अप्राणस्यामनस्कस्य तथासंसर्गिणो दृशेः । व्योमवद् व्यापिनो ह्यस्य कथं कार्यं भवेन् मम ॥असमाधीं न पश्यामि निर्विकारस्य सर्वदा ।ब्रह्मणो मे विशुद्धस्य शोध्यं चान्यद् विपाप्मनः ॥In life, we go through unexpected challenges that arises in our journey in succeeding, do not let any negativity taint your life with any misleading directions. Let the rejoice of your journey be with you all times, with the power of your soul and heart can combat any obstacle with time and gradual patience
आप अपने परिवार कुनबा और स्वंय से प्यार ही करते है स्वर्गरूपी इस धरा पर स्वर्गीक सुख साक्षात हेतु कुर्सी-मातमपुर्सी सहित विराजे और हमेशा से ही आपका यह आमअवाम और चरित्र इंतजार में पलक पावड़ें पावना के लिए बिछाए दिए है क्या हमेशा से सही यह भरत भू-भाग चमत्कार और केवल मुफतखोरी से पला बढा है जाति पाति बधन में बधा रहा है । अपने आस पास के मंदिर देवरा को सार संभाल हेतु समर्पित करे, उसके संवारे और अधिक से अधिक पावन के प्रयास हेतु कर्म के प्रभाव को संभाले, केवल किताबी और खिताबी ज्ञान से इत्तर भी दुनिया है वह कर्म का मार्ग निश्चत कर्म का मार्ग, आईये बचे और आत्मवलोकन कर अपने आप को ना बेचें ।