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ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

@loveguruaashiq.661810


•┈✤.SuNo...🦋
उस तरफ भी गुजर के देखेंगे, चन्द
लम्हें ठहर के देखेंगे,

आईने की बिसात है कितनी आज
हम भी ज़रा सँवर के देखेंगे,

संगदिल पर करेगी कितना असर
आह कुछ हम भी भर के देखेंगे,

है गुनाह गर मोहब्बत तो ये गुनाह
हम भी कर के देखेंगे,

जिसकी आंखों में हो बस मोहब्बत
बंदगी उसकी कर के देखेंगे,

डूब कर इश्क के समंदर में ज़ख़्मी
तेवर भँवर के देखेंगे...🔥
╭─❀💔༻ 
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
 #LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
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•┈✤ SuNo न..🦋
ए लड़की.ऐसा नहीं है कि सिर्फ तुम्हें
               देखते रहने से,

बल्कि, जब-जब मैं अपनी आंखें बंद
  करता हूं न, तब भी तुम आकर बैठ
                  जाती हो,

मेरी पलकों की मुंडेर पर और झांकती
हो मेरी आँखों में, और बिखेर देती हो
उनमें न जाने कितनी ख्वाहिशें कितने
        सपने कितनी ही चाहतें"

और जब मैं देखता हूं तुम्हारी बड़ी-बड़ी
झील सी आँखों में तब मुझे यही बे-रंग
     सा संसार कितना सुनहरा लगने
                 लगता है...❤️
╭─❀💔༻ 
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
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•┈✤ SuNo न..🦋
ए लड़क..एक ख्वाब देखा है एक
            आस सँजोई है,

एक आस सँजोई है कि, ये जिंदगी
      बस यूं ही बसर होती रहे,

हू-ब-हू मेरी लिखी, एक प्रेम
           कविता सी,

एक प्रेम गीत सी, एक सुरीली
             राग सी,

जो सदा तुम्हारे ही सुर में गाई
          जाती रहे..❤️
╭─❀💔༻ 
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•┈✤ SuNo..🦋
हिन्दू नववर्ष एवं चैत्र नवरात्रि का
शुभारंभ से भक्तिमय हुआ संसार,

जग कल्याणी मां दुर्गा है, सृष्टि 
का आधार,

दुःख हर लेती भक्तों के सदैव
कष्ट मिटाती माता,

सुख देती जीवन देती मां दुष्टों
का करती संहार,

जब जब धरा पर पापियों का
बढ़ा है अत्याचार,

मां ने इनका, अंत करने को
लिया काली अवतार,

सच्चे हृदय से जो भी मां
जगदम्बा की भक्ति करे,

झोली भर जाती उसकी मिले
खुशियों का अंबार,

माता के नौ स्वरूपों की पूजा
का है ये त्योहार,

धूप दीप नैवेद्य पुष्पों से सजे
मां का दरबार,

प्रतिपदा के नाम जाना जाए
नवरात्रि प्रथम दिन,

अर्धचन्द्र धारी देवी शैलपुत्री
करती सबका उद्धार,

द्वितीय पूजा देवी ब्रह्मचारिणी
ज्ञान का आधार,

बड़ी श्रद्धा से भक्तजन सजाते
इनका दरबार,

माता चंद्रघंटा स्वरूप की होती
तृतीय दिन पूजा,

माथे पर चंद्रमा जिनके, माता
शांति का अवतार,

देवी कुष्मांडा मां दुर्गा का है रूप
सिंह पर सवार,

अष्ट वाहिनी देवी सजे कर सात
घातक हथियार,

चतुर्थ दिन है पूजा इनकी, और
पंचमी स्कंदमाता,

कर कमल धारण कर आत्मा में
भरे शुद्ध विचार,

षष्ठी दिवस देवी कात्यायनी की
पूजा करे संसार,

इसी रूप में माता ने महिषासुर
का किया संहार,

सप्तमी है कालरात्रि और अष्टमी
मां गौरी पूजन,

नवमी सिद्धिदात्री का नवरात्र
भक्ति का त्योहार,

हिन्दू नववर्ष एवं चैत्र नवरात्रि के
पावन पर्व की सभी देशवासियों
को हार्दिक मंगलकामनाएं.🙌

जगत जननी मां सिंह वाहिनी
दुर्गा के आशीर्वाद से

आगामी वर्ष सभी के जीवन में
खुशियों की नई सौगात लाए

तथा देश का कोना कोना स्वास्थ्य
सम्पदा, यश कीर्ति से महके ऐसी
कामना है मेरी..🙌

🌺जय माता दी..🙏
#𝐉𝐀𝐈_𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄_𝐑𝐀𝐌 ..🚩
╭─❀🥺⊰╯ 
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#LoVeAaShiQ_SinGh °
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🦋...SuNo न┤_★__
ए लड़की..आज सुबह-सुबह मैंने एक     
ख्वाब देखा था और उस ख्वाब में मैंने
तुम्हारा घर देखा था,

उसमें पहाड़ों से सटा हुआ वादियों में
दरवाजे के पास गुलाब की क्यारी"
और उसी के पास खड़ी हुई तुम मुझे
देखकर बेहद खुश हो रही थी,

दावत पर बुलाया था तुमने शायद घर
में कोई समारोह था फोन पर तो तुमने
सिफ इतना ही कहा था कि" तुम्हें तो
आना ही पड़ेगा,

जब तुम मुझे अपना घर दिखा रही थी
  मैं तुम्हारी आंखों में अपना घर बना
                    रहा था,

घर के लोगों से मिलवाते वक़्त तुम
कुछ शरमा रही थी, और मैं तुम्हें बस
घूरे जा रहा था,

जाते वक़्त तुमने पीछे से आवाज दी
और तभी मेरी नींद टूट गई,

उसी वक़्त वो ख्वाब महज़ इक ख्वाब
बन कर ही रह गया,

मैंने सुना था कि सुबह के ख्वाब सच
हो जाया करते हैं"

ठीक इसी उम्मीद में मैं दोबारा सोने
की कोशिश में लगा हूं,

ताकि वो ख्वाब फिर से आए जहां
हम दोनों एक दूजे को खुदा हाफिज
भी नहीं कह पाए थे..🥀🔥
╭─❀💔༻ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
‘आखिरी खत’

बड़े दिनों के बाद उसके नाम से एक
खत आया लेकिन इस बार खत को
     देखकर कोई खुशी नहीं हुई,

  उस रात फिर इसी विचार में रहा,
खत पढ़ूं या ना पढ़ूं सोचा बिना पढ़े
         ही जवाब लिख दूंगा,

और फ़िर एकाएक ख्याल आया कि
शायद तुम वापस आ रही हो नहीं तो
      इतने अरसे बाद खत क्यों,

मन में ऐसे कई विचार थे शायद फिर
एक नई शुरुआत हो या तुम्हें मेरे प्यार
       का एहसास हुआ होगा,

इन सभी विचारों को लेकर मैं सोचने
   लगा कि खत पढ़ूं या बिना पढ़े ही
             जवाब लिख दूं....?

    फिर अपने प्रेम की गहराइयों में
     कहीं झांक के देखा तो एक ही
      आवाज आई कि, वो वापस
              आना चाहती है,

     थोड़ा समय लेने के बाद सभी
मतभेदों को खतम कर निश्चय किया
              खत पढ़ने का,

   खत चूंकि तुम्हारा था तो सीने से
लगाकर महसूस करने की कोशिश
  की और बड़े ही प्रेम भाव से खत
                 को खोला,

शुरू के शब्द वाक्य वही थे जो तुमने
हमारे प्रेम को जाहिर करते हुए पुराने
खतों में लिखे थे और मैं ये सब देख
         बहुत प्रफुल्लित हो उठा,

भूल गया वो सब जो कुछ मुझे पूछना
था इतने अरसे तक क्यूं तुम मुझसे
दूर रहे क्यूं...?

और फिर अपनी हैसियत के प्रेम की
सीमाएं ना लांघते हुए खत आगे पढ़ने
                   को सोचा,

मेरे चेहरे की मुस्कान यूं कम तो नहीं
    हुई मगर हृदय में कुछ पीड़ा हुई,

  मैं बस सोचने लगा कि कोई इतने
  कठिनतम पीड़ादाई प्रेम के किस्से
   का वर्णन इतने सहज और सरल
      लहजे में कैसे कर सकता है,

मैं सोचने लगा कि तुम इतना अच्छा
            लिख सकती थी,

विरह को इतना सरल किसी ने नहीं
  लिखा होगा और मैं तुम्हें साहित्य
की बहुत बड़ी लेखिका का दर्जा देना
                 चाहता था,

मैं तुम्हारे और साहित्य के मिलन से
परस्पर खुश था और तुम्हारे खत की
जगह सब किताबों से अलग सबसे
          ऊपर रखने को सोचा,

    मैं तो प्रेम तुम्हारा मेरा मिलना
समझता था मसलन असल प्रेम तो
तुम्हारा एकांत दुनिया और साहित्य
                  का था,

मेरे साथ रहकर कब तुम साहित्य की
  प्रेमिका बन गई पता ही नहीं चला,

मगर सांसारिक दुनिया में तुम साहित्य
  को जीवनसाथी मानकर आगे कैसे
जिओगी ये सब विचार मेरे हृदय के
आसपास ही कहीं थे और तुम अभी
       भी मेरे हृदय के समीप थे,

तुम्हारा और मेरे प्यार में विरह, कहीं
तुम्हारा साहित्य से मिलन एक नए
             प्रेम की कहानी,

तुम्हारा आखिरी खत और मेरी छोटी
           सी यही कहानी...🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_
कागज की कश्ती बनाके, समंदर
             में उतारा था"

मैंने भी कभी ज़िन्दगी, बादशाहों
            सा गुजारा था,

बर्तन में पानी रखके बैठ, घंटों
           उसे निहारा था"

फलक के चांद को जब जमीं पे
           मैंने उतारा था,

ना तेरा था ना मेरा था, हर चीज
          पे हक हमारा था"

मासूम सा दिल, जब कोरे कागज
            सा हमारा था,

बे-पनाह सी उमंगें कई थी, कई
      मंजिल कई किनारा था"

अब तो तन्हा जी रहा हूं मैं, तब
  महफिलों का सहारा था..🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_
होली क्या है..🤔?

क्या ये सिर्फ़ एक त्योहार है.?
नहीं ये तो एक महान इतिहास है.!

कहानी है ये एक सच्चे हरि भक्त
प्रह्लाद की"

गाथा है ये बुराई के प्रती अच्छाई
के जीत की,

हार है होलिका के घमंड और
अहंकार की हरि भक्त के जीत
की याद है ये,

जिसे रंगों से मनाया जाता है
समस्त बुराइयों को होलिका में
जलाया जाता है,

ये प्रमाण है इस बात का कि
अच्छाई की हमेशा जीत होती है,

एक सुंदर त्योहार है ये जिसे रंगों
से मनाया जाता है,

समस्त बुराइयों को होलिका में
जलाया जाता है...🔥

छोटे बड़े, भाई बहन, अच्छे बुरे,
दोस्त यार या हों चाहे दुश्मन'

सभी को होलिका दहन की खूब
-खूब बधाई एवं शुभकामनाएं!
#Happy_Holi ..🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
यार क्यों ना हो सुबह मेरी पलकें भारी
  रात भर तुम आँखों में जो रहती हो,

कहने को हम सोया करते हैं मगर रात
भर ख्वाबों में तुम आते जाते रहती हो,

हो कोई शराबी तो शराब को इल्जाम
               दिया जाता है,

बन जाए कोई आशिक़ तो शबाब को
         इल्जाम दिया जाता है,

गुलाब की दास्तां पूछे तो काँटों को
         इल्जाम दिया जाता है,

कोई नहीं करता गुनाह क़ुबूल अपना
हो पलकें भारी तो ख्वाब को इल्जाम
            दिया जाता है,

हकीकत में दीदार नसीब नहीं, ख्वाबों
       में ही दीदार किया करते हैं,

हम वो दिलदार हैं जो हर पल महबूबा
   के नाम का ही दम भरा करते हैं,

कसम खुदा की इन आँखों ने जब से
             तेरा दीदार किया,

भूल से भी कभी इसने ना खुदा का
               दीदार किया,

जब से तेरे कूचे में आ गए हम इन
नजरों को नजर आता ना और
             कोई भी मंजर,

अब तो आख़िरि बस यही तमन्ना है
     तेरे ही कूचे में जिएं मरे हम,

हो दम-ए-आख़िर और तेरा दीदार
       करें हम, भले हों कब्र में,

खुदा से ले लें थोड़ी सी मोहलत और
      तेरा इस्तिक़बाल करें हम..🔥

कूचे=मकानो के बीच छोटा रास्ता,
दम-ए-आख़िर=ज़िंदगी का आखिरी समय
इस्तिक़बाल=आदर-सत्कार, स्वागत,
╭─❀🥺⊰╯ 
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