#Myself /स्वयम
बस उसका करने को दर्शन,
मथुरा, गोकुल और वृंदावन,
फिर घूमा पर्वत गोवर्धन,
कहां छुपा, क्या जाने मन।
वह परम -सत्य, वह परम-शून्य,
वह है अनंत, वह परम-न्यून,
उसका मिलना है बड़ा कठिन,
क्या उसको पाना बस भटकन?
रहता था ऐसा व्याकुल मन,
उस दिवस हुआ जड़वत कुछ क्षण,
जब वह आ कर बोला मुझसे,
स्थित तुझमें मैं सदा, स्वयम्।।