आधार छंद-सरसी - गीत
सद्गुरु कृपा अनंत।
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अंधकार में भी उजियारा, सद्गुरु कृपा अनंत।
हम कहते गुरुदेव हमारे, ईश्वर सम भगवंत।।
जिन पर कृपा रहे सद्गुरु की, बड़भागी वो दास।
जिसकी जैसी होती निष्ठा, और संग विश्वास।।
चाहे जितना मूर्ख हो, बन जाता वो संत।
हम कहते गुरुदेव हमारे, ईश्वर सम भगवंत।।
हरते सारे कष्ट हमारे, देते सद्गुरु ज्ञान।
समझ नहीं सकता हर कोई, पढ़ा लिखा विद्वान।।
जीवन की हर भव बाधा का, कर देते हैं अंत।
हम कहते गुरुदेव हमारे, ईश्वर सम भगवंत।।
अपना बच्चा हमको मानें, देते प्यार दुलार।
ठोक-पीटकर हमें संवारे, जैसे सदृश लुहार।।
मान और मर्यादा से भी, ऊपर उनके दंत।
हम कहते गुरुदेव हमारे, ईश्वर सम भगवंत।।
महक उठे जीवन की बगिया, हरियाली हर ओर।
कृपा पात्र जो हो जाता है, उसका नूतन भोर।
इठलाता वो ऐसे जैसे, वही बड़ा बलवंत।
हम कहते गुरुदेव हमारे, ईश्वर सम भगवंत।।
रखते हैं वो ध्यान हमारा, रहें दूर या पास।
छोड़ दिया सब उनके ऊपर, जो करके विश्वास।
उसका जीवन बन जाता है, भाव भक्तिमय संत।
हम कहते गुरुदेव हमारे, ईश्वर सम भगवंत।।
सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र)