है,

टूटन है, बिखराव है, पिघलाव है,

रास्ते हैं, मोड़ हैं, रूकाव हैं,

ठहराव है, पड़ाव हैं,

लेकिन मंजिल नहीं है।


मैं एक जिन्दगी हूं।

जिसमें सांस है, मांस है,

मन है, तन है, बदन है,

आवश्यकतायें हैं, नीरसतायें हैं,

दुख है, दर्द है, टीसन है,

घाव हैं, अभाव हैं,

खामोशी है, मदहोशी है,

कहानी है, कवितायें हैं,

लेख हैं, उपन्यास हैं,

क्रान्ति है, अशान्ति है,

लेकिन शांति नहीं है।


मैं एक साज भी हूं,

और आवाज़ भी हूं,

मैं एक फूल हूं और पत्थर भी हूं,

प्रेम हूं और नफरत भी हूं,

एक दोस्त हूं और दुश्मन भी हूं,

मैं एक बहार हूं और खिज़ा भी हूं,

एक नम़ी भी हूं और

रेगिस्थान भी हूं,

मैं वीरान भी हूं और

आबाद भी हूं,

मैं एक जंगल भी हूं

और उजाड़ भी हूं,

क्योंकि मैं एक जिन्दगी हूं।


मेरी आंखों में झांक कर देखो,

इनमें अच्छाई भी मिलेगी

और बुराई भी मिलेगी,

अनभिज्ञता भी मिलेगी

और पहचान भी मिलेगी,

दर्द भी मिलेगा और

खुशी भी मिलेगी,

दास्तां भी मिलेगी

और शून्यता भी मिलेगी,

इनमें रिहाई भी मिलेगी

और कैद भी मिलेगी,

तस्वीर भी मिलेगी और

परछाई भी मिलेगी,

उथलाव भी मिलेगा

और गहराई भी मिलेगी,

क्योंकि मैं एक जि़न्दगी हूं।

जीती जागती जि़न्दगी,

इसे अपनत्व चाहिये,

इसे टूटन नहीं, बिखराव नहीं,

समेटने के लिये बाहें चाहिये,

तिरस्कार नहीं सहारा चाहिये,

खामोशी नहीं झंकार चाहिये,

दूरी नहीं नज़दीकी चाहिये,

मुझे सहारा चाहिये,

अनुपम अनुराग का,

भरे पूरे, ईमानी इकरार का,

ताकि, जिसके सहारे,

मैं टूट न सकूं, घुट न सकूं,

और बिखर न सकूं,

झुलस न सकूं, तड़प न सकूं,

मुझे तिरस्कार नहीं, लगाव चाहिये,

प्रेम चाहिये; चकोर जैसा,

क्योंकि मैं मृत्यु नहीं,

एक जि़न्दगी हूं।

-शरोवन

समाप्त।

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शायर बहुत देखे, शायरा भी मिलीं
शेर भी सुने, शायरियां भी सुनी,
पर जो तेरी शिकायतें सुनीं,
वह किसी भी शायर/शायर से बढ़कर ही सुनीं।

Sharovan.

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ये सितारों की दुनियां, दगाबाजों की महफिल,

फिर भी चले आए, हम तेरी बज़्म में,

हम अपनी बरबादी का अफसोस क्या करें

बस्तियां ख़ाक हो चुकी हैं, तेरे शहर में।

Sharovan
USA

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ऐ दुनियां बनाने वाले
मुझे भी परवाज़ बना दो
उड़ जाऊं आजादी से इस दुनियां से,
मेरा आकाश अलग बना दो।

रिश्ते हों या नाते, पराए थे या प्यारे
उसको ही छीना मुझसे जो थे मेरे प्यारे
कोई ढूंढ सके न मुझको फिर
ऐसे बादल में छिपा दो।

तेरी शरीयत में होंगे इस दुनियां के
तेरे उसूल और नाते रिश्ते,
इंसानी दुनियां में, इनका कोई मान नहीं,
यह संगदिलों की वह दुनियां है,
जहां इनका कोई ईमान नहीं।

Sharovan
USA

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एक बार फिर से तू अजनबी बन जा मेरे लिए

कल मुझे तेरे सिवानों से चले जाना होगा।

Sharovan

बची हुईं सब्जियां / Sharovan
लघुकथा

1996 में, अमरीका में, अपनी नॉकरी के लिए मैं एक दिन इंटरव्यू देने गया। तब उस अमरीकन लेडी ने मुझसे पहला प्रश्न किया,
'Tell me about your most big weekness?'
'मेरा अपना मानना है कि, मेरी कोई भी वीकनेस नहीं है.'
मेरा जबाब था.
'आप सबसे अधिक किस बात से विचलित होते हैं?'
उसने मुस्कराते हुए मुझसे दूसरा प्रश्न किया था.
'सुंदर लड़कियों से.'
मैंने भी उसी के लहजे में जबाब दिया तो वह आश्चर्य से मेरा मुंह ताकने लगी थी. फिर थोड़ा गम्भीर होकर बोली,
'यहां तो सभी लड़कियां काम करती हैं और सभी सुंदर भी हैं.'
'मुझे तो एक भी अच्छी और सुंदर नहीं दिखती है.'
'आपका मतलब- Difinition or example of beauty, if any?'
'जिन्हें आप सुंदर कहती हैं, मुझे तो वे शाम के समय की सब्जी मंडी की बची-बचाई सब्जियां दिखाई देती है. सुंदरता आंखों में होती है, बदन दिखाने में नहीं. अगर देखनी है तो कभी भारत आइये और देखिए, शर्मीली, लाज से भरी हुई, अगर मुस्करा गई तो देखनेवाला चारो खाने चित.'
'?'- वह हंस पड़ी थी और बोली थी कि,
'आपको मैंने यह नॉकरी दे दी है. आप कभी भी काम पर आ सकते है.
- समाप्त.

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फूल

फूल तुम्हें दिया था कभी,
जीवन की सारी मुस्कानों के साथ,
पर तुमने तो बदल दिया
इन मुस्कानों को पल भर में ही,
क्यों कांटो के साथ?
तुम तो ठहरी ही रहीं सदा एक ही जगह,
झील के पानी की तरह,
दरिया बनती तो घुल जाते मीलों तक दोनों
अपनी रूहों के साथ।
उड़ने वाले को मालूम होता है,
नहीं है जगह आसमान में बैठने की,
फिर तुमने क्यों की इतनी ऊंचाई तक जाकर,
न कभी लौटने की बात?
तब से आ गया हूँ इसकदर दूर,
जब तुमने छोड़ा था पकड़कर मेरा हाथ,
अब न तो रिवाज है, न चलन है, न रस्में दुनिया है और ना ही वह बाहें,
कैसे थाम लें तुम्हें,
अपने हाथों में लेके तुम्हारा हाथ?
खुश रहो तुम जहां भी हो
ये दुआएं है मेरी,
हूं मैं अकेला बस अपनी सारी खताओं के साथ।
- Sharovan.

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