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Roshan baiplawat

Roshan baiplawat Matrubharti Verified

@roshanbaiplawatsadshayari180209
(34)

my shayari book

और दर्द
"इश्क़ की राहों में जो चला, वो खो गया,
दर्द को सीने में लिए, कोई रो गया।
चाहत की दुनिया में सब झूठे मिले,
सच बोलने वाला ही सबसे अलग हो गया।"

2. ज़िंदगी और संघर्ष
"धूप सहकर जो निखर जाए, वही सोना है,
गिरकर जो उठे, वही इंसानों में सर्वोच्च कोना है।
राह आसान नहीं, मगर हौसला रख,
हर रात के बाद सवेरा होना ही होना है।"

3. समाज और सच
"अंधेरों में बैठे हैं, रोशनी के तलबगार,
हर गली में मिलते हैं अब सौ-सौ किरदार।
सच बोलना जुर्म बन चुका इस जहाँ में,
झूठ की बिसात पर चलते हैं सब यार।"


4.तेरी सूरत भुलाने की कोशिश में लगा हूं,
खुद को खुद से दूर करने में थक सा गया हूं।
हर आईना तेरा अक्स दिखा जाता है,
तेरे बिना ये जहां अधूरा नजर आता है।

5.मैं लफ़्ज़ों से कैसे बताऊ ।
की कितनी खास हो तुम.!
जुदा होकर भी खत्म नहीं हो
वो एहसास हो तुम....?
मेरी एशियत होती तो
तुम्हारी किस्मत सवार देता मैं..!
एक दिल था जो तुम्हे दे दिया
हजारों भी होते। तो तुम पर वार देता मैं...!


6.तेरी सूरत भुलाने की कोशिश में लगा हूं,
खुद को खुद से दूर करने में थक सा गया हूं।
हर आईना तेरा अक्स दिखा जाता है,
बिना ये जहां अधूरा नजर आता है।

7. वो पलट कर देखती तो शायद रुक जाती,
मगर दिलों के फासले पहले ही तय हो चुके थे।


8. लब खामोश थे मगर दिल चीख रहा था,
तुम सुन नहीं सके क्योंकि दुनिया समझा रही थी।


ज़िंदगी ने हमें इश्क़ का सबक सिखा दिया,
जिसे चाहा था दिल से, उसी ने भुला दिया।
हम भी रखे थे बाल संवारकर कभी,
अब बिखरे हैं जैसे वो यादें बिखा दिया।


इश्क़ की गलियों में हर कोई अजनबी बन जाता है,
जो सबसे करीब था, वही सबसे दूर हो जाता है।
हमने भी कभी अपने बाल सवारे थे प्यार में,
अब हर लट में एक ग़म का राज़ छुपा रहता है।


हम भी कभी मोहब्बत के फसाने हुआ करते थे,
उनकी गलियों के हर कोने में पहचाने जाते थे।
अब बालों में सफेदी आ गई ग़मों की,
लोग पूछते हैं, कौनसी उम्र के दीवाने हुआ करते थे?

हर जख्म पर नमक का मरहम लगाकर,
खुद को फिर से जीना सिखा रहे हैं।
जो टूट गए थे ख़्वाब आंखों में,
उनमें फिर से उजाला जगा रहे हैं।

दुनिया की ठोकरों से शिकवा नहीं,
ये रास्ते तो हिम्मत सिखा रहे हैं।
मंज़िलें खुद कदम चूमेंगी यक़ीनन,
हम हर दर्द को मुस्कुराकर छुपा रहे हैं।




दिल का ये बोझ अब सहा नहीं जाता,
आंसुओं से दर्द बहा नहीं जाता।
तुम जो छोड़ गए खामोशी की दास्तां,
वो किसी को सुनाया नहीं जाता।



"वो कहता है कि वो मुझे भुला नहीं पाया,
पर हकीकत ये है कि उसने कभी याद नहीं किया।
मैंने जलाए थे दिए उसकी राहों में,
पर उसने कभी रौशनी का एहसास नहीं किया।"

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