Gujarati Quote in Microfiction by Bansari Rathod

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--दहलीज़--
आज वो फुट फुट कर रो रही थी,उस दुनिया मे वापसी के लिए जिस दुनिया को उसने छोड़ा किसी छलावे के लिए।पर अब वो वहाँ नही लौट सकती क्योंकि उस दहलीज़ को उसने कब का लाँघ दिया था।जहाँ उसका खुशहाल परिवार और प्यारे बच्चे थे।अब वो दहलीज़ कभी उसे नही अपनाएगी जिसे उसने जूठे मृगजल समान प्यार के लिए छोड़ा था।
और अगली ही सुबह बिस्तर पर उसका निश्चेतन शरीर पड़ा था।बस आँखे खुली थी उस दहलीज़ को निहारती।।

Gujarati Microfiction by Bansari Rathod : 111312244
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