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बिना जन्म, ना जीवन मिले बिना कर्म, ना मान सन्मति बिना, सौभाग्य विमुख बिना गुरु, नहीं ज्ञान । Happy Guru Purnima 🙏 - Satish Malviya
जो नम होते हैं वो अक्सर झुक जाते हैं चाहे पेड़ हो या इंसान। - Satish Malviya
शब्दों की माला को लहज़े के धागे में कुछ इस तरह से पिरोया है जैसे एहसासों के शोलों को जज़्बातों की शबनम से भिगोया है - Satish Malviya
वो उजला सा अंधेरा अब खोने को है अरसे से जो ना हुआ अब होने को है।
फ़लक पर नाम, लिख तो दूं तेरा क्या करूं, अभी बारिश का मौसम है ।
मौसम की तरह, बदलने लगे हैं उनके मिजाज़ कल कुछ और थे कुछ और बन गए हैं आज।
आंखे बिछाए, मैं इंतज़ार करता हूं कोई करे ना करे, मैं ऐतबार करता हूं तुझे भले ही, फुरसत नहीं, मुझे याद करने की मगर मैं आज भी, तुझ पे, जां निसार करता हूं। -Satish Malviya
सहेजा है तुझको, बड़ी नज़ाकत से तुम डर ना जाओ, किसी आहट से अब परवाह नहीं, क्या कहेगा ज़माना मतलब है हमे बस, तेरी मुस्कुराहट से। -Satish Malviya
मेरी मुस्कान के पीछे मुहब्बत है तेरी तू है मेरा हमदम खुशकिस्मती है मेरी यूं तो बहुत हैं गमों के फरिश्ते तस्वीर खुशियों की बस तूने ही उंकेरी। -Satish Malviya
फ़ौरन दौड़ आते थे कभी जो हमें देखकर आज वही दूर से भी पूछा नहीं करते। -Satish Malviya
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