ये जिंदगी है कुछ चाय सी
कभी ठंडी, कभी गरम
कभी खुशबूदार, कभी बेस्वाद
कभी सादी, कभी मसालेदार 
कभी ताजगी से भरपूर
और कभी ठंडी पपड़ीदार 
कभी दो प्याले भी लगते कम
कभी एक से ही उकता जाता मन
कभी मीठी ज्यादा, कभी फीकी कम
कभी इसे महफिलें भाती 
कभी अकेले ही सुकून पहुंचाती 
सुख में साथी, दुख में हमदर्द
चाय सी है जिंदगी या जिंदगी सी चाय
सुलझाएंगे किसी दिन ऐ जिंदगी!!
इस मसले को फुर्सत में बैठकर।
सरोज प्रजापति ✍️ 
 - Saroj Prajapati