अहंकार की एक छोटी सी प्रेरणादायक कहानी जो छोटे होते हुए भी काफी बड़ी सीख दे रही है:-
अंहकार का बीज रामकृष्ण परमहंस के दो शिष्य इसी बात पर परस्पर उलझ पड़े की उनमें से कौन वरिष्ठ है। विवाद तय न होने पर गुरुदेव के पास जाकर उन्होने पूछा- गुरुदेव ! हम दोनो में से कौन बड़ा है? बस इतनी- सी बात के लिये उलझ रहे थे तुम लोग- परमहंस ने कहा- 'तुम्हारे प्रश्न का उतर तो बहुत सरल है। जो दूसरे को बड़ा समझता है, वही बड़ा भी है और श्रेष्ठ भी। यह समाधान पाकर वे दोनों मन में बहुत लज्जित हुए। उस दिन से बड़ा बनने की ललक और अहंकार का बीज ही मन से मिट गया।...