विचलित मन में फैला विवाद
उद्घोष हुआ जब शंख नाद
मचल पड़े सब वीर धीर
निकले भाले और खड़ग तीर
उठ तू भी धनु को थाम जरा
अंदर के अहम को मार गिरा
रावण तेरे भी भीतर है
कब तूने उसे पहचाना है
जब जो चाहा, है तूने किया
अब सत्य तुझे अपनाना है
मिथ्या वाणी, तू छोड़ तनिक
आ गई दशमी विजया प्रतीक
-Satish Malviya