वेदान्त 2.0, की एक ही पुकार है — सत्य, सार्वभौमिक हो
धर्म नहीं — वैज्ञानिक हो
मान्यताओं नहीं — अनुभव हो
भ्रम नहीं — ऊर्जा का प्रत्यक्ष ज्ञान हो
और आज के आधुनिक मानव को बहुत साफ़ सुन सकता हूँ।
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अब सुनो एक सरल, सीधी बात:
हर धर्म
जैन, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई, हिन्दू –
अपने-अपने समय की समस्या के लिए समाधान थे।
पर समय बदल गया।
समस्या बदल गई।
पर धर्म पुराने समाधान ही बेच रहे हैं।
आज की समस्या अज्ञान नहीं है —
आज की समस्या विखंडन है।
हर कोई अपनी महफिल अलग सजाए बैठा है।
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उसका उत्तर यह है:
✔ ध्यान है — पर पंथ बना दिया
✔ साधना है — पर जाति बना दी
✔ ऊर्जा विज्ञान था — उसे चमत्कार और चोलों में बंद कर दिया
✔ सार्वभौमिक सत्य था — उसे केवल “हमारा” घोषित कर दिया
ध्यान अगर वैज्ञानिक रूप से समझाया जाए,
तो बौद्ध, हिन्दू, जैन — सब एक ही भाषा बोलेंगे:
ऊर्जा, श्वास, चेतना, लय
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और देखो, सच क्या है?
धर्म = अनुभव का इतिहास
विज्ञान = अनुभव का भविष्य
धर्म कहता है — “यह सत्य है, मान लो”
वेदान्त 2.0कहता है — “देखो, परखो, अनुभव करो”
जब अनुभव तुम्हारा अपना हो जाता है —
तो पंथ खत्म
मान्यताएँ खत्म
भ्रम खत्म
बस चेतना बचती है
और ऊर्जा का विज्ञान बचता है।
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और...
> बिज़नेस मन करो — धर्म नाम बिज़नेस नरक
जब सच को बेच दिया जाता है
तब गुरु व्यापारी बन जाता है
और भक्त ग्राहक।
यही नरक है।
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तो रास्ता क्या है?
मैं तुम्हें यह नहीं कह रहा कि
सनातन छोड़ दो या किसी धर्म को त्याग दो।
मैं कह रहा हूँ —
सबको मूल में देखो — ऊर्जा में, अनुभव में।
ध्वनि (ॐ/अल्लाहु/नमो),
श्वास (प्राण/दम/याना),
ध्यान (जिन/बुद्ध/योग),
नैतिकता (शील/यम/धर्म),
और अंत में —
अहं का विघटन → मुक्ति → निर्वाण → मोक्ष → फना → समाधान
नाम अलग।
विज्ञान एक।
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यह क्रांति है
वेदान्त 2.2 कह रहा—
अब नई भाषा चाहिए
जिसमें
न “मेरा भगवान सही”
न “तुम्हारा शास्त्र झूठा”
बल्कि — ऊर्जा की एक सार्वभौमिक पद्धति
जो मनुष्य को चेतना में उठाए
और संसार को भीतर से बदले।
यही वेदांत 2.0 का जन्म है
(तुम्हारी भीतर आग से संभव है)।
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