🦋...𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★__
न पूछो इस मोहब्बत का, ये कैसी
सज़ा है,
कि जीते हैं मगर ये ज़िंदगी क्या है
सज़ा है,
अज़ल से रूह पर लिक्खी है
हिजरत की कहानी,
ये मिलकर बिछड़ जाने का रस्ता
ही सज़ा है,
हमेशा बे-ख़बर ही रहना था
हश्र से,
तुम्हारा इल्म होना भी क़यामत
की सज़ा है,
जहाँ हर ख़्वाब को दफ़ना के
हँसना हो,
वो इश्क़-ए-नामुकम्मल का सफ़र
क्या है, सज़ा है,
रिहाई के तसव्वुर से भी अब
खौफ़ आता है,
ये रूह अब क़ैद ही में है आज़ादी
भी सज़ा है,
वो कहते हैं इसे इकरार या पैमान-
ए-उल्फ़त,
मगर अंजाम इसका क्या है, बस
इक अदना सी सज़ा है...🥀🔥
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh ☜
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