मन बावरा ढूंढ रहा, केवल तेरी
एक झलक।
चुपके चुपके तकती हूं, झपकूं नहीं
कभी पलक। मुंदी हुई आंखों में,
जगीहुई ,
मन में जो आस।
तृप्ति की दो बूंदों से
बुझ जाएगी
मन की प्यास।

-Tara Gupta

Hindi Shayri by Tara Gupta : 111712454

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