मैं और मेरे अह्सास
वो अल्फाज़ ही क्या जो समझाना पड़े?
वो ताल्लुक़ ही क्या जो मनवाना पड़े?
दरारें ना जीने देती है ना मरने देती है l
वो बात ही क्यूँ करे जो पसताना पड़े?
हर इंसान में होते है छुपे कई इंसान l
वो वाकिया ही क्या जो बतलाना पड़े?
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह