इस नगर में आँसू हैं
इस शहर में आशायें,
जब गहराई में देखा तो
मेरे ऊपर परिच्छाई।
इस गाँव में आँसू हैं
इस ग्राम में आशायें,
जब गौर से देखा तो
जहाँ-तहाँ प्रेम पिपासायें।
इस राह पर आँसू हैं
इस पथ पर लक्ष्य खड़े,
जब जब चलके देखा तो
चहुँ ओर खुले द्वार पड़े।
* महेश रौतेला