मैं लिखना चाहती हूं ....
दर्द के कुछ किस्से ,
कुछ जिंदगी के हिस्से,
कुछ नई और पुरानी
लिख देना चाहती हूं मैं
सारी की सारी कहानी
नदियां की वो धारा
वो अंतहीन किनारा
कुछ खीझ भरे
कुछ दुख हरे
ईर्ष्या घृणा और श्रृंगार
वो भाव तुम्हारे सारे
कुछ जीत तुम्हारी
कुछ हार हमारी
लिख देना चाहती हूं मैं ...
वो कथा सारी की सारी ।
मस्ती गुस्सा और मजाक
दिल के वह सारे राज।
लिख देना चाहती हूं मैं आज
बालपन की शैतानियां
यौवन का वो अल्हड़पन
बुढ़ापे के अनुभव सारे
जीवन के सारे एहसास
मैं लिख देना चाहती हूं
प्रेम की परिभाषा ,
अनकही वह सभी भाषा
जिसे पढ़ने की सबकी आशा ।
मैं लिख देना चाहती हूं ....
गरीबों की वह भूख सभी
अमीरों के वो सुख सभी
अधूरेपन के वो सारे एहसास
कुछ मन के , कुछ तन के ,
संपूर्ण होने होने की आशा
अधूरे मन की निराशा ।
मैं लिख देना चाहती हूं ....
अपने मन की अभिलाषा ।
रिंकी उर्फ चंद्रविद्या