Hindi Quote in Poem by TEJKARANJAIN

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प्रेरक कथा - निस्वार्थी कैदी.
संकलनकर्ता- तेजकरण जैन,
कारागार में फांसी की सजा पाने वाला कैदी बहुत अधिक भगवान का नाम लेता था. जब भी कभी वहां का जेलर अधिकारी निरीक्षण करने आता था तो उसे ध्यान में संलग्न देखता था. एक दिन अधिकारी आया तो वह चैन की नींद ले रहा था. जेलर ने उसे जगा कर पूछा - आज नींद कैसे ले रहा है, तु तो रोजाना ईश्वर के स्मरण भक्ति लीन रहता था.
कैदी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया - घर से मुझे आज एक पत्र मिला है जिसमें लिखा है फांसी की सजा 7 वर्ष के कारावास में परिवर्तित कर दी गई है. मैं अब भगवान को और तकलीफ नहीं देना चाहता हूँ. मैं अन्य स्वार्थी लोगों की भांति अधिक स्वार्थ का भाव नहीं रखता हूँ.

Hindi Poem by TEJKARANJAIN : 111707972
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