तुम्हारे प्रेम के संग्रह में
मैं लिखता रहा
अनगिनत कविताएं !
फिर सहसा अहसास हुआ
कहीं न कहीं
मैं करता रहता था अपने ही
जज्बातों का संग्रहण !
या ये कहूँ
ये सबसे आसान तरीका था
तुम्हारे प्रेम के जरिये अपनी
भाषा के संग्रह का !
हम लिखते रहें
टूटी फूटी अनगिनत कविताएं
तुम्हारे प्रेम में
जो करती रही
भाषा को बचाए रखने का कार्य!
मैं लिखता रहूँगा
अपने जज्बात तुम्हारे ख़ातिर
तुम एकत्रित करते रहना
अपनी "निधि" समझ कर !!
प्रेयसी के लिए (अखिल)
१४sep२०२१
(हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 📚)