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HAPPY INTERNATIONAL MEN'S DAY
my first post.. plz follow me guys ?
जिंदगी कोई इम्तेहान हो जैसे साँस लेना कठिन काम हो जैसे दरिया अब खुद ही मान बैठा है नमक उसकी ही जुबान हो जैसे सियासत हद से पर जा बैठी है अवाम उसकी गुलाम हो जैसे मौत अलग अंदाज़ से बुलाएं मुझे सांसे अब सरेआम नीलाम हो जैसे तकलीफ से गुजरता है दिन मेरा रात यादों का बस पैगाम हो जैसे न मिलने की कोई वजह ही नहीं मिलना तुजे आखरी काम हो जैसे आइना अब कुछ ढूँढता है घर मैं यादों से पुरानी पहेचान हो जैसे मेरा हाल जो जानना है तो सुनो खंडर सा कोई मकान हो जैसे हिमांशु
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આજે સમગ્ર વિશ્વ 'પુરુષ દિવસ'ની ઉજવણી કરી રહ્યું છે. તો હું કેમ બાકી રહું ! મારા સ્નેહી, મારા મિત્ર, મારા આદર્શ વ્યક્તિ રૂપે રહેલ સર્વ પુરુષ વર્ગને પુરુષ દિવસની ખૂબ ખૂબ શુભેચ્છા ! ☺️ ?☺ ??☺?
ધારણાની પેલે પાર ધારવાનું બંધ કર , ખુલી આંખે સપના જોવાનું બંધ કર . - રાજેશ બારૈયા
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घटना आज का परिवेश क्या जालिम दुनिया डर लगता है क्या करे ये सूर्या बचपन मे काफी ईमानदारी से जिया पढ़ाई भी ईमानदारी से किया समय के साथ ईमानदारी से जिया उसको लगा परिश्रम किया धोखे-बाजी उसे कभी न सुहाया तभी तो सूर्या ईमानदार कहलाया परीक्षा में मेहनत से रैंक लाता कभी भी वो किसी को गलत नही ठहराता गलती होता तो अपने अंदर झांकता अंतरात्मा को टटोलता फिर कुछ बोलता बड़ो को इज्जत करता छोटो को प्यार किसी के प्रति न कोई द्वेष न कोई करार उसकी इस मासूमियत को लोग समझे उसकी कमजोरी ये तो थी कुदरत की दी हुई उसके लिए एक तिजोरी कुदरत ने दी किसी को क्रूरता और किसी को ईमानदारी पर कौन समझे कुदरत की ये वाणी उसने पढ़ाई किया तो दिखया ईमानदारी ओ करता था बी-टेक कयू की उसे बनाना था एक मिसाल दिखाना था ईमानदारी सायद उनके इस लक्ष्य को ईश्वर की न थी मंजूरी एक साल पूरा किया और बाकी रह गयी अधूरी पढ़ाई में तेज-तर्रार पर उसे कहा पता था कि ईमानदारी आज के परिवेश जीने नही देती पूरी। छूट गया बी-टेक सपने रह गए अधूरे वापस आया अपने घर रहने लगा बिल्कुल अकेले कम करता बाते सोचता पुरानी राते घर वालो को उसकी उदासी न सुहाती देखके
start on this Thursday... weekly 2 episode.. Thursday and Sunday..
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