सुभोर स्नेही मित्रो🙏🎉🙏
आओ मिल तम को भगा लें
मन, हृदय के सब अँधेरों को
चलो, मिलकर हटा लें।
आज मिलकर प्रार्थना कर लें
सभी के दूर हों दुख, और सिमटे
जाल मन में हों, यदि उनको गिरा लें।
दीप हर दिन दे संदेशा,
भावना हों सबकी उज्जवल
और तम की कोठरी में
हम सदा उजियार भर लें।
इन अँधेरों से निकलकर
दस दिशाएँ कर लें रोशन
आँख में आँसू किसी के भी न ठहरे
और पीड़ा सुन किसी की
हम न बैठें बनके बहरे।
कोई भी हो रंग - जाति
सबके मन-तन प्रेम में हों
हो कोई भी जीव सबमें
प्रेम के उद्गार भर लें।
भेद सब मिल कर मिटा लें,
इस धरा को स्वर्ग कर लें।
आओ सीखें प्रेम से रहना
सभी संग, इस धरा पर
जन्म से मृत्यु तलक है फ़ासला
बस वही जीवन,
प्रेम से ऋंगार कर लें,
सबसे ही मनुहार कर लें।
एक नन्हा सा है जीवन
उसमें सब कुछ ही समर्पित
क्यों समझ पाता न मानव
ठूँठ बन जाता हो,गर्वित।
युद्ध और विभीषिका से
मिल सभी जग को बचा लें।
सभी मिलकर प्रण करेंगे तो
स्वयं कल्याण होगा
और जागे आत्मा वह ही
अमर अभियान होगा।
प्रेम और स्नेह के दीपक
हरेक चौबार धर दें।
शुक्रिया कर ईश का
सब मनों में प्रेम भर लें।
दीप की इस ज्योत से
कुछ सीख लें,उजियार कर लें
आओ मन रौशन बना लें।।
सभी मित्रों को दीपों के इस त्योहार कीस्नेहपूर्ण मंगलकामनाएँ 🎉💖🎉
मंगलकामनाएँ
आप सबकी मित्र
डॉ. प्रणव भारती