Hindi Quote in Poem by महेश रौतेला

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प्रभु, इस पार तुम्हारी नगरी है
उस पार अनोखा घर लगता है,
कहाँ-कहाँ तुम दिखते हो
हर विपत्ति को साधे हो।
जल से ऐसी क्या ममता है
आस्था जिसमें पक्की है,
इस पार तुम्हारे मन्दिर हैं
उस पार चेतना रहती है।
इस पार अनेकों सुख-दुख हैं
उस पार अद्भुत व्यापकता है,
मौन कहीं पर गढ़ा हुआ है
कहीं तीव्र स्वर गरजता है।
प्रभु, इस पार हमारी मन की नगरी
उस पार तुम्हारा ठहराव बना,
जन-जन से पूछा तो
क्षण-क्षण तुम्हारा आवास मिला।

*** महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111957266
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